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कई लड़कियों को इंटरनेट डिवाइस एक्सेस करने के लिए कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे 2021 पर इसी पर बात हो रही है।
लड़कियों को सशक्त बनाने और उनकी आवाज को बुलंद करने के लिए हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे (अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस) मनाया जाता है। इस दिन को UN Women, अन्य UN एजेंसीज, सिविल सोसाइटी और दुनियाभर की लड़कियों के साथ मिलकर मनाती हैं। 2012 से शुरू हुए इस दिवस का उद्देश्य लड़कियों के सामने आने वाली समस्या, चुनौतियों ओर उनके अधिकारों के संरक्षण मे बारे मे जागरूक कर उन्हें सशक्त बनाना है।
इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे 2021 की थीम है डिजिटल जनरेशन – आवर जनरेशन (डिजिटल पीढ़ी. हमारी पीढ़ी.)
डिजिटल वर्ल्ड की इम्पोर्टेंस आज हम सब जानते हैं। खासकर COVID-19 महामारी के बाद से इंटरनेट ने हर किसी के लिए सीखने, कमाई करने और आगे बढ़ने के नए रास्ते खोलें हैं। लेकिन यहां भी डिजिटल डिवाइड जेंडर्ड है यानी ज़्यादा महिलाऐं इंटरनेट से वंचित हैं। लड़कियों को इंटरनेट डिवाइस एक्सेस करने के लिए आर्थिक और सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
अगस्त 2021 में पब्लिश हुई इस रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में 15% भारतीय महिलाओं के पास मोबाइल फोन कम हैं और 33% कम महिलाएँ मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का उपयोग करती हैं।
इसके कई कारण हैं। लेकिन अब हमें इस असमानता पर बात करनी होगी और ऐसे कदम उठाने होंगे जहां सभी के लिए एक समान डिजिटल क्रांति की शुरुआत हो सके। लडकियां भी डिजिटल वर्ल्ड का उपयोग कर सकें और तकनीक के क्षेत्रों में भी अपना परचम लहरा सकें।
इसी साल, जनरेशन इक्वेलिटी फोरम ने जेंडर इक्वलिटी पर वैश्विक बातचीत में टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को प्राथमिकता के रूप में निर्धारित किया है। इसमें सिविल सोसाइटी, गवर्नमेंट्स, प्राइवेट सेक्टर्स, मीडिया, और यूथ मूवमेंट्स ने लड़कियों को समान अवसर प्रदान करने, फेमिनिस्ट टेक्नोलॉजी में निवेश करने, और डिजिटल दुनिया के लिए डिजाइनिंग और लर्निंग सलूशन बनाने के लिए लड़कियों और यंग वीमेन को समान मौका देकर एक इंक्लूसिव डिजिटल सोसाइटी बनाएंगे।
UN Women इंडिया भी इसके लिए कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लीडिंग फेमिनिस्ट मीडिया ग्रुप्स, इन्फ्लुएंसर्स, ब्रांड्स आदि के साथ मिलकर लड़कियों के लिए इंक्लूसिव डिजिटल सोसाइटी के लिए काम कर रहे हैं।
आज सब कुछ डिजिटल हो रहा है। ऐसे में अगर हम लड़कियों को इससे वंचित रखेंगे तो उनसे बहुत कुछ छूट जाएगा। ऐसे कितनी महिलाओं को हम जानते हैं जो डिजिटल स्पेस का यूज़ करके ना केवल पैसा कमा रही हैं बल्कि पूरी दुनिया में आज पहचानी जाती हैं। जब इनोवेशन, साइंस, टेक्नोलॉजी के फील्ड में भी महिलाएं आगे आएँगी तभी हम एक जेंडर इंक्लूसिव सोसाइटी की कल्पना कर सकते हैं।
करिश्मा मेहता मशहूर फ़ोटो ब्लॉग ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे की फाउंडर और सीईओ हैं। 21 साल की उम्र में करिश्मा ने इंस्टाग्राम पर ये ब्लॉग शुरू किया था और आज 1.9 मिलियन फोल्लोवेर्स हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग से करिश्मा मेहता न सिर्फ एक सक्सेसफुल बिज़नेस चला रही हैं बल्कि कई महिलाओं की मदद भी करती हैं।
टीन इयर्स में शुरू किये अपने ब्लॉग मिस स्टाइल फिएस्टा से हाल ही में हुए पेरिस फैशन वीक में शिरकत करने वाली पहली भारतीय फैशन ब्लॉगर मासूम मिनावाला इंडियन फैशन को कई इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर प्रेजेंट कर रही हैं।
लीज़ा मंगलदास प्लेज़र पॉजिटिव कंटेंट क्रिएटर हैं। लीज़ा ने 2017 में YouTube और इंस्टाग्राम पर अपने प्लेटफॉर्म की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सेक्सुअलिटी, सेक्सुअल हेल्थ, जेंडर और शरीर के बारे में बातचीत को सामान्य बनाना है – जिसमें महिलाओं और प्लेज़र पर विशेष ध्यान दिया गया है। आज ये डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके कई स्टीरियोटाइप्स तोड़ रही हैं।
कंटेंट क्रिएटर चंदना हिरन इंस्टाग्राम के ज़रिये जेंडर इनक्वेलिटी से जुड़े मुद्दों पर आवाज़ उठती हैं। इन्होने डिजिटल स्पेस का सदुपयोग करते हुए ‘हिंदुस्तान यूनिलीवर’ के ख़िलाफ़ ‘Fair & Lovely’ को लेकर एक याचिका दायर की थी जिसके बाद कंपनी ने फेयर शब्द वापस ले लिया है। इसके अलावा ये रेसिस्म, सेक्सिज़्म आदि मुद्दों पर काम कर रही हैं।
ये कुछ चंद जानी मानी लड़कियों के नाम हैं लेकिन ऐसी लाखों महिलाएँ हैं डिजिटल टेक्नोलॉजी की मदद से आगे बढ़ रही हैं। लड़कियां सारी बॉउंड्रीज़ और बैरियर्स को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं। एन्टरप्रेन्योर्स, इन्नोवेटर्स, ग्लोबल मूवमेंट्स की लीडर के रूप में आज लड़कियां एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर रही हैं जो उनके और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और बेहतरीन हो। ये मौका सभी को मिलना चाहिए।
सभी लड़कियों को एक सुरक्षित, शिक्षित और स्वस्थ जीवन का अधिकार है। यही आज की सशक्त लडकियां हैं और यही कल जाकर एक स्ट्रांग इंडिपेंडेंट महिला के रूप में हमारे सामने आएँगी। ये कल की वर्कर्स, एन्टरप्रेन्योर्स, लीडर्स, मदर, मेनटर्स हैं जो दुनिया को बदलने की ताकत रखती हैं।
तो हाँ, इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे 2021 हो या कोई और डे, हर दिन महत्वपूर्ण हैं जहां समानता से जुड़े मुद्दों पर बात होती है।
मूल चित्र : Digital India Film, YouTube
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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