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अंजलि का साथ सास ने बहुत अच्छे से दिया। अंजली के इतने आर्डर दिन भर में आ जाते थे कि सास-बहू को पूरा करने में मुश्किल हो जाती थी।
अभिषेक घर में सबसे छोटा था। तीन बहनों के रहते वो कभी घर की टेंशन नहीं लेता था। तीनों बहनें अपने भाई का बहुत ध्यान रखती थीं। इसलिए अभिषेक बिगड़ा भी हुआ था। पहले तीनों बहनों की शादी हुयी, उसके बाद अभिषेक की शादी भी हो गई।
घर में मां-बाबूजी और अभिषेक और अभिषेक की पत्नी रहते थे। अभिषेक की पत्नी, अंजली बहुत पढ़ी-लिखी थी। घर में किसी चीज़ की कमी न थी और बहुत पैसा था, लेकिन अंजलि का बहुत मन करता था कि वह जॉब करे। पर घर में किसी की परमिशन नहीं थी कि अंजलि जॉब करने बाहर जाए।
एक दिन अंजलि की सहेली गीता घर पर आई। अंजलि ने बहुत वैरायटी का खाना बनाया। उसने अंजलि की बहुत तारीफ की। वो जानती थी कि अंजलि जॉब करना चाहती है लेकिन उसे घर से बाहर जॉब करने की इजाज़त नहीं है।
गीता ने अंजलि से कहा, “अंजलि, अगर बाहर जाना नहीं हो पता काम के लिए, तो तुम हिम्मत मत हरो। तुम चाहो तो घर से कुछ कर सकती हो। तुम्हें इतना अच्छा खाना बनाना आता है, फिर तुम आर्डर क्यों नहीं लेती हो? कहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।”
अंजलि ने अपने ससुर और अभिषेक से इस बात की चर्चा की, तो ये समझ कि उनके आराम में कोई कमी नहीं होगी, सास समेत सभी ने हामी भर दी!
गीता ने अंजलि की मदद की और उसके खाने के बिज़नेस के बारे में जगह-जगह एडवर्टाइज करना शुरू किया।
अंजलि ने केक-मठरी और नमकीन के ऑर्डर लेने शुरू कर दिए। जल्दी ही अंजलि को बहुत तारीफ मिली और उसका अच्छा मुनाफा होने लगा और पूरे शहर में अंजलि बेकरी का नाम हो गया। अंजलि ने केक और बिस्किट की क्लासेस लेना भी शुरू कर दिया।
अंजलि का साथ सास ने बहुत अच्छे से दिया। अंजली के इतने आर्डर दिन भर में आ जाते थे कि सास-बहू को पूरा करने में मुश्किल हो जाती थी। दोनों सास-बहू का समय अच्छे से निकल जाता और उनकी अपनी कमाई भी होने लगी।
एक दिन साथ में काम करते हुए सास ने अंजलि से कहा, “सच में मेरे बेटे से तुम कई गुना अच्छी हो। इतनी पढ़ी-लिखी होने के बाद भी तुमने, बाहर जा कर नौकरी ना करने देने के बावजूद, हार नहीं मानी और दूसरा रास्ता ढूंढ लिया। तुमने शौक़ को घर बैठे-बैठे बिजनस में बदला दिया।
मैं भी कुछ करना चाहती थी लेकिन घर के मर्दों ने इजाज़त नहीं दी। मैं खुद तो उनसे लड़ नहीं पायी लेकिन आज बिजनेस करके अपने साथ तुमने मेरा भी नाम कर रोशन दिया। तुम्हारे साथ-साथ मैंने भी बहुत कुछ सीख लिया है। घर में बैठे-बैठे कई साल हो गए थे लेकिन तुम्हारे काम में हम दोनों को व्यस्त कर दिया है। मेरा स्वाभिमान मेरे बेटे ने नहीं तुमने लौटाया है बहू!”
सास-बहू ने दूजे का हाथ थमा और आँखों ही आँखों में एक दूसरे के लिए खड़े रहने का वायदा किया।
इमेज सोर्स : Still from When Saas and Bahu Are Best Friends/Mangobaaz, YouTube
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