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आप लोग ये सोचते हैं कि पुत्र जन्म से आपका कुल और वंश आगे बढ़ेगा और इस वजह से आप अपनी पत्नी और बहू पर बेटे को जन्म देने का दबाव डालते हैं...
आप लोग ये सोचते हैं कि पुत्र जन्म से आपका कुल और वंश आगे बढ़ेगा और इस वजह से आप अपनी पत्नी और बहू पर बेटे को जन्म देने का दबाव डालते हैं…
भारत वर्ष जहाँ शक्ति की उपासना और पूजा की जाती है, स्त्रियों को देवी समान माना जाता है, उसी श्रृंखला में साल में दो बार नवरात्रि पर्व भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरात्रि में नौ दिन माँ दुर्गा की पूजा अर्चना पूरे श्रद्धा और विश्वास से की जाती है, जिसमें भक्त मां के नौ स्वरूपों के प्रतीक के रूप में नौ कन्याओं की पूजा करते हैं।
लेकिन मेरा सवाल ये है क्या वो लोग जो महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं क्या वो इस पूजा को करने के अधिकारी हैं? क्योंकि जिनके विचार और कर्म ही शुद्ध नही उनका पूजा करना भी व्यर्थ ही है।
ऐसे लोग जो देवी की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं और घर की स्त्री को अपमानित करते हैं, उनके पूजा करने से क्या फायदा?
क्योंकि हमारे समाज में, बेटियों के जन्म पर आज भी कई घरों में मातम पसर जाता है। दो बेटियों के बाद भी बेटे की चाह में ना जाने कितने गर्भपात और लिंग परीक्षण चोरी-चुपके कराए जाते हैं, ये जानते हुए भी कि ये क़ानूनन अपराध है।
“तेरी माँ, तेरी बहन, तेरी बेटी” की गलियां बात बात में खुलेआम दी जाती हैं।
घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न जैसे अपराध किये जाते हैं।
जहाँ दो साल की लड़की से लेकर अस्सी साल की बुजुर्ग तक से बलात्कार और यौन शोषण जैसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है।
गरबे की आड़ में महिलाओं से छेड़छाड़ की जाती है।
ऐसे ही ना जाने कितने अनगिनत अपराध हर रोज महिलाओं के साथ होते हैं, जिसे कभी परिवार के किसी सदस्य, नजदीकी रिश्तेदार द्वारा या किसी पर पुरूष के द्वारा अंजाम दिया जाता है। बहुत कम महिलाएं ही इसे सबके समक्ष बोल या शिकायत दर्ज करा पाती हैं। अधिकतर महिलाएं इस मुद्दे पर सामाजिक लोक-लाज और पारिवारिक दबाव की वजह से चुप्पी साध लेती हैं, जिससे पुरुषों के मनोबल को बढ़ावा मिल जाता है।
ऐसे ही पुरुषों और परिवार से मेरा सवाल है जो इस तरह के अपराध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं कि क्या आप इस नवरात्रि में देवी की पूजा करने के अधिकारी हैं?
स्त्रियों को मां ,अर्धांगिनी, बहन और बेटी के रूप में पूजनीय माना जाता रहा है, क्योंकि स्त्रियां अपने परिवार के लिए बहुत से त्याग करती हैं, जिस त्याग को पुरुष सपने में भी नहीं सोच सकते। आज जब वो दुःखी हो, ज़बरदस्ती का थोपा हुआ त्याग नहीं करना चाहतीं तो भी आपको परेशानी होती है?
अगर आप नवरात्रि में देवी की पूजा करते हैं और उनको खुश करना चाहते हैं और अपने जीवन और घर परिवार में सुख शांति चाहते हैं, तो मैं आप सबसे कहना चाहूंगी कि सबसे पहले आप औरतों का सम्मान करना सीखिए।
अपनी पत्नी को भोग की वस्तु मात्र समझना छोड़कर उन्हें अपनी अर्धांगिनी स्वीकार कीजिए। उन्हें सम्मान और अपनापन दीजिए। बेटियों को खुले आसमान के नीचे जाने दें, सुरक्षा के नाम पर घर की बेड़ियों में जकड़कर ना रखें। बहू-बेटी को पराये घर की नहीं उन्हें अपना ही मानिए। उनके अधिकारों को सुरक्षित कीजिए। उनके साथ अगर कोई अपराध हो तो स्त्री को न्याय दिलाने में उसका सहयोग की कीजिये।
देवी स्वयं आप पर प्रसन्न हो जाएंगी!
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता:
यत्रेतास्तु न पुज्यन्ते सर्वास्त्रफला: क्रिया:।
यानी जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। और जहाँ नारी का सम्मान नहीं होता, वहाँ किये गए समस्त अच्छे कर्म निष्फ़ल हो जाते हैं।
जो लोग ये सोच रखते हैं कि पुत्र जन्म लेने से उनका कुल और वंश आगे बढ़ेगा और इस वजह से वो अपनी पत्नी और बहू पर बेटे को जन्म देने का दबाव डालते हैं, घर की स्त्री के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार और गर्भपात एवं लिंग परीक्षण जैसे पाप कर्म करते हैं, उनके लिए भी कहा गया है कि
शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम ।
न शोचन्ति तू यत्रेता वर्धते तध्दि सर्वदा।।
मतलब जिस कुल में स्त्रियां कष्ट भोगती है, वह कुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। और जहाँ स्त्रियां प्रसन्न रहती है उनका सम्मान किया जाता है वो कुल सदैव फलता फूलता और समृद्ध बना रहता है।
इसलिए विचार कीजिए, व्रत कीजिए या मत कीजिए, लेकिन सच्चे और साफ मन से सभी स्त्रियों का मान सम्मान कीजिए,अच्छे कर्म कीजिए, देवी देवता स्वयं प्रसन्न हो जाएंगे!
इमेज सोर्स : Women’s Day Special Short Film DURGA/Fight Back, Content Ka Keeda via YouTube
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