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वाह माँजी, आपको अपने बेटों की मेहनत दिखती है लेकिन बहुओं की नहीं। अगर वो दुकान में काम करते हैं तो हम भी तो रात दिन घर में करते हैं।
“मीरा, माँजी ने कहा है कि दिवाली के बस दो हफ्ते रह गए हैं तो हम दोनों साफ सफाई शुरू कर दें। वैसे भी घर काफ़ी बड़ा है तो जितनी जल्दी सफाई शुरू कर दें अच्छा रहेगा।” अपनी नई नवेली देवरानी मीरा को समझाती हुई राधा ने कहा।
“क्या भाभी, जब से मेरी शादी हुई है, काम ही तो कर रही हूँ मैं। क्यों ना इस बार सफाई के लिये दो मजदूर रख ले? हां थोड़े पैसे खर्च होंगे लेकिन हम दोनों को आराम मिल जायेगा।”
“ये क्या कह रही हो मीरा! माँजी नाराज़ हो जायेंगी और मैं भी तो पिछले पांच सालों से यही सब कर रही हूँ ना। माँजी को ऐसी फिजूलखर्ची बिलकुल पसंद नहीं। तुम अभी नई हो इसलिए समझा रही हूँ ऐसा कोई काम ना करो की माँजी नाराज़ हो जाये।” मीरा की विद्रोही बातें सुन राधा घबरा उठी।
अपनी भोली जेठानी राधा की बात सुन मीरा मन ही मन मुस्कुरा दी। मीरा और राधा की शादी के अच्छे खाते-पीते परिवार में हुई थी। घर में सास और ससुर दोनों थे लेकिन चलती सिर्फ सासूमाँ की ही थी। राधा और मीरा के पतियों की अपनी मेडिकल की दुकान थी।
घर में बहुत नहीं तो किसी बात की कमी भी नहीं थी। फिर भी मीरा की सासूमाँ कमला देवी एक-एक पैसा दांतो से दबा के रखती। वो घर में कोई कामवाली भी नहीं आने देती। उनके अनुसार पांच-छः लोगो का काम ही क्या होता है?
राधा की जब से शादी हुई थी एक दिन का भी चैन उसे नहीं मिला था। घर का सारा काम तो वो करती ही, साथ ही, दिवाली पर भी दो मंजिला घर की सारी सफाई राधा की ही जिम्मेदारी होती। स्वाभाव से सीधी राधा को कमला देवी भी दबा के रखती थी। राधा की परेशानी घर में सबको दिखती लेकिन कमला देवी के डर से कोई कुछ बोलता नहीं था।
मीरा की शादी को अभी चार महीने ही हुए थे। जितनी सीधी राधा थी, उतनी ही विद्रोही स्वाभाव की मीरा थी। शादी के बाद मीरा को अपनी सीधी सरल स्वाभाव जेठानी को रात-दिन काम करते देख बहुत दुःख होता तो वहीं अपनी सासूमाँ के दबंग स्वभाव को देख वो परेशान हो उठती। जब भी दबे स्वर में कुछ कहने की कोशिश करती, राधा उसे चुप करवा देती।
अगले दिन सुबह सुबह घर के आंगन में दो मजदूरों और मोहल्ले की कामवाली रमिया को देख कमला जी की भवें तन गई।
“क्यों री रमिया, तू सुबह-सुबह मेरे घर में और इन मजदूरों को किसने बुलाया है?”
“छोटी बहु ने कल ही बोल दिया था कि अपने साथ दो मजदूर लेते आऊं साफ-सफाई के लिये। अब जल्दी बताइये कहाँ से शुरू करनी है सफाई?” हाथों में झाड़ू और कपड़ा पकड़े रमिया ने घर का मुआयना करते हुए कहा तो गुस्से से लाल हो कमला देवी सीधा मीरा के कमरे की ओर चल दी। आने वाले तूफान से भयभीत राधा भी अपनी सासूमाँ के पीछे हो ली।
“मीरा, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना मुझसे पूछे साफ-सफाई के लिये लोगो को बुला लिया?” कमला देवी के स्वर तेज़ हो उठे।
“इसमें हिम्मत की क्या बात है माँजी? मैंने कोई गलत काम तो किया नहीं है और फिर आपने ही तो भाभी से कहा था दिवाली की सफाई शुरू करने के लिये। ऐसे में अगर दो लोगो को मदद के लिये बुला लिया तो क्या गलत किया?” शांत स्वर में मीरा का ज़वाब सुन कमला देवी तिलमिला गई।
“पैसे क्या पेड़ पर उगते हैं? जानती हो कितनी मेहनत लगती है मेरे बेटों को पैसे कमाने में।”
“वाह! माँजी आपको अपने बेटों की मेहनत दिखती है लेकिन बहुओं की नहीं। अगर वो दुकान में काम करते हैं तो हम भी तो रात दिन घर में करते हैं। ऐसे में अगर एक दिन के लिये दो मजदूर रख लिये तो क्या हुआ।
ईश्वर का दिया बहुत है हमारे पास माँजी। ज़रा सोचिये इन मजदूरों का। ये भी दिवाली पर लोगों के घर काम कर दो पैसे कमाते हैं तब जा कर इनका परिवार त्यौहार मना पाता होगा। आखिर परिवार और त्यौहार तो इनके भी होते है और अगर सब खुद से सफाई कर लेंगे तो इनका क्या होगा?
और माँजी कंजूसी एक हद तक ही अच्छी लगती है वर्ना वो तानाशाही हो जाती है। आप भाग्यशाली हैं जो राधा भाभी जैसी बहु मिली आपको। इनकी कद्र कीजिये माँजी।”
मीरा की बात सुन कमला देवी दंग रह गई। घर में इतने सालों में किसी ने उनके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई थी और आज कुछ महीनों पुरानी बहु ने उन्हें आईना दिखा दिया था। घर में मीरा के रूप में विद्रोह की आग सुलग चुकी थी। इसका पूरा आभास कमला देवी को एक क्षण में हो गया।
वो समझ गईं कि अब बात बढ़ी तो फिर बढ़ती ही चली जाएगी। हवा का रुख जान कमला देवी ने मौन सहमति दे दी। अब मीरा के कारण अपनी जिंदगी आसान होती देख राधा ने भी ख़ुशी से मीरा को गले लगा लिया।
“वाह! मीरा तूने तो कमाल ही कर दिया। सच कहुँ तो शादी के पांच सालों बाद ये दिवाली लग रही है खुशियों की दिवाली” और दोनों देवरानी जेठानी की हंसी से घर गूंज उठा।
इमेज सोर्स: Still from Hindi TV Serial, Bhagya Lakshmi, Ep 70 Preview, Zee5, YouTube
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