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शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर खुले आसमान में क्यों रखी जाती है?

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत वर्षा होती है और इसमें रात को बाहर रखी खीर भी अमृत के समान हो जाती है। तो क्या सोच रहे हैं, यहां है खीर की रेसिपी!

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत वर्षा होती है और इसमें रात को बाहर रखी खीर भी अमृत के समान हो जाती है। तो क्या सोच रहे हैं, यहां है खीर की रेसिपी!

वैदिक धर्म के अनुसार अश्वनी मास मे जिस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसको हम शरद पूर्णिमा या रास पूर्णिमा कहते हैं। यह साल में केवल एक बार ही होता है। यह मान्यता है, कि इस दिन अमृत की वर्षा होती है और भगवान श्री कृष्ण अपनी गोपियों के संग रासलीला भी करते हैं।

शरद पूर्णिमा का महत्त्व

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस रात्रि में चंद्रमा सबसे ज्यादा प्रकाशवान होता है और इसके साथ ही शीत ऋतु की शुरुआत होती है। शीत ऋतु में जठराग्नि तेज हो जाती है जो हम लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छी है और हमारा पाचन तंत्र ठीक रहता है।

माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली चमकदार रौशनी अलग होती है। इस दिन खीर बना कर रात को खुले आसमान में रखने की मान्यता है। कहा जाता है कि इस चाँद से खीर में गिरने वाली किरणें दूध में लैक्टिक नामक एसिड में पाया जाने वाला बैक्टीरिया बढ़ जाता है। चावल में पाया जाने वाला स्टार्च इसमें मदद करता है। इन सब को तत्वों से मिलकर जो खीर तैयार होती है, वो हमारे स्वास्थ्य के लिए औषधि का काम करती है।

मानो या ना मानो, मान्यता है कि इस दिन अमृत वर्षा होती है और इसमें रखी खीर भी अमृत के समान हो जाती है।

लोग कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात में कम से कम 30 मिनट तक चांद की चांदनी के नीचे बिताने चाहिए। रात में 10:00 से 12:00 बजे तक चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक रहता है।

शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है

शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उत्तर भारत में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है इस दिन चंद्रमा की छटा देखते ही बनती है। चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होकर आकाश में सबसे सुंदर दिखता है।

इस दिन हमारे घर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी सुख समृद्धि की देवी है। सुबह नहा धोकर साफ वस्त्र पहनकर लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पूरे दिन उपवास रखते हैं। शाम को लक्ष्मी की पूजा और कथा करते हैं। चंद्र दर्शन करके उपवास को खोलते हैं। सारी रात भजन और गीत गाते हैं। सुबह फिर नहा धोकर अमृत रूपी खीर का प्रसाद सभी में बांटा जाता है।

शरद पूर्णिमा की रात को बाहर रखने के लिए खीर की रेसिपी

आइऐ खीर बनाएं

खीर का नाम सुनते ही मुंह में तो पानी आ जाता है। त्यौहार हो या खुशियों का मौका तो मीठे में सबसे पहला नाम खीर का ही आता है। तो चलो खीर बनाते हैं।

खीर की सामग्री

  • 5 कप फुल क्रीम दूध
  • ¼ कप चावल
  • ½ कप चीनी
  • 10-15 किशमिश
  • 4 इलायची
  • 10-12 बादाम

चावल की खीर बनाने की विधि

  • पैन में चावल और दूध डालकर उबालने को रख दें।
  • हल्की आंच पर तब तक पकाएं जब तक चावल पक न जाए और दूध गाढ़ा ना हो जाए।
  • जब दोनों चीज गाड़ी हो जाए तब उसमें चीनी और बादाम डाल दें।
  • ठंडी होने पर इसमें इलायची  कूटकर कर डाल दें।

अब चाहे आप शरद पूर्णिमा कैसे भी मनाएँ, लेकिन इस पूर्णिमा को अमृत वाली खीर जरूर बना कर खाएं और खिलाएं, खीर की रेसिपी के साथ!

इमेज सोर्स : Canva Pro 

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