कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मेरा सर उठा कर जीना डराता है तुम्हें…

क्यों उसका स्वयं के लिए जीना बन गया अपराध उसका? क्यों उसका सर उठा कर जीना रास ना आया तुम्हे? क़ुसूर क्या बस इतना था कि...

क्यों उसका स्वयं के लिए जीना बन गया अपराध उसका? क्यों उसका सर उठा कर जीना रास ना आया तुम्हें? क़ुसूर क्या बस इतना था कि…

पल-प्रति-पल सोचे वह,
पाया क्या और खोया क्यों?
क़ुसूर क्या बस इतना था,
कि स्त्री बन कर जन्मी वह?

कि क्यों ‘अस्तीत्व’ पर उसके,
हैं इतने सवाल खड़े,
कि क्यों ‘समर्पण’ हर बार,
रहा उसके ही हिस्से।

कि क्यों उसका स्वयं के लिए जीना,
बन गया अपराध उसका,
कि क्यों उसका सर उठा कर जीना,
रास ना आया तुम्हे?

मिले जवाब गर उसके सवालों का,
तो क्या खुद से नज़र मिला सकोगे?
क्या तब भी उसकी तरफ देख,
तुम्हारे अधरों पर व्यंग्यात्मक मुस्कान,
की रेखा खिंच पायेगी?

इमेज सोर्स : Still from Malabar Gold and Diamonds, YouTube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Anchal Aashish

A mother, reader and just started as a blogger read more...

36 Posts | 103,569 Views
All Categories