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रूजुता दिवेकर से 3 टिप्स जेंडर न्यूट्रल किचन के: घर के काम सिर्फ आपके काम नहीं!

न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने की जेंडर न्यूट्रल किचन की बात, जो आपको गाँठ बांध लेनी चाहिए क्यूंकि इसमें छिपे हैं आपकी सेहत के कई राज़... 

रूजुता दिवेकर अपने कैप्शन में लिखती हैं- शादी के बाद अक्सर कई महिलाएं ऑउट ऑफ शेप हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि अचानक से उनके ऊपर घर के बहुत सारे काम का बोझ आ जाता है। 

सुबह उठो, ब्रेकफास्ट और लंच दोनों की तैयारी करो, पति और बच्चों का टिफिन पैक करो, फिर अगर आपको भी ऑफिस जाना है तो अपना टिफिन भी पैक करो।

वापस आओ, पहले बर्तन का ढेर साफ़ करो और फिर से रात के खाने की तैयारी में लग जाओ। खाने के अलावा घर की सफ़ाई, कपड़े, बर्तन जैसे हज़ारों काम आप ही की झोली में आते हैं।

आपमें से कई महिलाएं रोज़ इसी तरह के रूटीन में रहती होंगी। आपके घर में हेल्पर भी आती है तो भी आपको उसे समझाने और उससे सब कुछ सही से साफ़ कराने की ज़िम्मेदारी भी आप ही की होती है।

मध्यमवर्गीय परिवारों में तो ‘काम करने वाली’ या हेल्पर का चलन अभी भी बहुत कम है। घर की औरत ही घर संभालने का ठेका उठाती है। बाकी घर के काम छोड़ भी दें तो अकेले किचन का काम इतना ज़्यादा हो जाता है कि कभी-कभी तो सांस लेने का मौका ही नहीं मिलता। ऐसे में अगर वीकेंड पर घर में मेहमान आ जाएं और तरह-तरह के पकवान बनाने पड़ें तो पसीने ही छूट जाते हैं।

घर के काम के ये आंकड़े आपकी आंखें खोल देंगे

थोड़ा गणित लगाते हैं, अगर आपके दिन के 3-4 घंटे किचन में गुज़र रहे हैं तो आप महीने के कम से कम 120 घंटे रसोई में ही रहती हैं और एक साल में 1500 घंटों के क़रीब। यानि एक साल में से कुछ 2-3 महीने आप रसोई में ही काट देती हैं।

ये तो केवल रसोई में आपके समय के आंकड़े हैं, बाकी काम भी जोड़ लेंगी तो ज़्यादा आप अपना आधा साल घर संभालने और संवारने में ही लगा रही हैं। फिर शायद आपको ये समझ आ जाए कि ऐसा क्यों है कि “बहन, अपने लिए तो टाइम ही नहीं मिलता!”

ना तो आप अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे पाती हैं और ना ही अपने शौक की चीज़ें कर पाती हैं। ठीक है चलिए ये भी माना कि घर और रसोई को आप ही संभाल सकती हैं लेकिन इन घंटों को थोड़ा कम किया जा सकता है जिसके लिए आपको अपने पति और परिवार की मदद लेनी होगी।

कुछ महिलाओं के पति अपनी मर्ज़ी से तो कुछ के पत्नी की डांट सुनकर थोड़ा-बहुत काम तो करा लेते हैं लेकिन किचन से जुड़े कामों में उनकी भागीदारी ना के बराबर होती है। कहते हैं हर चीज़ की शुरुआत अपने घर से ही होती है, उसी तरह जेंडर भेदभाव की शुरुआत भी आपके घर के किचन से ही होती है लेकिन उसे ‘ये तो औरतों का ही काम है’ कहकर हमेशा अनदेखा कर दिया जाता है।

रुजुता दिवेकर ने दी जेंडर न्यूट्रल किचन की सीख (Gender Neutral Kitchen by Rujuta Diwekar)

जानी-मानी सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर अक्सर अपने सोशल मीडिया के ज़रिए विमेन हेल्थ से जुड़ी कई वीडियो पोस्ट करके अच्छी जानकारियां देती हैं लेकिन इस बार उन्होंने किचन में होने वाले जेंडर गैप के बारे में बात करते हुए सभी महिलाओं को कुछ अहम बातें समझाने की कोशिश की है।

रूजुता दिवेकर कहती हैं – शादी के बाद अक्सर कई महिलाएं ‘ऑउट ऑफ शेप’ हो जाती हैं!

रूजुता अपने कैप्शन में लिखती हैं- शादी के बाद अक्सर कई महिलाएं ऑउट ऑफ शेप हो जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि अचानक से उनके ऊपर घर के बहुत सारे काम का बोझ आ जाता है। यूएन के सस्टेनेबल डिवलपमेंट गोल्स का ज़िक्र करते हुए वो लिखती हैं कि बेहतर भविष्य के लिए UN के गोल्स में लैंगिक समानता सबसे अहम है।

वक्त आ गया है जब पुरुषों को और बेहतर करना होगा क्योंकि ये उन लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है जिनकी वो फिक्र करते हैं। औरतें भी अब अपनी डिमांड को साफ़-साफ़ कहना सीख लें। उनके पति उनका काम में हाथ नहीं बंटाते तो इसके लिए अपनी सास पर ताने ना कसें।

जेंडर न्यूट्रल किचन का मतलब है रसोई में अपने पति और बाकी परिवार की मदद लेना ताकि औरतें अपने दूसरे शौक पूरा करने और अपने स्वास्थ्य के लिए समय निकाल सकें। औरत स्वस्थ होगी तो परिवार भी ख़ुशहाल होगा। तो इसके लिए –

  • पहचानें- पहले ये समझने की कोशिश कीजिए कि आपका साथी/पति घर का कौन सा काम करने में सक्षम है। सफ़ाई, कुकिंग या खाने की तैयारी करना? यानि पहले आपको अपने साथी के बारे में ये पता होना चाहिए कि वह किस काम को अच्छे से कर सकते हैं।
  • खुलकर बात करें- जब आपको ये पता चल जाए कि पति कौन सा काम अच्छे से कर सकते हैं तो उनसे इस बारे में खुलकर बात करें। उन्हें समझाएं कि वो आपका हाथ कैसे बंटा सकते हैं।
  • प्रोत्साहन दें- यदि आपकी बात समझने के बाद पति उसी अनुसार काम कर रहे हैं और आपको मदद मिल रही हैं तो उनका प्रोत्साहन बढ़ाएं। उन्होंने कोई काम अच्छा किया हो तो उनकी तारीफ़ करें।

साथी से कहिए कि आपका हाथ बंटाना उनकी ज़िम्मेदारी है – जेंडर न्यूट्रल किचन है ज़रूरी

रूजुता की ये बातें अगर हम अपनी ज़िंदगी में अपना लेंगे तो अच्छे परिणाम हासिल कर सकते हैं। इसके लिए पहला क़दम आप ही को उठाना होगा।

ये बात भी सही है कि हमारा पति अगर काम में हाथ नहीं बंटाता तो हम अक्सर सासु मां को इस बात के लिए कोसते हैं कि बेटे से कभी काम कराया नहीं है, अब आलसी हो गया है।

चलिए ठीक है, भले ही उन्होंने ऐसा नहीं किया लेकिन आपको ऐसा करना ही होगा क्योंकि ये अब आपके लिए ज़रूरी है। जैसे उनका ख़्याल रखना आपका काम है वैसे ही आपका ख़्याल रखना उनकी ज़िम्मेदारी है।

आपने एक व्यस्क से शादी की है इसलिए अपनी ज़रूरतों के बारे में आप उनसे खुलकर बात करें। उन्हें समझाएं कि कैसे आप घर के कामों में फंसे रहने की वजह से अपनी बाकी चीज़ों और ख़ासकर स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं।

आप उनसे बात करें और फिर उनसे काम में हाथ बंटाने के लिए कहें। जैसे सब्ज़ी आप बना रही हैं तो वो काट के दे दें। आप कपड़े धो रही हैं तो वो सूखा दें। आप बर्तन मांझ रही हैं तो वो धो दें। आपकी इस थकान को दूर करने के लिए अपने घरवालों की सहायता लें और कृपया ये सोचना बंद करें कि घर और रसोई का काम आप की ही ज़िम्मेदारी है।

कहते हैं ना साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना। सच ही तो है, एक अकेला थक ही जाता है इसलिए अब हो जेंडर न्यूट्रल किचन हर घर में…

मूल चित्र : Still from #PenguinDad/Flipkart, YouTube

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