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तुमने अब बस कहने में इतनी देर क्यों लगा दी…

जैसे ही मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसका चेहरा देख मैने चौंकते हुए पूछा, "विशाखा तुम्हारे चेहरे पर ये निशान?" सुन कर विशाखा रो पड़ी।

जैसे ही मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसका चेहरा देख मैने चौंकते हुए पूछा, “विशाखा तुम्हारे चेहरे पर ये निशान?” सुन कर विशाखा फूट-फूट कर रो पड़ी।

विमेंस वेब की महिलाओं के खिलाफ हिंसा की #abbas मुहीम में तीसरा लेख है लेखिका समिधा नवीन वर्मा का! 

बाजार में अचानक अपने बचपन की सहेली को देख मैंने उसे आवाज़ लगाई। उसने मुड़कर देखा भी, पर न जाने क्यूं मुझे अनसुना कर वो तेजी से आगे बढ़ गई।

बारहवीं तक मैं और विशाखा साथ-साथ पढ़े थे। स्वभाव से चंचल, बातूनी और दबंग स्वभाव की विशाखा पढ़ाई में भी तेज़ थी। कोई लड़का अगर किसी लड़की को छेड़ देता तो वह पंगे लेने से भी न हिचकिचाती थी। वह हमेशा हम सबसे कहती, “विशाखा के होते हुए तुम सबको किसी लड़के से डरने की ज़रुरत नहीं हैै।”

फिर एक दिन उसने हमें अपनी शादी का कार्ड देकर चौंका दिया। बहुत खुश लग रही थी। सारी मित्रमंडली उसकी शादी की रौनक देख खुश थे। राजसी ठाठबाट से वो विदा हुई।

इतने वर्षों बाद अपनी पक्की सहेली को देख उससे मिलने की चाह में मैं भी तेज़ कदमों से उसके पीछे-पीछे चल पड़ी। कई आवाजें लगाने पर भी उसका मुड़कर न देखना मुझे संशय में डाल रहा था।

जैसे ही मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसका चेहरा देख मैने चौंकते हुए पूछा, “विशाखा तुम्हारे चेहरे पर ये निशान?”

सुन कर विशाखा फूट-फूट कर रो पड़ी।

मैं उसे पास के एक रेस्टॉरां ले गई। बहुत पूछने उसने सिर्फ इतना कहा कि अभी उसे कुछ ज़रूरी काम है और वह जल्दी ही मुझसे मिल कर सब बताएगी।

करीब दो महीने बाद मेरी डोरबैल बजी। दरवाजा खोला तो सामने विशाखा खड़ी थी।

न हाथ में चूड़ी थी और न ही माँग में सिन्दूर। उसका हाथ पकड़े उसके साथ खड़ी थी दस-बारह वर्ष की मासूम सी बच्ची।

मैंने अन्दर आने का इशारा किया तो वह दोनों अन्दर आ गई।

जहाँ विशाखा के चेहरे पर एक अजीब सी शान्ति छाई थी, वहीं बच्ची सहमी व डरी हुई सी थी और माँ की उँगली कस कर पकड़े हुए थी।

मैंने इशारे से बच्ची को अपनी तरफ बुलाया। लेकिन वह अपनी माँ से और ज्यादा चिपक कर बैठ गई।

मैने विशाखा से पूछा, “तुम ठीक तो हो ना?”

जवाब में जो उसने बताया, वह तो और भी चौंकाने वाला था।

उसने बताया, “शादी के लगभग एक महीने तक मेरे पति रोज़ ही अपने किसी न किसी दोस्त के यहाँ पार्टी में ले जाते और उन्हें मेरे साथ कुछ भी करने के लिए कहते। मेरे मना करने पर मारपीट पर उतारू हो जाते।

जब मैंने जाने से इन्कार किया तो उसने मेरे माँ-बाप को शिकायत की कि मैं उसका ख्याल नहीं रखती, मेरा चाल चलन ठीक नहीं है और मुझे मायके छोड़ देगा। उसने मेरे माँ-बाप को धमकी दी कि अगर अपनी छोटी बेटी तान्या की शादी मुझसे नहीं की तो विशाखा और उसकी बच्ची को मार डालेगा।

मेरे पापा को हार्ट अटैक आया और पापा चल बसे। उसने फिर तान्या को किडनैप कराने की धमकी दी। इस डर से मैं वो सब करती रही। लेकिन अब वो हमारी बेटी से भी वही सब कराना चाहता है। मैंने मना किया तो उसने गरम-गरम चाय मेरे चेहरे पर फेंक दी। मेरी बेटी यह सब देख बेहद घबरा गई।

लेकिन उस दिन मैंने ठान लिया कि #अबबस। जो मेरे साथ हुआ, अपनी बेटी के साथ हरगिज़ नहीं होने दूँगी। मैंने उसके खिलाफ़ रिपोर्ट लिखा दी।

आज जब पुलिस घर आई तो वो बचने के लिए सड़क की ओर भागा। पीछे से एक ट्रक आया और ….और… हमेशा-हमेशा के लिए मैं उसकी कैद से आजाद हो गई।

कहते हुए उसकी सूखी आँखों के कोर से एक आँसू लुढ़क गया।

विशाखा कुछ देर में वहाँ से चली गई और मैं सोच रही थी कि विशाखा ने #अबबस कहने में इतनी देर क्यूँ लगाई? मैं मानती हूँ कि मेरी जजमेंट गलत है उसके बारे में लेकिन फिर भी…

अगर उसका पति आज भी ज़िंदा होता तो? ये कशमकश मेरे दिमाग में चल ही रही थी कि मैं खुद को वापस ले आयी और विशाखा की हिम्मत की दाद देने लगी… देर ही सही, अब बस कहा तो…

इमेज सोर्स: Still from “Can Marriage Be Taken As A License To Rape?”/ Forced/ Marital Rape Short Film, YouTube

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Samidha Naveen Varma

Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...

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