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कभी-कभी मन होता कि सब कुछ छोड़ कर ज़ोर से चिलाऊँ! 'अब बस! अब और नहीं!' क्या आप अपनी 'अब बस' कहानी साझा करने को तैयार हैं?
कभी-कभी मन होता कि सब कुछ छोड़ कर ज़ोर से चिलाऊँ! ‘अब बस! अब और नहीं!’ क्या आप अपनी ‘अब बस’ कहानी साझा करने को तैयार हैं?
कभी-कभी मन होता कि सब कुछ छोड़ कर ज़ोर से चिलाऊँ ‘अब बस! अब और नहीं!’ लेकिन आवाज़ गले से निकलती ही नहीं थी…लेकिन एक दिन! लेकिन एक दिन, मेरे में न जाने कहाँ से इतनी ताकत आ गयी कि मैं बिना किसी और का इंतज़ार किया अपने लिए खड़ी हो गयी।
परी कथाओं में आपने भी सुना होगा कि एक बहादुर राजकुमार आया और राजकुमारी को राक्षस के चंगुल से बचा कर ले गया। मैं भी ऐसी ही राजकुमारियों की कहानियां सुनते सुनते बड़ी हुई।
जब भी मेरे साथ कुछ गलत होता, तो मैं चुपचाप सह लेती। आखिर माँ ने ही तो सिखाया था, “बेटा, सहना एक औरत की सबसे बड़ी ताकत है!”
और मैं ठहरी एक आज्ञाकारी बेटी, कैसे उनकी बात ना मानती?
मेरे साथ गलत होता रहा, मैं सहती रही! आवाज़ उठाना किसी ने सिखाया नहीं और मैंने सीखने की कोशिश भी नहीं की! लेकिन जब अपनी बेटी को सीखाने का वक़्त आया तो मैंने उसे सिखाया, “गलत कभी सहना नहीं और गलत के ख़िलाफ आवाज़ ज़रूर उठाना!”
इतना कहना आसान था लेकिन अब वही नन्हीं आँखें अपनी माँ को चुपचाप सब सहते देखतीं! और कुछ सालों बाद एक दिन उसने पूछ ही लिया, “माँ, आप सहना कब बंद करोगे?”
उसके सवाल का जवाब देना ज़रूरी था! मेरे मुँह से निकला, “अभी से!”
शायद ये मेरी आत्मा की पुकार थी, खुद के लिए कुछ करने की! इस चक्र को ख़त्म करने की।
एक वो दिन था और एक आज का दिन है… आगे आप समझ ही गए होंगे!
तो बात ये है कि ऐसा मंज़र कई परिवारों में दिखता है। हम आसानी से दूसरों को तो कह देते हैं, “चुपचाप गलत बात सहना और भी गलत है!” लेकिन जब खुद पर आती है तो…
खैर!
25 नवंबर International Day for the Elimination of Violence against Women है। इस बार UNESCO ने इस दिन के लिए को 25 नवंबर से 10 दिसंबर 2021 तक, जो कि ह्यूमन राइट्स डे के तौर पर मनाया जाता है, एक कम्पैन चलाया है 16 Days of Activism against Gender-Based Violence Campaign – जिसकी थीम है “Orange the world: End violence against women now!”
इस मुहीम को सपोर्ट करने के लिए हम भी शामिल हो रहे हैं, आपके साथ #abbas के ज़रिये!
#abbas एक प्रयास है विमेंस वेब का, आपके साथ मिलकर महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने का, उसे रोकने का।
हमारा मानना है कि जब एक आवाज़ के साथ कई आवाज़ें मिल जाती हैं, तो उनकी ताक़त के सामने कोई नहीं टिक पाता। तो अपनी आवाज़ उठाइये, अपनी कहानी, अपने व्यक्तिगत अनुभव को एक दूसरे के साथ साझा करिये।
क्या पता आपकी आवाज़ बाकी आवाज़ों के साथ मिल कर आपकी और दूसरों की ज़िन्दगी बदल दे, हमेशा-हमेशा के लिए!
तो देर न करें! इस कांटेस्ट के ज़रिये इस थीम से जुड़ें और अपने व्यक्तिगत अनुभव, दृष्टिकोण लिख भेजिए हमें!
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जल्द ही अपनी कहानी को अपलोड करें।
अंतिम तिथि : 21 नवंबर 2021, रात 11:59 बजे
तो देर किस बात की? हमें और आपके सह पाठकों इंतज़ार रहेगा आपकी कहानियों का।
इमेज सोर्स: Still from The Perfect Match, YouTube (इमेज सिर्फ प्रतिनिधित्व उद्देश्य के लिए है)
Editor at Women’s Web, Designer, Counselor & Art Therapy Practitioner. read more...
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