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"क्यों तुम्हारे पति तुम्हें समय नहीं देते? सीधा सेक्स? फोरप्ले नहीं?" फोरप्ले क्या है? फोरप्ले के तरीके क्या हैं? क्या है फोरप्ले के लाभ?
“क्यों तुम्हारे पति तुम्हें समय नहीं देते? सीधा सेक्स? फोरप्ले नहीं?” फोरप्ले क्या है? फोरप्ले के तरीके क्या हैं? क्या है फोरप्ले के लाभ?
ये अटल सत्य है कि रति क्षणों में अगर पति-पत्नी एक दूसरे के सुख के कारण और पूरक बने तो रिश्ता गुज़ारना नहीं पड़ता अपितु भरपूर जिया जाता है।
थके-हारे दिन के बाद! रोज यूँ ही गुजर जाने वाली, उबाऊ सी शाम का समय और मैं। सोचा बाहर टहल आऊँ। मगर चाय बनाई और बाल्कनी में चाय कि चुस्कियों में आनंद ढूँढने की कोशिश करने लगी।
तभी सामने के क्वार्टर में रहने वाली माया दिखाई दी। कितनी चुस्त, जीवंत सी लगती है। थकती नहीं? ये तो नौकरी भी करती है!
यूँ उसको मैं घूर ही रही थी कि उसने आवाज़ देकर मेरा हालचाल पूछा।
मेरी खिसियानी मुस्कान शायद उसे कोई चुगली कर गई और वो मेरी तरफ ही आने लगी।
मैंने खुद को समेटना शुरु किया और डोरबेल बजते ही उसका जीवंत लहजे में स्वागत करने का स्वांग किया। पर मैं ठहरी सीमा और वो माया। वो तो मानो आते ही, मेरे चेहरे के सारे प्रश्न सुलझाने की कोशिश में जुट गई।
फिर मैंने हार कर पूछ ही लिया, “माया, तुम कभी थकती नहीं?”
माया ने खूब खिलखिलाते हुए कहा, “नहीं! सुबह नौकरी के कामों का जोश होता है और शाम को रात के लिए!”
सीमा खिसिया कर हंसते हुए बोली, “रात के लिए जोश? मैं तो यही सोच कर होश खो बैठती हूँ कि हाए! रात आने वाली है!
माया ने स्वाभाविक की पूछ डाला, “क्यों भाई साहब समय नहीं देते? तुम्हारी इच्छा का सम्मान नहीं करते?”
सीमा ने व्यंग्य से कहा, “समय? वो तो आते ही आगे-पीछे लहराना-मटकाना शुरु कर देते हैं। वह तो चाहते हैं कि कभी मैं भी अपनी मर्जी से उनके पास आऊँ!”
“तो फिर तुम्हें और क्या चाहिए? उनका साथ दिया करो ना!”
“लेकिन मुझे तो शर्म आती है, ये क्या सोचेंगे?”
“अरे तुम्हारे पति हैं। कुछ नहीं सोचेंगे। बल्कि सोच-विचार छोड़ कर केवल साथ दो। आनंद लो-आनंद दो।”
“अच्छा! एक बात पूछूँ? भाई साहब, फोरप्ले करते हैं? कि सीधे मुद्दे अर्थात सेक्स पर ही आ जाते हैं? सेक्सोलाॅजिस्टस के अनुसार अगर इस समय का सदुपयोग किया जाए तो पति-पत्नी के बीच थकावट, उबाऊपन कि जगह केवल आनंद, आनंद और आनंद ही छाया रहे।”
सीमा ने खूब शर्माते, हिचकचाते हुए, “आनंद लो-आनंद दो! अच्छा? लेकिन ये फोरप्ले क्या है?”
माया ने रसिक गंभीरता से समझाते हुए उसे समझाया, “फोरप्ले काम क्रीड़ा कि मंजिल अर्थात् रतिक्रीड़ा से पहले के वो पल जिसमें कोमल स्पर्श से कामोत्तेजना को जागृत किया जाता है।
फोरप्ले की शुरुआत में अपने दिल का हाल, नजरों से बयां करते-करते, पति हाथ बढ़ा कर अपनी पत्नी को अपनी बाहों में भर कर अपनी बाहों के झूले में कोमलता से अपने अंग-अंग के समीप लाता है। अपने होठों को प्रेयसी के कानों के पास धीरे से लाकर अपनी इच्छा, अपने हाव-भाव के जरिए, उसके दिल में उतारना और ये कोमल क्रीड़ा तब तक करते जाना जब तक कि उनकी इच्छा, आपकी इच्छा ना बन जाए और इसके बाद उन अंतरंग क्षणों को जो वेग, जो गति मिलेगी वो दोनों को चरम सुख कि आनंदानुभूति करवा, इन पलों को मानो अमर कर देगी।”
साधारण शब्दों में फोरप्ले, मुख्य प्ले से पहले का प्ले, खेल या काम क्रीड़ा ही है। सेक्सोलाॅजिस्टस के अनुसार अगर इस समय का सदुपयोग किया जाए तो सारी मेहनत एक की नहीं रहती बल्कि दम्पति में बंट जाती है। थकावट, उबाऊपन कि जगह केवल आनंद, आनंद और आनंद!
सीमा ने शर्माते हुए कहा, “ये सब तो, वो करते हैं पर मैं ही शर्म के मारे हाथ झटक देती हूँ कि रोज़-रोज़ एक ही काम! ऐसा लगता है अगर मैंने हां की तो वो क्या सोचेंगे कि मैं…”
“यहीं तुम गलत हो। तुम खुद आनंद लेने से डरती हो, खुलने से डरती हो। तभी तो ना आनंद ले पाती हो, ना आनंद दे पाती हो। मैं सच्ची बात बताऊं कि तुम बहुत भाग्यशाली हो जो तुम्हारे पति तुम्हें ये अमूल्य समय देते हैं। नहीं तो अधिकतर भारतीय मर्द तो बस तालाब की थाह नापे बिना बस छलांग लगा देते हैं।
पत्नी को आनंद मिला कि नहीं, इसकी वे चिंता नहीं करते। हमारा पितृसत्तात्मक समाज पुरुष को संतुष्ट और खुश रखने पर ज़ोर देता है, परन्तु औरत को क्या पसंद है, क्या नहीं, इसका समय पुरुषों के पास नहीं और माहौल भी नहीं।
बुरा ना मानना, सीमा! स्थिति वहां पर और भी बुरी हो जाती है जब तुम जैसी सीमित सोच से बाहर ना निकलने वाली सीमाएं, इस बात को समझती नहीं और अपने आपको बदलना भी नहीं चाहती। तुम सचमुच ख़ुशकिस्मत हो। अपने दिमाग की सीमा से निकल कर, उनसे खुल कर बात करो, और अपने तन-मन को उनकी इच्छा से एक कर दो। फोरप्ले क्या है ये समझो और उन्हें समझाओ।”
सीमा ने समर्थन में मुस्कान भर, शर्माते हुए कहा, “ठीक है गुरु जी। चलो और कोई बात करते हैं।”
“क्यों? अभी से मन मचलने लगा, फोरप्ले के लिए! अरे ये फोरप्ले है ही ऐसी चीज़! अच्छा, तुम तो सितार बजा लेती हो ना? ये फोर प्ले भी बस ऐसा ही है। ऐसा कोमल, मादक स्पर्श है जैसा स्पर्श सितार पर मटकती, लहराती उँगलियाँ अपने कोमल स्पर्श से उठने वाली तरंगों से मंत्र-मुग्ध स्वर लहरियों को जन्म देती हैं। उस समय वादक और वाद्य में कोई अंतर नहीं रह जाता दोनों एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं। अनमोल, अनुपम क्षण जिसमें सब ओर बस वही धुन सुनाई देती है जिसे वो दोनों साकार करने कि कोशिश कर रहे हैं और अंत में दोनों ही अद्भुत आनंद कि अनुभूति से सरोबार हो जाते हैं।”
सीमा ने अब उसत्सुक्ता से पुछा, “अच्छा! फोरप्ले के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं?”
माया ने बताया, “फोरप्ले के बहुत से तरीके हैं। कई लोग कहते हैं कि बातें करना वगैरह भी फोरप्ले में आता है।
हाँ! अगर पहली बार या पहली रात है तो जोड़े पहले बातें करके ही एक दूसरे को अपने विश्वास में लेंगे न। सीधे ही स्पर्श करने लगे तो लगेगा मानो झप्पटा मारने लगे हों। शारीरिक रूप से जुड़ने से पहले, एक दूसरे को मानसिक तथा भावनात्मक रूप से जुड़ना पड़ता है। जब ये तैयारी हो जाए तो फिर असली फोरप्ले शुरू होता है जिसमें प्रेमी युगल पास आते हैं। फिर अपने हाव-भाव, अपने शरीर के क्रियाकलाप से एक दूसरे के करीब, करीब और करीब आते जाते हैं।
इस समय खुशी, आनंद, चरम सुख का अधिकार दोनों का एक सा है। अगर एक कि तरफ पलड़ा भारी रखा जाएगा तो वह क्षणिक सुख आगे कि कड़ी को तोड़ सकता है। थकावट भरा हो सकता है। कई बार तो औरतों में डर-भय का कारण तक बन जाता है। जिससे ज़्यादातर वो लड़कियां या औरतें केवल इस घड़ी के आने पर घबरा जाती हैं।”
“फोरप्ले करने के लिए दोनों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार ये ऑगेज्म को जल्दी लाने का कारण बनता है। समय के पीछे भागने वाले हम लोग, हर कार्य को कम समय में निपटाने कि होड़ में रहते हैं। इसी लिए निपटाने और आनंद लेने में फ़र्क रह जाता है।
इसलिए एक दूसरे को भावनात्मक, मानसिक और शारिरिक रूप से समय दें। अगर हम अपने इस रिश्ते को समय नहीं देंगे तो फिर किसे देंगे।”
सीमा ने अब पुछा, “तुम्हें ये सब बातें कहाँ से पता चलती हैं?”
माया ने बताया, “अरे वो तुम्हें डॉ कामिनी का पता है ना? वह सेक्सोलाॅजिस्ट है। उनके आर्टिकल पढ़ती हूँ।”
“अच्छा? तो फिर ये भी बता कि फोरप्ले में क्या-क्या किया जाता है?”
“अब आ रही है न लाइन पर!
फोरप्ले में पत्नी को आगोश में भरने, बालों में उँगलियाँ फेरने, माथे से लेकर पाँव तक हर अंग-प्रत्यंग को छूने-चूमने, सहलाने। उंगलियों, जीभ का मादक स्पर्श ये सब आता है।
इन क्षणों को आपके अंग वस्त्र (लॉंजरी), कमरे का माहौल(मादक पर्फ्यूम, हल्की सी रौशनी), शीशा, कुछ मादक तस्वीरें, वीडियो, वगैरह भी अधिक कामातुर बना सकते हैं।
शावर इकट्ठे लिया जा सकता है।
क्लोज़-इंटीमेट डांस से शुरुआत कर सकते हैं।
आइस्क्रीम, चाक्लेट और भी बहुत कुछ पार्टनर ट्राई कर सकते हैं। ओरल सेक्स को भी इस गतिविधि में शामिल किया जा सकता है।
तो जो-जो फोरप्ले में आपकी रूचि के साथ-साथ आपके पार्टनर को अच्छी लगें उन सब सहायक चीजों का भरपूर प्रयोग करें।
अपने पार्टनर को सेड्यूस (बहकाएं) करें। छोटी-छोटी शरारतें, खेल जो आप दोनों को और खुल कर मिलने का कारण बनें।
समझी?”
“हाँ! पर ये बता, फोरप्ले का फायदा क्या केवल भावनात्मक संबंध बनाना होता है या इसका कोई और भी लाभ है?”
माया ने इसका भी जवाब दिया, “इसके बहुत से फायदे हैं। जो कि निम्नलिखित हैं।
तो सीमा जी, समझे?”
ये जीवन भर का साथ है। जीवन दिया है तो समय देने में क्या हर्ज़ है। सर्वस्व तो दे ही चुके हैं तो फिर कमी कहीं, रहनी नहीं चाहिए। वो आपके हैं, आप उनके! तो बताने, दर्शाने में ढील नहीं रहनी चाहिए। हाथ झटकें नहीं! हाथ थाम लें।
ये अटल सत्य है कि रात के रति क्षणों में अगर पति-पत्नी पूर्ण सहयोग करें, एक दूसरे के सुख के कारण और पूरक बने तो रिश्ता गुज़ारना नहीं पड़ता अपितु भरपूर जिया जाता है। फिर ये संयोग, संभोग का योग ही होगा और युगल बराबर रूप से इन पलों के आने का बेसब्री से इंतजार करेगा, ना कि डरेगा या डराएगा।
इमेज सोर्स: March Sirawit Hengthabathim via Canva Pro
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