कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
महिलाओं में हर्निया के लक्षण कई हैं इसलिए समय रहते डॉक्टर से सम्पर्क करें। हर्निया के इलाज में देर करने से स्थिति बिगड़ती है।
महिलाओं में हर्निया के लक्षण कई हो सकते हैं। समय रहते उन्हें पहचान कर डॉक्टर से सम्पर्क करने में समझदारी है। शुरू-शुरू में हर्निया में दर्द महसूस नहीं होता पर देर करने से स्थिति बिगड़ सकती है।
आज इस लेख में हम जानेंगे महिलाओं में हर्निया के लक्षण के बारे में। हर्निया ऐसे तो ज़्यादातर पुरुषों में होने वाली बीमारी है पर महिलाओं और छोटे बच्चों में भी ये बड़ी संख्या में होती है।
हर्निया क्या है?
हर्निया कई अलग-अलग प्रकार के होते हैं पर सबसे आम है, जब आंत का एक हिस्सा पेट की मांसपेशियां दीवार के एक कमजोर हिस्से से बाहर आ जाता है। मतलब जब हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को अपनी जगह पर थामे रखने वाले मसल-वॉल (muscle wall) मेम्ब्रेन(membrane) या टिशू जब कहीं से कमजोर हो जाते हैं या उनमें कहीं छेद हो जाता है, इस विकृति को ही हर्निया कहा जाता है।
महिलाओं में हर्निया के लक्षण कई हो सकते हैं। समय रहते उन्हें पहचान कर डॉक्टर से सम्पर्क करने में समझदारी है। शुरू-शुरू में हर्निया में दर्द महसूस नहीं होता पर, देर करने से स्थिति बिगड़ सकती है। हर्निया के मुख्य लक्षण हैं –
हर्निया आपके शरीर के विभिन्न अंगों को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकता है, परंतु स्टमक एरिया में होने वाला हर्निया सबसे आम होता है।
इन हर्नियाओं में ये सब शामिल हैं-
हियेटल हर्निया महिलाओं में ज्यादा होता है। स्टमक के ऊपरी भाग को प्रभावित करता है। चेस्ट और ऐब्डोमेन को विभाजित करने वाले डायाफ्राम में पाये जाने वाले छेद को हियेटस कहते हैं। हियेटल हर्निया दो प्रकार के होते हैं- स्लाइडिंग या पैरा-इसोफ़ेजियल।
फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है। फीमोरल अर्थात जघनास्थिक हर्निया, हर्निया के कुल मामलों में से लगभग 20 प्रतिशत ही होता है। इस में पेट के अंग जांघ की पैर में जाने वाली धमनी में मौजूद मुँह से बाहर निकल आते हैं। इस धमनी का काम पैर में खून की आपूर्ति करना होता है।
फैट के छोटे स्तर के, ब्रेस्ट बोन और नाभि के मध्य बैली-वाल में छेद करके बाहर निकलने से होता है। यह एक ही समय में आपको एक से अधिक हो सकता है। एपीगैस्ट्रिक हर्निया अक्सर बिना किसी लक्षण के होता है इसीलिए इसके इलाज़ के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
इनसिजनल हर्निया (Incisional hernia) तब होता है, जब ऐब्डोमिनल सर्जरी के बाद उचित देख-भाल नहीं होती है और सर्जरी वाली जगह से आंतरिक अंग बाहर निकलने लगता है। अक्सर मेश की लाइनिंग को सही ढंग से स्थापित न करने से आंत, मेश में से स्लिप करके बाहर आने लगता है और हर्निया हो जाता है।
अंबेलिकल हर्निया (Umbilical hernia) विशेष कर नवजात शिशुओं में होता है। जब बच्चा रोता है तो उसके नाभि के आस-पास के क्षेत्र में एक लम्प बाहर की ओर निकल आता है।
मोटापे से पीड़ित महिला हर्निया से ग्रस्त हो सकती हैं। हर्निया से पीड़ित होने पर मांस-पेशियों में गैप होने से आंत बाहर आ जाती है और कई बार रोगी का खाना-पीना बंद हो जाता है। साथ ही साथ आंत खराब होने का डर रहता है। इन सबसे बचने के लिए मोटापे से छुटकारा पाना लाजमी है।
मोटापे पर काबू पाकर हर्निया से बचा जा सकता है। गर्भवती महिला को भी हर्निया की आशंका होती है। इसके अतिरिक्त हर्निया की समस्या उन लोगोंं में ज़्यादा होती है, जिन्होंने कभी अधिक वजन उठाया हो, गहरी चोट के संपर्क में आए हों, कोई ऑपरेशन करवाया हो। यह समस्या उनमें भी हो सकती है, जिन्हें लंबे समय तक कब्ज या खांसी की समस्या होती है।
हर्निया का उपचार सर्जरी के माध्यम से किया जाता है।
इसमें में दो तरह की सर्जरी होती है- पहली ओपन सर्जरी और दूसरी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी।
ओपन सर्जरी में मरीज को 6 महीने तक आराम करने के लिए कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को 6 महीने तक कोई भी मुश्किल शारीरिक गतिविधि नहीं करनी चाहिए।
वहीं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में जनरल एनेस्थीसिया देकर लोकल सर्जरी की जाती है। इसमें छोटा सा चीरा लगाया जाता है। दिल के मरीजों को चिकित्सक लोकल सर्जरी की सलाह देते हैं।
हर्निया आज एक आम बीमारी है। इससे बहुत सी महिलाएँ पीड़ित हैं। लेकिन या तो वह इस बीमारी से अभी तक अनभिज्ञ हैं या फिर डॉक्टर के पास तभी जाती हैं, जब तकलीफ असहनीय हो जाती है।
ये कहें कि आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में हम में से किसी के पास भी समय नहीं है कि वो अपने शरीर का ध्यान रख सकें पर अगर समय रहते हम महिलाएँ अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाएँ तो योग, सही खान-पान और नियमित दिनचर्या के द्वारा इस समस्या से निजात पा सकती हैं।
इमेज सोर्स: Frazao from Getty Images via Canva Pro
Ashlesha Thakur started her foray into the world of media at the age of 7 as a child artist on All India Radio. After finishing her education she joined a Television News channel as a read more...
Please enter your email address