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मलाला यूसुफजई और असर मालिक की हुई बिना किसी शोर-शराबे के शादी

मलाला यूसुफजई ने अपने परिवार की मौजूदगी में ब्रिटेन के बर्मिंघम स्थित अपने घर में बिना शोर-शराबे के असर मलिक से साधारण सी शादी की।

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मलाला यूसुफजई ने अपने परिवार की मौजूदगी में ब्रिटेन के बर्मिंघम स्थित अपने घर में बिना शोर-शराबे के असर मलिक से साधारण सी शादी की।

9 नवम्बर, 2021 को नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसुफ़ज़ई ने असर मलिक के साथ शादी कर ली है। मलाला ने अपने सोशल मीडिया पर शादी की तस्वीरें पोस्ट करते हुए ये बात साझी की।

उन्होंने लिखा, “आज का दिन मेरे जीवन का एक अनमोल दिन है। असर और मैं जीवन भर के लिए एक-दूसरे के भागीदार बनने के लिए शादी के बंधन में बंध गए। हमने अपने परिवारों के साथ बर्मिंघम में घर पर एक छोटा निकाह समारोह मनाया। कृपया हमें अपनी शुभकामनाएं दीजिए। हम दोनों आगे की यात्रा में साथ-साथ चलने के लिए तैयार हैं।”

मलाला युसुफज़ई ने अपने परिवार की मौजूदगी में ब्रिटेन के बर्मिंघम स्थित अपने घर में बिना शोर-शराबे के साधारण सी शादी की। उनके पति असर मलिक पेशे से एक एंट्रपेन्योर हैं और स्पोर्ट्स से जुड़े हुए हैं। फिलहाल वह पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में जनरल मैनेजेर के पद पर काम कर रहे हैं। वह LMS (Last Man Stands) पाकिस्तान के फाउंडर भी हैं और उन्होंने मुल्तान सुल्तान टीम के लिए भी कई डिवलपमेंट प्रोग्राम बनाए हैं। वो पाकिस्तान के लाहौर में पैदा हुए और उन्होंने लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस से इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में अपनी पढ़ाई पूरी की है।

मलाला यूसुफजई की शादी: मलाला यूसुफज़ई और असर मलिक की दोस्ती मज़बूत रिश्ते में बदल गई (Malala Yousafzai Asser Malik Nikaah)

मलाला और असर एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं। वो दोनों अच्छे दोस्त हैं। असर के सोशल मीडिया पर कुछ पुरानी तस्वीरें हैं जिसमें मलाला भी नज़र आ रही हैं। इनमें से एक तस्वीर 2019 के दौरान इंग्लैंड के एडग्बैस्टन स्टेडियम में हो रहे एक मैच की है। इसमें मलाला और असर अपने बाकी दोस्तों के साथ नज़र आ रहे हैं। एक और तस्वीर लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम की है।

मलाला को बॉलीवुड स्टार प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, हॉलीवुड एक्ट्रेस रिज़ विदरस्पून जैसे कई नामचीन लोगों ने सोशल मीडिया पर शादी की बधाई दी है। इसी साल जुलाई महीने में मलाला ने फैशन मैगज़ीन वोग को एक इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने शादी के मुद्दे पर कहा था कि “यूनिवर्सिटी के दूसरे वर्ष तक, मैं यही सोचती थी कि मैं कभी शादी नहीं करूंगी, बच्चे पैदा नहीं करूंगी, बस काम करूंगी. मैं ख़ुश रहूंगी और हमेशा अपने परिवार के साथ रहूंगी. लेकिन मुझे नहीं पता था कि हम हमेशा एक जैसे इंसान नहीं रहते. हमारे अंदर बदलाव आता है और हमारी सोच बदल जाती है।”

मलाला यूसुफजई को दुनिया जानती है

मलाला यूसुफज़ई का नाम दुनिया जानती है क्योंकि वो पहली शख्स थी जिन्हें 17 साल की छोटी सी उम्र में नोबेल प्राइज़ मिला था। मलाला को ये पुरस्कार उस घटना के बाद मिला था जिसने चंद पलों में उनकी ज़िंदगी बदल दी थी। 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान की स्वात घाटी के मिंगोरा में पैदा हुई मलाला को क्या पता था कि उनका जन्म किसी बड़े इरादे के लिए हुआ है।

उसने तो स्कूल जाने के अपने हक को छिनते हुए देखा तो रह ना सकीं। मलाला जब आठवीं क्लास में पढ़ती थी तब तालिबान ने स्वात घाटी पर कब्ज़ा कर लिया था। 2007-2009 तक का माहौल दहशत से भरा था। तालिबान का ख़ौफ़ इस कदर बढ़ा कि देखते ही देखते कई स्कूल बंद हो गए, टीवी चलाना, गाने सुनना सब बंद हो गया। बात ना मानने वालों को सख्त सज़ा दी जाती थी। लड़कियों की पढ़ाई पर तो पूरी तरह से बैन कर दिया गया था।

मलाला हमेशा से पढ़ने की शौकीन था लेकिन वो चाह कर भी स्कूल नहीं जा पा रही थी। उसने अपने शिक्षक पिता जियाउद्दीन युसुफज़ई से कहा कि मुझे किसी भी हाल में पढ़ाई तो करनी ही है। एक बेटी के पैदा होने पर भी कई मां-बाप बेटे की चाहत करते हैं लेकिन मलाला के पिता ने अपनी बेटी को हर वो मौका देने की कोशिश की जो एक बेटे को मिलती है। उसकी पढ़ाई का हक छीनता देख मलाला के पिता 2008 में उसे पेशावर ले गए। 11 साल की मलाला तब नहीं जानती थी कि वो कभी मुड़कर वापस आ पाएगी कि नहीं।

पेशावर में मीडिया के सामने मलाला ने how dare the Taliban take away my basic right to education? नाम से भाषण दिया था। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को लेकर आवाज़ उठाई जिसके बाद वो तालिबान के निशाने पर आ गईं। 2009 में मलाला ने ‘गुल मकई’ नाम से बीबीसी ऊर्दू के लिए एक डायरी भी लिखी थी जिसमें तालिबान की सारी करतूतों का कच्चा-चिट्ठा था।

अक्टूबर 2012 को मलाला जब स्कूल बस से घर वापस आ रही थी तो बौखलाए तालिबान के मास्क पहने बंदूक वाले शख्स ने उसके सिर में गोली मार दी। मलाला 10 दिन बाद इंग्लैंड के बर्मिंघम में अस्पताल में थी जहां सब उसकी सलामती की दुआएं मांग रहे थे। ज़िंदगी और मौत की जंग के बाद मलाला अपने घरवालों के साथ इंग्लैंड में बस गई लेकिन इस घटना के बाद मलाला ने ठान लिया कि वो आख़िरी सांस तक जब तक कि हर बच्ची को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलेगा लड़ती रहेंगी।

पिता के सहयोग से मलाला फंड की स्थापना की। संयुष्ट राष्ट्र संघ ने मलाला के 16वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित कर दिया था और 2013 में मलाला ने अपनी सारी कहानी ‘आय एम मलाला’ किताब में लिखी थी। अपनी इन्हीं कोशिशों की वजह से 2014 में मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

इसके अलावा भी मलाला को उनकी बहादुरी और निर्भीकता से लड़ने के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

मलाला युसुफ़ज़ई ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से फिलोसफी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स की शिक्षा हासिल की है। वो कई देशों में जाकर वहां की उन लड़कियों से मिलती हैं जो गरीबी, अशिक्षा, बाल विवाह जैसे कई भेदभावों से लड़ रही हैं। मलाला फंड उन ज़रूरतमंद बच्चियों की सहायता करके उन्हें जीने की नई उम्मीद देता है।

छोटी में उम्र में बड़े इरादों वाली सबकी प्यारी ‘गुल मकई’ को नए जीवन की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं!

इमेज सोर्स: Instagram/Twitter 

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