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नई कहानी अभियान की पुरोधा कहानीकार मन्नू भंडारी ने आज, 15 नवंबर 2021 को, हम सब को नब्बे वर्ष की उम्र में अलविदा कह दिया!
हिंदी साहित्य के इतिहास में मन्नू भंडारी का नाम सुनहरे अक्षरों में लिया जाता है। स्वतंत्रता के बाद जिन कहानीकारों ने अपनी विशिष्ट एवं अलग पहचान बना कर हिंदी कहानी को एक नई दिशा दी थी, उसमें मन्नू भंडारी का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार सुख संपत राय जी के यहां मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 में हुआ था। मन्नू भंडारी का बचपन मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में बीता। लेखिका का वास्तविक नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए इन्होने ने अपना नाम बदलकर मन्नू रखा। इनके दो भाई और तीन बहने थीं, जिसमें यह सबसे छोटी थीं।
मन्नू भंडारी को लेखन का संस्कार अपने पिता श्री सुख संपत राय जी से मिला, जो एक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और देश के पहले इंग्लिश से हिंदी और हिंदी से मराठी शब्दकोश के निर्माता थे। इनकी शिक्षा दीक्षा अजमेर तथा राजस्थान में हुई। इन्होंने कोलकता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया एवं हिंदी और साहित्य भाषा में एम. ए. करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय गई।
मन्नू भंडारी 1959 में प्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव की धर्मपत्नी बनीं। इन्होने 1952-1961 तक डायरेक्टर बालीगंज शिक्षा सदन, 1961-1965 तक रानी बिरला कॉलेज कोलकाता, 1964-1991 तक मिरांडा हाउस दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। ये विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन प्रेमचंद सृजन पीठ में 1992-1994 तक डायरेक्टर थी ।
1950 में हमारे देश को आजादी मिले हुए कुछ ही समय बीता था। उस समय हमारे देश में सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से बदलाव हो रहा था। देश की नारियां सामाजिक समस्याओं के बदलाव से जूझ रही थीं।
मन्नू भंडारी का लेखन हमेशा स्त्री व पुरुष के बीच में असमानताओं पर आधारित था। भारतीय नारी के तथाकथित आदर्शो में छटपटाती आकांक्षाओं और लालसाओ की निर्भीक वाणी मन्नू भंडारी थीं। अपनी रचनाओं से मन्नू भंडारी ने नारी को अपने पारंपरिक छवि से बाहर निकालकर मानवीय नारी के रूप में प्रस्तुत किया।
नई कहानी अभियान के समय के लेखक निर्मला वर्मा, राजेंद्र यादव, भीष्म साहनी, कमलेश्वर आदि ने उन्हें अभियान की एक प्रसिद्ध लेखिका बताया था।
• अकेली • आप का बंटी (1971) • स्वामी • एक इंच मुस्कान (1962) • महाभोज (1971) • यही सच है (1966)
अकेली सोमा बुआ की कहानी है, जो सभी के काम आतीहैं। उनका पति और पुत्र उन्हें छोड़कर चला गए, लेकिन वह अपनी मीठी वाणी से पूरे मोहल्ले की बुआ बन गई । मन्नू भंडारी की लेखनी में बुआ का चित्रण इतना सजीव है कि प्रेमचंद्र की बूढ़ी काकी पात्र का स्मरण हो जाता है ।
इस प्रसिद्ध उपन्यास का मुख्य पात्र बंटी है, जिसकी मां उसके पिता से अलग हो जाती है। बंटी, अलग हुई मां को किसी दूसरे पुरुष के साथ देखना पसंद नहीं करता । बाल अंतर्मन में उमड़े-घुमड़े भाव को मन्नू भंडारी ने इतना सशक्त चित्रण किया है कि उनका बंटी सबका बंटी लगने लगता है ।
स्वामी की पटकथा पर हिंदी फिल्म भी बनी है। इस उपन्यास में पात्रों के मनोभावों एवं घटनाओं का ऐसा सुंदर ,रोचक एवं प्रभाव पूर्ण चित्रण है कि उसकी नायिका “मिनी” मानो सामने आ खड़ी हो।
मन्नू भंडारी और उनके पति राजेंद्र यादव ने एक साथ मिलकर इस उपन्यास की रचना की। एक इंच मुस्कान आधुनिक शिक्षित लोगों की एक दुखद प्रेम कथा है।
यह उपन्यास नौकरशाही और राजनीति में हो रहे भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा को दर्शाता है। इस उपन्यास पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था।
इस उपन्यास पर आधारित फिल्म रजनीगंधा अत्यंत लोकप्रिय हुई थी ।
• एक प्लेट सैलाब (1962) • मैं हार गई (1957) • तीन निगाहों की एक तस्वीर • आंखों देखा झूठ • त्रिशंकु • नायक खलनायक विदूषक • कलवा • रजनी • निर्मला • दर्पण • एक कहानी यह भी • बिना दीवार का घर (1966) (नाटक)
हिंदी सिनेमा के नायक प्रधान फिल्मों के युग में नारी प्रधान फिल्में जैसे रजनीगंधा और स्वामी के लिए संवाद लिखे।
मन्नू भंडारी को उनकी आत्मकथा “एक कहानी यह भी” के लिए केके बिरला फाउंडेशन की तरफ से 2008 में व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड हर साल हिंदी साहित्य में अतुलनीय उपलब्धियां प्राप्त करने वाले लेखकों को दिया जाता है। 1974 में उनकी कहानी “यही सच है” पर आधारित फिल्म “रजनीगंधा” को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।
• हिंदी अकादमी पुरस्कार • दिल्ली का शिखर सम्मान • भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता • व्यास सम्मान • उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार • शब्द साधक शिखर सम्मान • राजस्थान संगीत नाटक अकादमी
लोकप्रियता के शिखर को छू लेने वाली लेखिका मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की उन महिला लेखिकाओं में स्थान रखती हैं जिन्होंने कहानी के स्वरूप को नई जमीन दी। चाहे कहानी हो या उपन्यास प्रत्येक पात्र प्रत्येक घटना बड़ी सजीवता के साथ पाठकों के समक्ष आ खड़ी होती है। जितनी ख्याति और लोकप्रियता उन्हें प्राप्त थी, वह अपने में एक उदाहरण है।
भले ही आज मन्नू जी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वो अपने पिरोये गए किरदारों के ज़रिये हमारे बीच हमेशा अमर रहेंगी!
आप बताइए कि आपको मन्नू भंडारी की कौन सी कहानी और उपन्यास पढ़ी है?
संदर्भ: विकिपीडिया; “मन्नू भंडारी की जीवनी”
इमेज सोर्स: विकिपीडिया
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