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अपने बच्चों के खातिर जानिये पॉक्सो एक्ट में किस अपराध की क्या सजा है

भारत में लैंगिक हमलों से बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये विशेष न्यायलयों की स्थापना की गई और पॉक्सो एक्ट 2012 लागू किया गया। 

भारत में लैंगिक हमलों से बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये विशेष न्यायलयों की स्थापना की गई और पॉक्सो एक्ट 2012 लागू किया गया। 

आज समाज में जहाँ हर तरह के अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं वहाँ अब महिलाएँ ही नहीं बल्कि बच्चे भी असुरक्षित हो गए हैं।

हम सब सुनते हैं और जानते हैं कि बच्चे प्रतिदिन किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़न झेलते हैं। यह उत्पीड़न घर, स्कूल, अनाथालय, सम्प्रेषण गृह, बाल सुधार गृह, जेल, कार्यस्थल या सड़कों पर, मतलब कहीं भी हो सकता है। संसार के 19% बच्चे भारत में निवास करते हैं। बच्चों के साथ हुआ किसी भी प्रकार का यौन शोषण या उत्पीड़न न केवल उनके शरीर पर उनके मन पर भी गंभीर असर डालता है। अक्सर ऐसे दौर से गुज़रे बच्चे बड़े होते हुए मनोवैज्ञानिक समस्याओं से घिर जाते हैं और उनसे कभी उबर नहीं पाते। जिसके कारण उनका भविष्य सही राह पर नहीं जा पाता।

बच्चों के मन से निकालना है डर

यौन अपराधों से बच्चों को बचाए रखने के लिए सबसे पहले हमें उनका विश्वास जीतना चाहिए। अक्सर बच्चे अपने ही माँ-बाप से निजी बातें करने या बताने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बात पर विश्वास नहीं किया जाएगा और उनकी डांट पड़ेगी। सबसे पहले बच्चों के मन से इसी डर को भगाना है। यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चे अपने माँ-बाप से निडर होकर सब कुछ बता सकें। तभी संभव है यह जान पाना कि कहीं किसी भी जगह उनके साथ कोई दुर्व्यवहार तो नहीं हो रहा जिसे वो डर के मारे सह रहे हैं।

खुद भी जागरूक हों और बच्चों को भी करें

आज के बच्चे कल का भविष्य हैं,  उन्हें सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी हमारी है और बच्चों के प्रति होने वाले यौन अपराधों के बारे में हमें सचेत रहना चाहिए। बच्चों को उचित रूप से इनसे बचने का मार्ग दिखाना चाहिए और अच्छे-बुरे स्पर्श में अंतर समझाना चाहिए। केवल इतना ही नहीं हमारे लिए यह भी जानना ज़रूरी है कि बच्चों के प्रति घटने वाले अपराधों से निपटने के लिए हमारे कानून में किस प्रकार की व्यवस्था और दंड विधान है।

इस लेख के ज़रिये आप यह जानेंगे कि बच्चों के प्रति होने वाले यौन अपराध क्या-क्या हैं और इनके लिए किस प्रकार की न्यायप्रणाली और दंड की व्यवस्था है। इस लेख में साझा की गई जानकारी को न केवल वयस्क समझें बल्कि अपने बच्चे जो समझदारी की उम्र पर आ चुके हैं, उन्हें भी इस कानून और इसके विस्तार के बारे में बताएँ। बच्चों को अपने शरीर के प्रति जागरूक होने और उसकी सुरक्षा के लिए न केवल चिकित्सीय बल्कि कानून की जानकारियाँ भी देना आवश्यक है।

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 या पॉक्सो एक्ट के अनुसार बच्चों के प्रति यौन अपराध किस-किस प्रकार के होते हैं और कानून में उनके लिए क्या दंड विधान है?

भारत में तेज़ी से बढ़ते हुए लैंगिक हमलों, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य से बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये और ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायलयों की स्थापना की गई है और उनसे संबन्धित विषयों के लिए उपबंध करने के लिए ‘लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 लागू किया गया जिसे हम POCSO ACT या Protection Of Children From Sexual Offences Act, 2012 के नाम से भी जानते हैं।

हालांकि भारत सरकार ने 11 दिसम्बर, 1992 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा अपनाया गया बच्चों के अधिकारों से संबन्धित समझौते को अपनाया लिया था, जो बच्चों के सर्वोत्तम हितों को सुरक्षित करता है। परंतु वर्ष 2012 में इसे पूरी तरह से कानून बना दिया गया।

पॉक्सो एक्ट 2012 के अंतर्गत शामिल किए गए अपराधों की सूची, उनका अर्थ और उनके लिए दंड का प्रावधान इस प्रकार है:

  1. लैंगिक हमला (sexual assault):

जो कोई लैंगिक यानि बालक की योनि (vagina), लिंग (penis), गुदा (anus) या स्तनों (breasts) को स्पर्श करता है या किसी अन्य व्यक्ति से करवाता है जिसमे प्रवेशन (penetration) किए बिना शारीरिक संपर्क होता है, लैंगिक हमले की श्रेणी में आता है।

दंड:

इस अपराध के लिए न्यूनतम 3 वर्ष की अवधि और अधिकतम 5 वर्ष की अवधि तक का कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।

  1. लैंगिक उत्पीड़न (sexual harassment):

लैंगिक उत्पीड़न का मतलब है-

  • किसी बच्चे को अश्लील चित्र, ध्वनि, या वस्तु दिखाना, सुनाना या प्रदर्शित करना, शरीर का कोई भाग दिखाना या उसके शरीर के किसी भाग को प्रदर्शित करना;
  • अश्लील प्रायासों के लिए किसी भी रूप या मीडिया में किसी बच्चे को कोई वस्तु दिखाना;
  • बच्चे के शरीर का या किसी भाग की तस्वीर लेना या विडियो बनाना;
  • अश्लील कामों के लिए किसी बच्चे को लालच देना।

दंड:

इस अपराध के लिए अधिकतम 3 वर्ष की अवधि का कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।

  1. प्रवेशन लैंगिक हमला (penetrative sexual assault):

प्रवेशन लैंगिक हमले का मतलब है-

  • किसी भी व्यक्ति द्वारा खुद या किसी और के द्वारा जब अपना लिंग (penis), किसी भी सीमा तक किसी बच्चे की योनि (vagina), मुंह (mouth), मूत्रमार्ग (urinary track) या गुदा (anus) में प्रवेश कराना।
  • किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी सीमा तक बच्चे के योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में डालना है या किसी और से डलवाना
  • बच्चे के शरीर के साथ ऐसा कोई प्रयास करना जिससे वह खुद या किसी और के द्वारा बच्चे के मुंह, योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में कोई वस्तु या लिंग का प्रवेश करा सके।
  • स्वयं या किसी और के द्वारा बच्चे के निजी हिस्सों (private parts) पर अपना मुंह लगाना।

दंड:

प्रवेशन लैंगिक हमले के अपराधी के लिए न्यूनतम सात वर्ष का कारावास या अधिकतम आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त वह जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।

  1. गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला (aggravated penetrative sexual assault):

गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमले से तातपर्य है-

  • यदि कोई पुलिस अधिकारी, सशस्त्र सेना बल या सुरक्षा बल का सदस्य किसी बच्चे पर पुलिस थाने या अपनी नियुक्ति के परिसर की सीमाओं के भीतर या किसी थाने के परिसर में, चाहे वो वहाँ पर रहता हो या नहीं पर जहाँ वो मौजूद है, या जहाँ उसकी पुलिस अधिकारी के रूप में पहचान की गई हो, प्रवेशन लैंगिक हमला करता है;
  • या कोई लोक सेवक, किसी जेल, प्रतिशेषण गृह (remittance house), बाल सम्प्रेषण गृह (child communication home) का कर्मचारी अभिरक्षा/संरक्षण/देखरेख के स्थान पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है;
  • या किसी अस्पताल (सरकारी या प्राइवेट) का कर्मचारी अस्पताल में किसी बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है;
  • या किसी शैक्षणिक संस्था (educational institution) या धार्मिक संस्था (religious institution) का कर्मचारी संस्था में किसी बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है;
  • या जो कोई भी, किसी बच्चे पर सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला करता है;
  • या कोई, किसी बच्चे पर घातक हथियार या गरम पदार्थ का प्रयोग करते हुए प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या किसी भी प्रकार से बच्चे को शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाते हुए, उसकी यानांगों (genitals) को नुकसान पहुँचाता है, या एक से अधिक बार प्रवेशन लैंगिक हमला करता है, या उसे सार्वजनिक रूप से नग्न करता है या नग्न कर के उसका प्रदर्शन करता है वहाँ इसे गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला कहते हैं।

दंड:

गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमले के अपराधी के लिए न्यूनतम सात वर्ष का कारावास या आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त वह जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।

  1. गुरुतर लैंगिक हमला (aggravated sexual assault):

गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमले के अंतर्गत चिन्हित वे सभी प्रकार के व्यक्ति, स्थान और परिस्थितियों की परिभाषा यहाँ भी समान है और उनके अंतर्गत जो भी लैंगिक हमला करता है उसे गुरुतर लैंगिक हमला कहते हैं।

दंड:

इस अपराध के लिए न्यूनतम कारावास की अवधि 5 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष है, तथा जुर्माने का भी प्रावधान है।

ईश्वर न करे कि संसार में कहीं भी किसी भी बच्चे को किसी भी प्रकार के यौन शोषण या उत्पीड़न से गुज़रना पड़े। पर समाज में कुंठा और भयानकता तीव्रता से फैल रही है। पूरे संसार का उत्तरदायित्व अपने कंधों पर तो नहीं लिया जा सकता। बस हम ये कर सकते हैं कि जिस समाज में हम रहते हैं, जिस देश में हम रहते हैं, वहाँ अपने बच्चों को इन अपराधों से बचाकर रख सकें

अपने घर, आस-पास और हर उस जगह पर ध्यान रखें जहाँ बच्चे जाते हैं या वक़्त गुज़ारते हैं। बच्चों से ज़रूरत से ज़्यादा घुलने-मिलने वाला चाहे कोई रिश्तेदार हो, कर्मचारी हो, शिक्षक हो या फिर कोई भी व्यक्ति हो, उसे और बच्चों को उनके दायरे समझाएँ।

ये हमारा ही फर्ज़ है कि न केवल हम जागरूक हों बल्कि अपने बच्चों को भी जागरूक करें। बच्चों की बातें बचपना समझकर अनसुनी न करें। बच्चों से खुलकर बात करें और उन्हें यह तस्सल्ली दें कि हम उनके साथ हैं और उन्हें किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है।

इमेज सोर्स: saiyood from Getty Images via Canva Pro 

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