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और ना पहनो चूड़ी-सिंदूर, लोग छेड़ेंगे ही…

स्वरा को ये बात बहुत अंदर तक चुभी। आदित्य ऐसी सोच वाला होगा ये उसने कभी नहीं सोचा था। किसी औरत के पहनावे से उसके छेड़ने ना छेड़ने का क्या मतलब।

स्वरा को ये बात बहुत अंदर तक चुभी। आदित्य ऐसी सोच वाला होगा ये उसने कभी नहीं सोचा था। किसी औरत के पहनावे से उसके छेड़ने ना छेड़ने का क्या मतलब।

“काव्या! बेटा ससुराल में जाकर सबका अपने काम और सम्मान से दिल जीत लेना। किसी को किसी भी बात की कमी मत होने देना। कोई भी जरुरत हो तो सीमा मतलब मेरी सहेली और तेरी सास से बोल देना। जैसी मैं हूं वैसी ही है वो… तो ज़रा भी घबराना मत।”

शादी के ठीक एक दिन पहले लता जी अपनी बेटी स्वरा को समझा रहीं थीं। समझा क्या रहीं थीं शायद खुद को ही दिलासा दे रहीं थीं। कल को बेटी को जो रुखसत करना है। कितने भी ससुराल वाले पहचान के हो, पर डर लगना तो स्वाभाविक ही है।

अगले दिन विवाह विधि पूर्वक संपन्न हो स्वरा अपने ससुराल आ जाती है। सीमा जी अपनी बहू का अच्छे से स्वागत करती हैं। सभी रस्मों को अदा कर स्वरा अपने नए जीवन की शुरुआत करती है।

स्वरा और आदित्य का शादी के बाद हनीमून पर जाने का समय आ जाता है। स्वरा भी शादी के बाद से भारी भरकम कपड़े और गहने पहन थक चुकी थी। सो उसके लिए हनीमून पर जाना इन सबसे निजात पाने का भी समय था।

दोनों जब घूमने गए तो आदित्य ने हर छोटी-छोटी बात पर स्वरा को टोकना चालू कर दिया। मसलन, “तुम दुपट्टा क्यूं नहीं ओढ़तीं? सिंदूर तो सही से लगाओ, और इतना मार्डन दिखने की भी क्या ज़रूरत है? किससे छुपा रही की तुम्हारी शादी अभी नहीं हुई है?”

स्वरा को आदित्य का हर बात पर टोकना नागवार गुजर रहा था। शादी से पहले आदित्य उसकी हर बात को प्राथमिकता देता था और सही और गलत का मतलब भी समझता था। पर जब से शादी हो कर आई है स्वरा तब से यह आदित्य बिल्कुल बदला हुआ है।

उस दिन हो हद ही हो गई जब स्वरा आदित्य के साथ कहीं घूमने गई। कुछ लड़कों ने उसे देखकर छींटाकशी करी तो उसके बदले में आदित्य ने उन लड़कों को सबक सिखाने की जगह स्वरा को ही उल्टे डपट दिया।

होटल आकर तो आदित्य ने हंगामा खड़ा कर दिया। उसने सीधे-सीधे स्वरा को ही दोषी करार दिया।

“क्या ज़रूरत है ज्यादा मार्डन दिखने की? कितनी बार कहा है ढंग से रहा करो और ना पहनो चूड़ियां, लोग छेड़ेंगे ही! पता नहीं तुम ये सब करके क्या दिखावा करना चाहती हो?”

स्वरा को ये बात बहुत अंदर तक चुभी। आदित्य ऐसी सोच वाला होगा ये उसने कभी नहीं सोचा था। किसी औरत के पहनावे से उसके छेड़ने ना छेड़ने का क्या मतलब। अगर मैं सिंदूर और चूड़ियां भी पहनती तो क्या ऐसा नहीं होता?

घर आकर भी आदित्य का वही रवैया था। सीमा जी ने ये बात नोटिस की कि आदित्य कुछ ज्यादा ही स्वरा पर सख्ती कर रहा। उन्होंने खाने की टेबल पर बैठते ही सबसे पहले आदित्य को आड़े हाथों लिया।

जैसे ही आदित्य ने स्वरा को कुछ बोला, सीमा जी बोल पड़ीं, “खबरदार आदि! अगर तुमने स्वरा को कुछ कहा तो। मुझे सब कुछ पता है हनीमून पर क्या हुआ। शर्म आती है तुम्हें अपना बेटा कहते। यही संस्कार दिए मैंने कि अगर तुम्हारी पत्नी को कोई कुछ बोले तो तुम उसकी रक्षा करने की बजाय और चार बातें सुना दो?

कान खोलकर सुन लो स्वरा मेरी बेटी है और उसे जैसे रहना होगा रहेगी। तुम अगर उसकी ‘रक्षा’ नहीं कर सकते तो बता देना अभी हम हैं।”

आदित्य को अपनी बातों पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। उसने स्वरा और अपनी मां से माफी मांगी। साथ ही आगे भी हर बात पर स्वरा का साथ देने का वचन दिया।

स्वरा सीमा जी को गले लगा खुश थी। अब उसको ससुराल में भी अब अपनी मां की कमी नहीं होगी।

इमेज सोर्स: Still from Men will be Men/Don’t trust your husband/Digital Kalakaar, YouTube

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