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तुम्हें अपने पति या मायके से किसी एक को चुनना होगा। तुम्हें अपने पति से ज्यादा क्या अपने भाइयों से प्यार है?" सोम ने चिल्लाते हुए कहा।
तुम्हें अपने पति या मायके से किसी एक को चुनना होगा। तुम्हें अपने पति से ज्यादा क्या अपने भाइयों से प्यार है?” सोम ने चिल्लाते हुए कहा।
कितनी आसानी से लड़कियों को उनके घर वालों से मिलने से रोक दिया जाता है। साल में एक बार मायके जाने के लिए उन्हें कितनी मिन्नत करनी पड़ती है। और सबसे बड़ी बात ज़रा सी खटपट होते ही अपनी पत्नी को कितनी आसानी से कह दिया जाता है कि अपने मायके से सब संबंध ख़तम कर दो।
दिवाली का त्योहार आता है तो खुशियों के साथ, काम का बोझ भी ले आता है पर खरीददारी करने में बड़ा अच्छा लगता है और मोना को सबसे अधिक शॉपिंग ही पसंद है। पूरे बाज़ार सजे हुए थे और मोना बड़ी ख़ुशी ख़ुशी मिठाइयाँ खरीद रही थी।
उसने दिवाली के सामान के साथ मायके ले जाने के लिए मिठाइयों के साथ अपने भतीजे के कपड़े भी ख़रीदे। हर दिवाली के बाद वह अपने मायके भाई दौज के लिए जाती थी। उसके दोनों भाई उससे बड़े थे और उसे बड़ा स्नेह भी करते थे। उसकी माँ और भाभियाँ भी तीन चार दिन पहले से फोन कर के उसे बुला लेती थीं।
पूरे दिन धूप में शॉपिंग करके जब वह ऑटो से घर वापस पहुँची तो थक के चूर हो गई थी। घर जाकर उसने फ्रिज़ खोला और ठंडे पानी की बोतल निकाल कर जल्दी से पानी गटकने लगी। पानी पी कर थोड़ा आराम आया तो किचन में झाँका।
कामवाली आज से दिवाली की छुट्टी पर थे। बर्तन गंदे पड़े थे। सोचा चाय बना कर साफ करुँगी। सोच कर चाय गैस पर चढ़ा कर टीवी खोला तो कपिल शर्मा शो चालु था। टीवी की आवाज़ थोड़ी कम करके किचन से चाय लाकर पी तो थोड़ा थकान दूर हुई।
घर का सब काम निपटा कर बैठी थी तभी सोम ने घर में प्रवेश किया। सोफे पर रखे शॉपिंग बेग्स देख कर उन्होंने मुझ से पूछा, “बड़ी शॉपिंग हो गई आज तो?”
“हाँ भाई और भतीजे के लिए भी कपड़े और मिठाई लाई हूँ।”
यह सुनते ही सोम की त्योरियाँ चढ़ गईं।
“कोई ज़रूरत नहीं है उन लोगों के यहाँ जाने की। बहुत हो गई राखी और टीके। तुम्हें अपने पति या मायके से किसी एक को चुनना होगा। तुम्हें अपने पति से ज्यादा क्या अपने भाइयों से प्यार है?” सोम ने तेज़ आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा।
उसकी आवाज़ की कर्कशता और तीखेपन से मैं एकदम डर गई। पर हिम्मत करके बोल ही उठी, “क्यों सोम, क्यों नहीं जाऊँगी अपने भाइयों के पास?”
“अच्छा! तुम्हें क्या पता नहीं है क्या, तुम्हारे भाइयों ने क्या किया है मेरे साथ। तुम्हारे बड़े भाई ने मेरे साथ व्यापार बंद कर दिया। अब तुम अपने मायके वालों से सारे संबंध ख़तम समझो। तुम्हें निर्णय लेना होगा कि तुम्हें मेरे साथ रहना है या अपने भाई भाभियों से रिश्ते निभाने हैं?”
“क्यों सोम आखिर ये नियम किसने बनाया? अगर पति या ससुराल वालों की लड़की के घर वालों से ज़रा भी संबंधों में खटास आ जाए तो लड़की को क्यों अपने मायके से संबंध तोड़ने पड़ते हैं? कैसे वो अपने माँ बाप भाई बहन को एक दिन में भूल जाए। क्यों लड़कियों को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है जहाँ उसे मायके या ससुराल में से किसी एक को चुनना पड़ता है?
सोम अगर तुम्हारी माँ से मेरी कहा सुनी हो जाती है तो क्या तुम अपनी माँ से बोलना बंद कर दोगे। तुम्हारी बहन से मेरी कितनी बार खटपट हुई पर तुमने उसके घर जाना तो कभी नहीं छोड़ा। उसी तरह अगर तुम्हारी कहा सुनी मेरे भाइयों से हुई है तो इसमें मेरा क्या कसूर? मैं कैसे अपने खून के रिश्ते एक दिन में तोड़ दूँ।
चाहे तुम चाहो या न चाहो, मैं तो अपने मायके जाऊंगी और अपने भाई और माँ सबसे संबंध भी रखूँगी। अब इस बात को आम करना ही होगा कि लड़की अपने घर वालों से किसी और को खुश करने के खातिर संबंध नहीं तोड़ेंगी। मुझे किस से मिलना है यह मेरा निर्णय होगा न कि किसी और का।
एक छोटी से बात को तुमने अपने ईगो का प्रश्न बना लिया और मेरे भाई के इतनी बार फ़ोन करने पर भी उनसे बात करना बंद कर दिया। पर मैं मायके और ससुराल में किसी एक को नहीं बल्कि दोनों को चुनूँगी और दोनों ही मेरी ख़ुशी हैं तो आगे से मुझे दोराहे पर खड़ा करने की कोशिश मत करना।”
मेरा आज यह सवाल सभी लोगों से है कि कितनी आसानी से लड़कियों को उनके घर वालों से मिलने से रोक दिया जाता है। साल में एक बार मायके जाने के लिए उन्हें कितनी मिन्नत करनी पड़ती है और सबसे बड़ी बात ज़रा सी खटपट होते ही अपनी पत्नी को कितनी आसानी से कह दिया जाता है कि अपने मायके से सब संबंध ख़तम कर दो।
शादी होने के बाद उन्हें मजबूर नहीं किया जाना चाहिए कि वो बचपन के नाते रिश्ते एक दिन में भूल जाएँ। यदि किसी के भी संबंधों में खटास आती है तो उसके लिए किसी भी लड़की को उसके माता पिता भाई बहन को भूलने का, उनसे न मिलने का दवाब नहीं डालना चाहिए। इस नए युग में अब ये बात आम करनी ही होगी कि लड़की अपने मायके से भी बराबर संबंध रखेंगी भी और निभाएँगी भी।
इमेज सोर्स : Still from the Marathe Jewellers ad, Deshkaliah, YouTube
I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...
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