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अब ये ‘स्क्रिप्ट' क्या है? हमेशा हम आम बोलचाल में ये सुनते है “अरे! ये शो तो स्क्रिप्टेड है।” तो आइये जानते हैं फिल्म स्क्रिप्ट राइटर कैसे बनें?
अब ये ‘स्क्रिप्ट’ क्या है? हमेशा हम आम बोलचाल में ये सुनते है “अरे! ये शो तो स्क्रिप्टेड है।” तो आइये जानते हैं फिल्म स्क्रिप्ट राइटर कैसे बनें?
हर साल भारत में 1800 से भी अधिक फिल्में बनती हैं। आप थिएटर में जाकर या आजकल तो अमेज़न प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, सोनी लिव जैसे ओ.टी.टी(ओवर दी टॉप) प्लेटफॉर्म पर जाकर फ़िल्में देख सकते हैं। पर क्या आपने यह सोचा है कि इन फिल्मों को कौन लिखता है? ऐसे ही फिल्में तो नहीं बन जाती। दरअसल, फिल्मों को लिखते हैं पटकथा लेखक (screenplay writer)।
हमेशा बचपन से हमारे माता-पिता, रिश्तेदार, टीचर और समाज हमेशा हमारी क्रिएटिविटी को मारते हैं। हमें डॉक्टर, इंजीनियर, या किसी सरकारी जॉब के पीछे भागने को कहते हैं। पर हममें से कईयों का मन काफी क्रिएटिव होता है। उन क्रिएटिव लोगों के लिए यह पटकथा लेखन का क्षेत्र खुला है। यहां आपको खूब मौके मिलेंगे अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का।
इससे पहले कि पटकथा लेखन के क्षेत्र में करियर कैसे बनाएँ या फिल्म स्क्रिप्ट राइटर कैसे बने, उससे पहले जान ले कुछ बातें!
लेखक कई प्रकार के होते हैं। कोई कविताएं लिखता है, कोई छोटी कहानियां, कोई बड़ी कहानियां, कोई इन बड़ी कहानियां को किताब की शक्ल दे देता है, कोई उपन्यास लिखता है। कुछ हम जैसे अलग-अलग विषयों पर लेख लिखते हैं, कुछ पत्रकारिता लेखन करते हैं। कुछ रेडियो स्क्रिप्ट लिखते हैं।
वहीं फिल्मों का लेखन इन सब से अलग है। ये सारे जो लेखन है, जब आप इन्हें पढ़ते हैं तो आपके मन में विजुअल आते हैं, आप कल्पना करते हैं, और आपके मन में तस्वीर बनती है। जब आप रेडियो सुनते हैं तब भी यहीं होता। पर फिल्में इन कल्पना को चित्र के रूप में दिखाती है। अब एड और टीवी भी तो विजुअली हम देखते हैं। एड और टीवी के लिए जो स्क्रिप्ट है वह कहानी नहीं होती। एड में जिंगल्स या अच्छे लाइनों से प्रोडक्ट बेचा जाता है। जिसमें कभी कभार कहानी होती है। वहीं टी़वी पर आप रिएलिटी शो या न्यूज देखते हैं तो वे भी स्क्रिप्ट आधारित होते हैं।
अब ये ‘स्क्रिप्ट’ क्या है? हमेशा हम आम बोलचाल में ये सुनते है “अरे! ये शो तो स्क्रिप्टेड है।” तो आखिर इस स्क्रिप्ट का क्या मतलब है?
दरअसल, स्क्रिप्ट एक ब्लूप्रिंट है। जिससे हमें आगे क्या करना है समझ आता है? जैसे आपको घर बनाना है तो आप पहले नक्शा बनवाते हो। फिर उसी नक्शे के आधार पर घर बनता है। स्क्रिप्ट भी वही नक्शा है। हर एक क्षेत्र में स्क्रिप्ट के अलग-अलग फॉर्मेट है। प्रिंट मीडिया के लिए अलग स्क्रिप्ट, न्यूज के लिए अलग स्क्रिप्ट, रेडियो के लिए अलग स्क्रिप्ट।
उदाहरणों से थोड़ा स्पष्ट करते हैं।
दंगल फिल्म का उदाहरण लेते हैं। अगर आपसे पूछा जाए कि दंगल फिल्म की कहानी क्या है? तो आप एक दो लाइन में बता देंगे कि दंगल महिला पहलवानों पर बनी फिल्म है। जिसमें एक पहलवान पिता देश के लिए मेडल जीतने के लिए अपने बेटे को तैयार करना चाहता है। पर उसे बेटियां हो जाती है। फिर भी वो हताश नहीं होता और अपनी बेटियों को पहलवान बनाने में लग जाता है। काफी संघर्षपूर्ण सफर के बाद उसकी बेटियां पहलवान बन जाती है और मेडल भी जीतती है।
मोटा-माटी आप भी अपने तरीके से एक दो लाइनों में आप पूरी दो घंटे से अधिक की फिल्म के बारे में बता सकते हैं।
वहीं हर एक सीन को बारिकी से तैयार करना, उसे लिखना, पटकथा लेखक का काम है। जो भी स्क्रीन पर होते हुए देख रहा है वह स्क्रीनप्ले में लिखा होता है।
आज कई सारी महिलाएं हैं जो इस पटकथा लेखन के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहीं हैं। कनिका ढिलन, जूही चतुर्वेदी, कोनकना सेन शर्मा, अलंकृता श्रीवास्तव, गौरी शिंदे, जोया अख्तर, रीमा कागती, नंदिता दास, जिन्नत लखानी, कामना चंद्रा जैसे प्रसिद्ध नाम है। जिन्होंने मनमर्जीयां, विक्की डोनर, पीकू, अक्टूबर, अ डेथ इन दी गूंज, लिपस्टिक अंडर माय बुर्का, इंग्लिश विंग्लिश, डियर जिंदगी, लक बाय चांस, जिंदगी न मिलेगी दोबारा, दिल धड़कने दो, फ़िराक़, मंटो, हिंदी मीडियम, फिलौरी, 1942: अ लव स्टोरी, क़रीब क़रीब सिंगल जैसी शानदार फिल्में लिखी हैं।
जो महिलाएं सोचती है कि यह क्षेत्र उनके लिए नहीं है। उन महिलाओं के लिए इन महिलाओं का उदाहरण सामने है जिन्होंने इस फील्ड में अपना नाम और करियर बनाया। यह क्षेत्र महिला पटकथा लेखकों के लिए एक मौका है कि वे इस क्षेत्र में अपना नाम, करियर और पैसे कमाए।
स्क्रीनप्ले राइटर का ठप्पा आप पर कोई नहीं लगा सकता, जब तक आप खुद फिल्म की स्क्रिप्ट न लिखें। आप बिना किसी कॉलेज में गए भी खुद केवल इंडस्ट्री स्टेंडर्ड को फॉलो करते हुए स्क्रिप्ट लिख सकते हैं।
लेकिन, अगर आपको एकेडमिक्स में रहकर स्पेशलाइजेशन करनी है तो 12वीं के बाद आप कोई पत्रकारिता और मास कम्युनिकेशन या मास मीडिया का कोर्स कर सकते हैं। यहां आपको न्यूज, टीवी, रेडियो, फिल्म की स्क्रिप्ट के बारे में थोड़ा बताया जाएगा। पर उस समय स्पेशलाइजेशन नहीं कर पाएंगे।
अगर, आपको स्क्रीनप्ले राइटिंग में स्पेशलाइजेशन करना है तो ग्रेजुएशन करने के बाद फिल्म स्कूल में जाकर पढ़ें।
भारत में दो फिल्म स्कूल है एफटीआईआई (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया), पुणे और एसआरएफटीआईआई (सत्यजित राय फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) कोलकाता। इन दोनों में से किसी फिल्म स्कूल में एडमिशन ले सकते हैं।
एडमिशन लेने के लिए आपको एडमिशन प्रोसेस से गुजरना पड़ेगा। फिलहाल के समय में ये दोनों कॉलेज मिलकर जेट (ज्वॉइंट एंट्रेंस टेस्ट) का ईग्जाम लेते हैं। कोई भी ग्रेजुएशन किया हुआ छात्र इस टेस्ट में भाग ले सकता है। जिन्होंने ग्रेजुएशन सिर्फ मास कम्युनिकेशन में किया हो केवल वहीं इस ईग्जाम को दे सकते हैं ऐसा नहीं है।
आपने ग्रेजुएशन चाहे किसी विषय में भी किया हो, आपने इंजीनियरिंग भी की हो तब भी आप टेस्ट दे सकते हैं। सबसे पहले लिखित ईग्जाम देना होता है। उसके आधार पर दोनों कॉलेज अपने-अपने तरीके से चयन करेंगे और ओरियंटेशन और इंटरव्यू के लिए बुलाएंगे। इन सबके बाद चयनित विद्यार्थियों को ही एडमिशन मिलेगा। आप अधिक जानकारी के लिए इन कॉलेजों की वेबसाइट पर जाकर और जान सकते हैं।
पटकथा लेखन का क्षेत्र काफी विशाल है। हजारों मौके है आपके पास। पटकथा लेखन का क्षेत्र आपके लिए खुला है। अगर, आप क्रिएटिव है और इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो जाइए जाकर इस फील्ड में करियर बनाएं, अपने सपनों को उड़ान दें, हो सकता है आपकी एक स्क्रिप्ट लाखों में बिके।
इस इंडस्ट्री को नई-नई स्क्रिप्ट की तलाश रहती ही है। आप भी एक शानदार स्क्रिप्ट लिख सकते हैं जिसपर एक शानदार फिल्म बने।
इमेज सोर्स: YouTube /Creatas via Canva Pro
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