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चाहे बुढ़ापे में जाऊं लेकिन मैं हनीमून पर जाऊँगी ज़रूर…

उसका कितना मन था कि मंगनी के बाद दोनों की बातचीत शुरू हो जाए। मगर पवन ने ना तो बहन से नम्बर मंगवाया ना तो खुद चुपके से उसे फोन किया।

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उसका कितना मन था कि मंगनी के बाद दोनों की बातचीत शुरू हो जाए। मगर पवन ने ना तो बहन से नम्बर मंगवाया ना तो खुद चुपके से उसे फोन किया।

शादी के बारे में सोचते ही दिल में अजीब सी खुशी होती। जब भी अनु किसी की शादी में जाती तो दुल्हन को देखती ही रहती। उसके कपड़े, उसके गहने, उसका मेकअप, उसकी मेंहदी, सब कितना अच्छा लगता।

जब भी किसी दुल्हन की फोटो आती अनु को लगता काश इस दुल्हन की जगह वो खुद होती। सबसे बड़ी बात अगर गलती से उसे मालूम चल जाता कि फलां लड़की हनीमून पर जाने वाली है या फिर गयी है तब तो फिर उसी वक़्त वो अहद कर लेती कि चाहे शादी जब भी होगी वो हनीमून पर जरुर जाएगी।

कितना खूबसूरत लगेगा जब पति के हाथों में हाथ डाल कर पहाड़ों पर घूमेगी। अगर बर्फ की वादियाँ हों तो फिर क्या कहना! ढे़र सारी शापिंग करेगी, फिर मेरा रुठना उनका मनाना! फिर जबरदस्ती मुझे घुमाने ले जाना। बाहर खाना खा कर आना। हाय! कितना मजा आएगा। वो अभी भी ख्यालों में गुम थी कि मम्मी की आवाज ने ख्वाबों की दुनिया से बाहर ला दिया।

“पता नहीं ये लड़की हमेशा कहाँ गुम रहती है। जब जरूरत होती है कभी नहीं मिलती”, मम्मी बड़बड़ाते हुए गुस्से में उसके सामने खड़ी थीं।

वो जल्दी से उठकर खड़ी हो गई।

“जी मम्मी! कोई काम था क्या आपको?”

“हाँ! ये लिस्ट लो…फटाफट स्कूटी उठाओ…सामान लाओ और बिना किसी से बात किए वापस आना। ये नहीं कि आकर बताओ कि दोस्त मिल गई थी। बातों में वक़्त का पता ही नहीं चला। अगर सामान लाने में देर हुई तो समझ लेना आज खाना नहीं मिलेगा।”

“क्या मम्मी आप भी हमेशा ब्लैकमेल करतीं रहतीं हैं। आप भूल जातीं हैं कि मैं अब बड़ी हो गयीं हूँ। इक्कीस साल की होने वाली हूँ।” इक्कीस उसने बहुत जोर देकर बोला था कि शायद मम्मी भूल गयीं हो कि अब उसकी शादी की उम्र हो गयी है।

“जानती हूँ तुम इक्कीस की होने वाली हो। मगर हाय रे मेरी किस्मत, ढेला बराबर दिमाग़ नहीं है। पता नहीं शादी के बाद क्या होगा? ससुराल वाले ताना देंगे कि बेटी को कुछ सिखाया नहीं।” उनका पुराना राग शुरू हो गया जो उसे याद नहीं कब से सुनती आ रही थी।

“शादी करेंगी तब तो सुनेंगी। आप तो कुछ समझतीं ही नहीं हैं। करीब करीब हर दिन बताती हूँ अपनी उम्र जबकि लड़कियां छुपातीं हैं। मगर आप कुछ समझतीं ही नहीं।” वो दिल ही दिल में बड़बड़ाती हुई बाहर निकल गयी।

‘पता नहीं कब मेरी शादी होगी। कब मैं…’, बाकी तो वो सोचकर ही शर्मा गयी। हनीमून के नाम पर ही वो लाल हो जाती थी। फिर चाहे दिल में ही क्यों ना सोचे।

खैर वक़्त किसी तरह ऐसे ही आगे बढ़ा। फिर रिश्ते पर मम्मी-पापा ध्यान देने लगे। अब उनको भी लगने लगा कि बेटी बड़ी हो गई है। उसकी शादी कर देनी चाहिए।

लड़के वाले आए और उसे पसंद करके अंगूठी पहना कर चले गए। उस दिन वो कितना खुश थी कि मम्मी भी हैरान होकर पूछने लगीं, “तुम इन लोगों को जानती हो क्या? मेरा मतलब लड़के को?”

वो हिचकिचाईं थीं। उन्हें लगा वो और लड़का एक दूसरे को पसंद करतें हो और शर्म की वजह से अनु ने कुछ बताया ना हो।

“अरे नहीं तो। भला मुझे कैसे मालूम होगा। मैं बिल्कुल नहीं जानती इन लोगों को। आपने क्यों पूछा?” वो मम्मी से ही सवाल करने लगी।

“कुछ नहीं! बस मुझे ऐसे ही महसूस हुआ।” उन्होंने एक गहरी नज़र बेटी पर डाली। इतना खुश! उन्हें अभी भी यकीन नहीं हो रहा था।

अब मुझे खुद पर काबू रखना पड़ेगा। वो अपने कमरे में जाते हुए खुद से बोली थी।

उसका कितना मन था कि मंगनी के बाद दोनों की बातचीत शुरू हो जाए। मगर पवन ने ना तो बहन से नम्बर मगवाया ना तो खुद चुपके से पता करके उसे फोन किया।

हर बार बेल होने पर उसका दिल धड़क उठता। कहीं ये वही तो नहीं मगर हर बार कोई और निकलता। कितनी बार सोचा कि चलो वो फोन नहीं करते तो क्या हुआ। मैं ही कर लूँ। मगर मम्मी के डर से हिम्मत ही नहीं हुई।

‘बेचारे करें भी तो कहाँ? इतनी बड़ी हो गई हूँ मगर मेरा खुद का मोबाइल नहीं है। मम्मी के मोबाइल से ही बात करो जहाँ करना हो। तब कैसे करते मुझे फोन?’ वो खुद को तसल्ली देते हुए बोली।

‘कोई बात नहीं शादी के बाद तो सबसे पहले खुद का मोबाइल लूंगी।’ वो ख्यालों में फिर से खो चुकी थी।

शादी हो गई। बिदा होकर ससुराल पहुँच गयी। अनु सर झुका कर बैठी थी जब उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। वो और सिमट गई। कितना अच्छा-अच्छा लगता रहा था सब। क्या पता दो दिन बाद या हो सकता है एक हफ्ते बाद हम दोनों हनीमून के लिए चले जाएं। वो एकदम से मुस्कुराई थी।

“देखिए, आप कपड़े बदल लीजिए। मैं आपको बता देना चाहता हूँ। मैं अभी शादी नहीं करना चाहता था। मगर घर वालों ने जबरदस्ती कर दी। ये भी कोई बात हुई यार, अभी तो मेरी जॉब लगी थी। थोड़ा मेहनत करता तो प्रमोशन होता, सैलरी बढ़ती…मगर यहाँ तो शादी की ही जल्दी थी। एक जिम्मेदारी और सर पर रख दिए।

अपनी तो कोई मर्ज़ी ही नहीं होती है। सबके घर वाले अपने बच्चों की बात सुनते हैं लेकिन मेरे घर वाले तो इंतज़ार में थे कि कैसे लड़के की नौकरी लगे कैसे इसे…” वो शायद भूल गया था कि जिसको ये सब सुना रहा है वो उसकी एकदम नयी नवेली दुल्हन थी जो ढेरों अरमान लेकर आई थी।

अनु ने एकदम से घूंघट पलट दिया और गुस्से में उसे घूरने लगी।

“जब आपको कोई और लड़की पसंद थी तो कर लेते उसी से शादी। मैं कोई मर थोड़ी रही थी आपके लिए। हद होती है भाई! मतलब मैं अगर कुछ बोल नहीं रहीं तो आप कुछ भी बोलते चले जाएंगे।”

“अरे आप गलत समझ रहीं हैं। मुझे कोई और लड़की पसंद नहीं है। मैं तो थोड़ा टाइम मांग रहा था घर वालों से।” उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। उसे इतना टेंशन हो रही थी। इतना गुस्सा आ रहा था सब पर…मगर किसी को कुछ बोल नहीं पाया था। बोला भी तो किसे जिससे आज तो बिल्कुल नहीं बोलना चाहिए था।

किसी तरह मनाते हुए रात बीत गयी और हनीमून वाली बात हो ही नहीं पाई कि कहाँ जाना है। कब जाना है। कितने दिनों के लिए जाना है।

;चलो आज ना सही कल पूछ लूंगी…’, अनु ने ख़ुद से कहा।

इसी तरह काफी दिन बीत गए। कभी मेहमान, कभी दावत, कभी मम्मी मायके बुला लेती। वो चाहकर भी पवन से बात नहीं कर पा रही थी। उसे बहुत खराब लग रहा था कि लड़का होकर उसने एक बार भी नहीं कहा कि शादी के बाद कहा घूमने जाना है। फिर वो कैसे कहती?

वो जो हमेशा शादी के नाम पर हनीमून के बारे में प्लान बनाने लगती कि अपने देश में घूमने जाएंगे कि क्या पता वो विदेश ना ले जाएं। अब उसकी खुद से हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि पवन से कुछ कहती।

‘पता नहीं कैसा इंसान है। हमेशा आफिस और घर के कामो में घुसा रहता है। ये नहीं सोचता कि नयी नयी शादी हुई है। ना बाहर ले जाए हमारे देश में ही घुमा दे। मेरी तो किस्मत ही खराब थी जो ऐसे इंसान से शादी हो गयी जो बिल्कुल मशीन है। हर इंसान काम करता है मगर इसका ये मतलब थोड़ी है कि नयी नवेली दुल्हन से ज्यादा काम प्यारा हो?’

वो बहुत गुस्से से उसे घूर रही थी जब छोटी ननद ने पकड़ लिया।

“मेरा भाई बहुत सीधा और मेहनती है। उन्होंने ज्यादा दिन की छुट्टी नहीं ली थी। उनको लगता है घूमना घामना तो कभी भी हो सकता है मगर काम वक़्त पर ही होना चाहिए।” उसने एकदम उसकी सोच पढ़ ली थी।

“सही है। अच्छी बात है।” वो उदास हो गई।

“सॉरी यार! मैंने छुट्टी के लिए कहा है। जैसे ही छुट्टी मिलती है हम कहीं चलते हैं। मुझे तो घूमना ज्यादा पसंद नहीं है मगर तुम्हे तो बोलना चाहिए था ना। अगर वन्दना ना कहती तो…”

‘अच्छा तो ये ननद जी ने समझाया है!’ वो खुश हो गई।

रात में उससे बिल्कुल खाना नहीं खाया जा रहा था। किसी तरह थोड़ा सा खाया मगर उसे भी उलट दिया। सुबह उठने की बिल्कुल हिम्मत नहीं हो रही थी। पवन ने उठाया मगर चक्कर की वजह से उठा ही नहीं गया।

पवन वापस आया तो उसे वैसे ही बेसुध देखकर घबरा गया। जल्दी से मम्मी को बुला लाया। मम्मी तो मम्मी थीं। सब समझ गयीं। फौरन डाक्टर के पास भेजा। डाक्टर ने बताया कि वो प्रेग्नेंट है। बहुत कमज़ोर है। बहुत ख्याल रखने की जरूरत है। बेडरेस्ट बता दिया। कहीं सफर करने के लिए भी मना कर दिया।

वापसी मे वैसे तो वो खुश थी मगर फिर भी मुंह लटका था। अब एक साल तक वो हनीमून पर जा नहीं पाएगी। फिर बेबी छोटा रहेगा तो उसकी वजह से ना जा पाएगी। हाय रे मेरी किस्मत। जिसके लिए शादी की वहीं नहीं जा पाई।

पवन ने उसे बहुत तसल्ली दी कि डाक्टर से बात करेगा कि शायद जाने दें तो फिर चलेंगे…मगर उसे पता था कि डाक्टर परमिशन नहीं देगी।

“मगर एक दिन तो ज़रूर जाऊंगी। चाहे बुढ़ापे में ही सही, मगर जाऊंगी जरूर।” उस ने पवन से कहा तो वो हंस दिया।

अब तो उसे भी उसके ख्वाब के बारे में मालूम हो गया था और थोड़ा कुसूरवार तो खुद को भी मानता था कि अगर टाइम से उसे ले जाता तो उसका इकलौता ख्वाब पूरा कर दिया होता।

इमेज सोर्स : Manu_Bahuguna from Getty Images via Canva Pro

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