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"मैं समझ गई हूं ससुराल में जाकर मुझे ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे आप लोगों की नाक कट जाए। अपनी हर इच्छा और आदत तो को मार देना है..."
“मैं समझ गई हूं ससुराल में जाकर मुझे ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे आप लोगों की नाक कट जाए। अपनी हर इच्छा और आदत तो को मार देना है…”
“रंगोली अब तो कॉलेज के प्रोफेसर की पत्नी बनने जा रही हो, ये बच्चों जैसी हरकते बंद करनी पड़ेंगी”, पुष्पा जी ने कहा।
“सही कर रही है मम्मी, अब तो ये बिना मतलब के हंसना, नाचना, बिना मतलब ज्यादा बोलना छोड़! वरना रोज डांट खायेगी”, बड़ा भाई विजय बोला।
“मेरी बच्ची बहुत समझदार है, सब संभाल लेगी”, महेंद्र जी बोले।
रंगोली समझदार संस्कारी है, लेकिन स्वभाव थोड़ा चंचल होने के कारण चुलबुली है! उसका रिश्ता प्रणय जो एक कॉलेज में प्रोफेसर है से तय हुआ है। परिवार और रिश्ता अच्छा होने के कारण चट मंगनी और पट शादी तय हो गई। रंगोली के स्वभाव को लेकर सभी परिवार वाले चिंतित थे इसलिए वह लगभग रोज ही उसे समझाते रहते।
“मैं समझ गई हूं ससुराल में जाकर मुझे ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे आप लोगों की नाक कट जाए। अपनी हर इच्छा और आदत तो को मार देना है और चेहरे पर बिल्कुल भी इसका इजहार नहीं करना है, ताकि मैं इस रिश्ते के लिए परफेक्ट बन सकूं”, रंगोली ने गुस्से में कहा।
“हमारा मतलब यह नहीं है, लेकिन जब तक सब तुम्हें उस घर में अपना ना लें, तब तक तुम्हें अपनी आदतों को छोड़ना होगा”, पुष्पा जी रंगोली के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं।
महीने भर में शादी हो गई और रंगोली घर की बहू बनकर आ गई।
रंगोली के ससुराल में सास कमला जी, ससुर वीरेंद्र जी, जो रेलवे में अधिकारी हैं, और एक ननद जया कॉलेज में पढ़ती है। घर में हमेशा शांति का माहौल रहता, आवश्यकता होने पर ही कोई आपस में बात करता। रंगोली भी इस माहौल में धीरे धीरे ढल चुकी थी।
प्रणय सुबह कॉलेज के लिए निकलने के बाद देर शाम को ही घर आता। हनीमून पर भी प्रणय का जो रूप उसने देखा वह उसके स्वभाव के विपरीत ही था। उसे बंजी जंपिंग, ट्रैकिंग, डाइविंग के शौक थे, जहां इनके नाम सुनते ही रंगोली की सांस अटक जाती। रंगोली को फिल्में देखना, गाने, घूमना, शॉपिंग करना, नाचना यह पसंद था। लेकिन धीरे-धीरे वह अपनी पसंद से दूर होती जा रही थी।
अपने घर पर भी वह फोन हफ्ते में दो-तीन बार ही लगाती और बात बिल्कुल सीमित करती। उसके परिवार वालों को अजीब लगता लेकिन नए-नए ससुराल में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते थे।
अब रंगोली के परिवार में मामा की बेटी की शादी है, प्रणय को भी खूब दबाव देकर बुलाया, इसलिए वह भी शादी में गया।
“अरे रंगोली तुम तो शादी के बाद बिल्कुल ही बदल गईं! इतनी गुमसुम कैसे रहने लग गईं? क्या प्रणय जी ज्यादा ही गुस्से वाले हैं?” मामा की बेटी छवि बोली।
“नहीं, नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, वह तो मेरा ही मन नहीं कर रहा”, रंगोली ने बात को संभालते हुए कहा।
“अभी तुम्हारी खुद की शादी में तो तुम कितना उछल उछल के नाच रही थीं और आज देखो! प्रणय जी आप कहिए ना, शायद आपकी बात मान जाए”, छवि ने कहा।
“रंगोली, अगर आप नाचती हैं, तो फिर आज क्यों नहीं नाच रहीं?” प्रणय ने कहा।
“अब तो जीजा जी ने कह दिया अब तो कम से कम नाच लो”, छवि ने कहा।
रंगोली आधे मन से उठ कर नाचने लगी, लेकिन नाचते नाचते ऐसा समां बंधा की रंगोली अपने पुराने रूप में ही आ गई। हर कोई उसे पकड़कर स्टेज पर ले जा रहा था। जब संगीत बंद हुआ तो अचानक से रंगोली को प्रणय का ख्याल आया।
“माफ कीजिएगा वह मैं…!” रंगोली ने कहा।
“रंगोली, कमरे में चलो! मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है”, प्रणय ने रंगोली को बीच में ही रोकते हुए कहा और कमरे में चला गया।
रंगोली के दिमाग में हलचल मच गई, ‘क्या जरूरत थी उसकी बात सुनने की, बिना नाचे रहा नहीं जाता? मैं भी कहां छवि की बात में आ गई! अब ना जाने इनको कितना बुरा लगा होगा। अब क्या करूं!’
अपने आप से बात करती हुई, डरते हुए रंगोली कमरे में पहुंची।
“प्रणय, मुझे माफ कर दीजिए, आज जो भी कुछ या हुआ है वह फिर कभी नहीं होगा ना जाने मैं कैसे…!”
“रंगोली, पहले चुप हो जाओ”, प्रणय ने रंगोली को बीच में रोकते हुए कहा।
“रंगोली मुझे नहीं पता था कि तुम्हें यह सब पसंद है और शायद मेरी ही गलती है कि मैंने तुमसे पूछा भी नहीं। मुझे लगा कि यही तुम्हारा स्वभाव है लेकिन आज मुझे दु:ख के साथ खुशी भी हुई है कि यहां आने की वजह से मैं अपनी रंगोली के बारे में जान सका।
जब तुम नाच रही थी तो तुम्हारे चेहरे के पर जो मुस्कान थी, वह शादी के बाद आज ही देख पाया हूं और मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं इसे अब खोने नहीं दूंगा।
तुमने शादी के बाद हम सब की खुशी के लिए अपने आप को पूर्ण रूप से हमारे रूप में ढाल लिया, लेकिन शादी मैंने भी की है और यह मेरी भी जिम्मेदारी है कि अपनी पत्नी कि इच्छा और पसंद का सम्मान करूं”, प्रणय रंगोली से बोला।
“मुझे माफ कर दीजिए आप को समझने में मैंने भूल कर दी। मेरे परिवार वाले इस रिश्ते को लेकर बहुत खुश थे, मेरी आदतों के कारण वे सभी परेशान थे इसीलिए मैंने अपने आप को बदल दिया, ताकि किसी को भी परेशानी ना हो”, रंगोली के कहते-कहते आंखों में आंसू आ गए।
“रंगोली, रिश्तों में कोई प्रतियोगिता नहीं होती और अच्छी रिश्तों का मतलब परफेक्शन नहीं होता। सबसे बड़ी बात है रिश्तों में एक दूसरे का सम्मान और एक दूसरे की खुशी, जो तुम्हारी तरफ से मुझे पूरी ईमानदारी से मिली और अब मेरी बारी है तुम्हें देने की”, प्रणय ने रंगोली के आंखों के आंसू पूछते हुए कहा।
“चलो भाई अब शादी में तुम्हारे साथ मुझे मजे करने हैं”, प्रणय ने कहा।
रंगोली के चेहरे पर मुस्कान देखते ही बनती थी। उसने शादी में वैसे ही मजे किए जैसे वह करना चाहती थी, अब रंगोली को गंभीरता का मुकुट पहनने की जरूरत नहीं थी।
दोस्तों, जब लड़की की शादी होती है तो उसे यही हिदायतें दी जाती है कि अपने ससुराल में वह उनके सलीके और रंग ढंग से रहे। उसे अपनी इच्छा और पसंद को त्यागने के लिए कहा जाता है, पर किसी रिश्ते की आधारशिला किसी एक के त्याग पर कैसे बन सकती है? जब रिश्ता दो लोगों के बीच में बनता है तो, खुशी भी दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण है। रिश्तों में परफेक्शन की जगह प्यार को महत्ता देनी चाहिए।
इमेज सोर्स: Manu_Bahuguna from Getty Images, Canva Pro
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