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ये सहगल अंकल के घर तो कोई चहल-पहल नहीं और कोई नज़र भी नहीं आ रहा। आखिर माजरा क्या है। उनके घर के सभी सदस्य कहीं गए हैं क्या?
“वो हमने न्यूज़ पेपर में किराए के कमरे के लिए इश्तिहार पढ़ा था।” मीना ने चौकीदार से बिल्डिंग में प्रवेश की बात की।
“पर मैडम जी १०२ नंबर वाले सहगल साहब अभी हैं नहीं। कहीं गए हैं। आते ही बोल दूंगा। आप अपना मोबाइल नंबर दें जाएं।”
मीना अपना नंबर देकर चली जाती है। मन ही मन में सोचते कि घर पसंद आ जाए तो दीवाली से पहले शिफ्टिंग कर लूंगी।
“सहगल अंकल! कोई मैडम आईं थीं आपका ऊपर वाला कमरा देखने। मोबाइल नंबर ले लिया आप बात कर लो।”
“मैं क्या बात करूंगा जगत…ऐसा कर तू उन्हें कल दोपहर का बोल दे।” इधर जगत मीना को फोन कर दूसरे दिन आने का बोल देता है।
मीना सहगल अंकल से दूसरे दिन मिलकर घर देख लेती है। घर तो मीना को पसंद आ जाता है और सहगल अंकल का स्वभाव भी। इधर दीवाली को चार दिन ही शेष बचे थे। मीना अपने पति हर्ष और बेटी पलक के साथ नए घर में शिफ्ट कर लेती है। घर को पूरा परिवार दीवाली की तैयारियों के हिसाब से सजाना शुरू कर देता है।
दो दिन की मेहनत के बाद पूरा घर दीवाली की रौशनी सा जगमगा चुका था। दीवाली का दिन था, सभी के घरों में चहल-पहल थी। मीना के घर से तो तरह-तरह के पकवानों की महक आ रही थी। पलक ने तो अभी से पटाखों के डब्बे रखने शुरू कर दिए थे।
तभी हर्ष कुछ सामान लेकर घर पहुंचा और उसने मीना को बोला, “मीना! ये सहगल अंकल के घर तो कोई चहल-पहल नहीं और कोई नज़र भी नहीं आ रहा। आखिर माजरा क्या है। उनके घर के सभी सदस्य कहीं गए हैं क्या?”
“सदस्य! सदस्यों से याद आया हर्ष हमने घर तलाशने की जल्दी में कभी उनसे पूछा ही नहीं कि उनके घर में कौन-कौन हैं। कोई नहीं मैं जगत से ही पूछ लेती हूं कि क्या सब कहीं गए हैं।”
मीना ने चौकीदार जगत को फ़ोन लगाया और जो उसे सुनने को मिली, उससे मीना की आंखें नम हो गईं।
“क्या हुआ मीना, कुछ बात हुई क्या तुम्हारी?”
“हर्ष सहगल अंकल बिल्कुल अकेले हैं और पिछले साल ही एक कार दुर्घटना में उनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो गई। ऐसे में कैसे वो अपने आपको संभालेंगे और त्योहार मनाएंगे।”
स्थिति को संभालते हर्ष बोला, “तो अब क्या सोचा है तुमने?”
“सोचना क्या है। हम हैं ना, सब साथ मनाएंगे इस दीवाली को। चलो अभी मेरे साथ…”
और मीना मिठाई के डिब्बे, पकवान, लड़ियों और तमाम सामानों के साथ पलक और हर्ष के साथ चल दी।
नीचे पहुंच सबसे पहले कुछ लड़ियां दरवाजे पर लगा और रंगोली से सजावट की। डोर बेल बजाकर सहगल अंकल को दीवाली की शुभकामनाएं दी और मुंह मीठा कराया।
सहगल अंकल इतना प्यार देख भावविह्वल हो गए।
हर्ष बोला, “हमें अभी सब पता चला। पर इस दीवाली आप अकेले नहीं आपका ये परिवार आपके साथ है।”
सहगल अंकल बोले, “ये त्योहार पहले फीका था क्योंकि तब अपना ना कोई था। पर तुम लोगों के प्यार ने सच में दिल में दिए जला दिए। मेरी दुआएं है तुम बच्चों के साथ…ऐसे ही सभी के दिलों में प्रकाश फैलाते रहना। मेरे जैसे और भी होंगे जिन्हें तुम जैसे बच्चों की जरूरत होगी।”
तभी पलक बोली मेरे दादू नहीं है क्या आप हमेशा के लिए मेरे दादू बनोगे।
छोटी बच्ची की बात सुनकर सहगल जी की आंखों में आसूं आ गए और बोले, “ये दादू तेरा ही है और अब तो तेरा पूरा हक है।”
उस दिन सहगल जी का घर दियों से जगमगा उठा। ये दीवाली दिलवाली जो मनी थी जिसने किसे के अंधेरे घर को रौशन कर खुशियां दीं।
इमेज सोर्स: Still from Cadbury Diwali Ad, YouTube
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