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रुद्राक्ष की माँ ने मावे से बना सेब हाथ में उठाते हुए कहा, "माँग तो हैं बहनजी। अगर आप हमारी माँग पूरी कर सकें तो ही यह विवाह होगा, नहीं तो आप ना समझो।"
रुद्राक्ष की माँ ने मावे से बना सेब हाथ में उठाते हुए कहा, “माँग तो हैं बहनजी। अगर आप हमारी माँग पूरी कर सकें तो ही यह विवाह होगा, नहीं तो आप ना समझो।”
दिवाली का दिन था। पूरी मेज़ पर मिठाइयों का थाल भरा रखा था। एक तरफ रसमलाई रखी थी, तो दूसरी ओर कुछ दिए जल रहे थे और पास में गुजिया भी रखीं थीं।
रुद्राक्ष एक कम्पनी में मेनेजर के पद पर काम करता है और उसके साथ कम्पनी में रुद्रा भी नौकरी करती है। दोनों एक दूसरे को पसन्द करते थे परन्तु डरते थे कि कहीं दोनों के माता-पिता जाति-भेद के कारण मना न कर दें।
कुछ महीनों के बाद दोनों ने अपने माता-पिता को विवाह के लिए मना लिया परन्तु दोनों की शर्त थी कि पहले दोनों परिवार आपस में मिलेंगे। आखिर दिवाली का दिन दोनों ने परिवारों को मिलाने के लिए चुना। दोनों परिवार खुश थे, सब ठीक था तभी रुद्रा की मम्मी ने कहा, “बहन जी! बच्चों की खुशी में हमारी खुशी। आप इस रिश्ते से सहमत तो हैं ना? आपकी कोई माँग तो नहीं।”
रुद्राक्ष की माँ ने मावे से बना सेब हाथ में उठाते हुए कहा, “माँग तो हैं बहनजी। अगर पूरी कर सकें तो ही यह विवाह होगा।”
यह सुनते ही सबके चेहरे का रंग उड़ गया।
रुद्रा की मम्मी तो घबरा ही गयी थी, समझ ही नहीं पा रही थी क्या करे। रुद्राक्ष को अपनी माँ पर गुस्सा आ रहा था किन्तु सबके सामने कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसे मम्मी से ये अपेक्षा तो बिल्कुल भी नहीं थी।
तभी उसकी माँ ने कहा, “देखिए मुझे इन बच्चों से कुछ माँगना है। हम दोनों परिवार इनकी खुशी के लिए ये विवाह करने को तैयार हो गये। अगर ये इस रिश्ते के वचनों को आजीवन निभाने का वादा करें तो ही हमें स्वीकार है। एक दुसरे की इज़्ज़त कर सकें, तो हमें स्वीकार है। एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहें, तो हमें स्वीकार है!”
यह सुनते ही सभी के चेहरे खिल उठे और सबने एक एक गुझिया अपने हाथों में उठा ली। रुद्राक्ष और रुद्रा के चेहरे पर दिए की रोशनी से चमक उठे और आँखों ही आँखों में दोनों जिन्दगी भर साथ निभाने का वायदा करने लगे।
इमेज सोर्स: Manu_Bahuguna from Getty Images via Canva Pro
I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...
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