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वेब सीरीज द मैरिड वुमन में आस्था का पति, घर सँभालने और हर सेकंड सैटरडे को सेक्स के लिए प्रस्तुत रहने के अलावा आस्था कुछ है, वह नहीं जानता।
‘द मैरिड वुमन’, वेब सीरीज का नाम सुनकर ही लगता है कि ये स्त्रियों के शादी-शुदा जीवन से सम्बन्ध रखती है। परन्तु शादीशुदा जीवन के अलावा भी यह स्त्री मन की कई तहों को खोलती है। जेंडर की बनी बनाई परिपाटी को तोड़ती है। यह सीरीज जेंडर फ्लूइडिटी की बात करती है। इसी के साथ साथ हिन्दू-मुस्लिम विवाद और साम्प्रदायिकता के मुद्दों को भी छूती है।
यह दो स्त्रियों, दो शादीशुदा स्त्रियों की कहानी है। दोनों का जीवन अलग, दिनचर्या अलग, सोच अलग, क्लास अलग। बिल्कुल धरती के दो ध्रुवों की तरह अलग। लेकिन जब दोनों मिलते हैं तो महसूस करते हैं मानों उनके मन एक ही धागे में पिरोए गए हों।
पिप्लिका आज़ाद ख्यालात है। अमीर घर से है। बचपन से ही बागी रही है और पैन सेक्सुअल है। वह पैन सेक्सुअलिटी को बेहद ही खूबसूरत से शब्दों में बयां भी करती है – ‘रूह से प्यार करती हूँ जेंडर से नहीं!’ वहीं आस्था अपनी सेक्सुअलिटी को अभी एक्स्प्लोर ही कर रही है।
आस्था कमाती है, पढ़ी-लिखी है, नामी विश्विद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं। आस्था की मां ने उसके पिता की मृत्यु के बाद अपने सारे गहने बेचकर हेमंत से उसकी शादी की ताकि वह खुश रह सके। हेमंत के इस एहसान तले आस्था की मां जीवन भर दबी रहती है और चाहती है कि आस्था भी उसका एहसान माने। लेकिन आस्था कहती है कि मां मुझमें और आपमें एक फर्क है। मैं कमाती हूं, किसी और के कमाए पैसों पर नहीं पलती। यहां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिला का आत्मविश्वास आस्था में दिखाई देता है।
कहने को अच्छा परिवार है, अच्छा पति है, बच्चे हैं, वह सब है जो एक खुशहाल परिवार के लिए जरूरी माना जाता है। लेकिन आस्था के जीवन में कहीं न कहीं अधूरापन है। आस्था महसूस करती है कि उसका पति हेमंत न तो उसे प्यार करता है और न ही समझता है। यहाँ तक की वह तो ये भी नहीं जानता की की आस्था कॉलेज में कौन-सा विषय पढ़ाती है। वह बस अपने दोस्तों के सामने उसके हाथों की बनी कचौरी की तारीफ करता है। घर सँभालने, कचौरी बनाने और हर सेकंड सैटरडे को सेक्स के लिए प्रस्तुत रहने के अलावा भी आस्था कुछ है वह नहीं जानता।
आस्था को लगता है कि शायद यही जीवन है। शायद उसके हिस्से में इतना ही है। लेकिन जब वह अपने कॉलेज में उसके द्वारा लिखे गए नाटक का निर्देशन करने वाले एजाज़ से मिलती है तो घर, परिवार, बच्चे और पति से बाहर की दुनिया से रू-ब-रू होती है। तब जाकर वह दुनिया को अपने नजरिए से देखना शुरू करती है। जैसे ही वह ‘लक्ष्मण रेखा’ से बाहर कदम रखती है यानि कि उसके लिए सीमित कर दी गई दुनिया से बाहर जाती है तो वास्तव में उसे खुश रहने की अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं।
आस्था पहले एजाज़ से लगाव महसूस करती है तो वहीं बाद में उसकी पत्नी पिप्लिका के प्रति उसे जबरदस्त आकर्षण होता है। उसे महसूस होता है कि पिप्लिका उसे समझती है। चाहे वह कुछ कहे या ना कहे, पीपलिका उसके मन को पढ़ लेती है। यहां से आस्था का जीवन एक द्वंद्व में उलझ जाता है। वह सेल्फ डिनायल के मोड़ में है, वह स्वीकार नहीं करना चाहती कि वह किसी लड़की की तरफ आकर्षित हो सकती है। किसी औरत से प्रेम कर सकती है। वह शुरुआत में इसे नकारती है।
वह पिप्लिका से बार बार कहती है कि मैं ‘ऐसी वैसी’ लड़की नहीं हूं। यहां तक कि वह लेस्बियन शब्द अपनी ज़बान पर भी नहीं ला पाती है। वह बचने के लिए पिप्लिका से दूरी भी बनाती है। लेकिन अंत में महसूस करती है कि उसकी तलाश पिप्लिका ही है और पारंपरिक रिश्ते को छोड़कर पिप्लिका के साथ अपने रिश्ते को प्राथमिकता देती है।
यह वेब सीरीज उन सभी आस्था जैसी औरतों को एक उम्मीद की किरण दिखाती है जो अपनी इच्छाओं को मारकर समाज द्वारा लाद दी गई मान्यताओं को जीवन भर ढोती रहती हैं। जो अपने लिए जीना भूल चुकी हैं। जिनके लिए आजादी दूर की कौड़ी है। यह वेब सिरीज़ हर उस इन्सान को प्रेरित करती है जो सामाजिक वर्जनाओं के बोझ तले अपनी सेक्सुअलिटी को नकार देते हैं और ताउम्र दोहरा जीवन जीने के लिए मजबूर होता है।
इमेज सोर्स: Still from Drama The Married Woman
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