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सिंदूर, उनके साथ भी उनके बाद भी…

"चलो! मैंने सोचा था मिलकर बताऊंगी पर बात खुल ही गई तो बता देती हूं। वो मैं ही थी सौ प्रतिशत मैं और मैंने सोलह श्रृंगार भी किया हुआ था।"

“चलो! मैंने सोचा था मिलकर बताऊंगी पर बात खुल ही गई तो बता देती हूं। वो मैं ही थी सौ प्रतिशत मैं और मैंने सोलह श्रृंगार भी किया हुआ था।”

“शिखा, कैसी हो बेटा? बहुत दिनों से तुमसे बात नहीं हुई थी तो सोचा हाल समाचार पता कर लूं।”

“हम लोग सब ठीक हैं मामा जी। आप लोग कैसे हैं? मामी जी, गुड्डू और पिंकी कैसे हैं?”

“सब बढ़िया हैं। पढ़ाई-लिखाई चल रही है सबकी।”

“और कहिए कैसे याद किया?” बिना मतलब फोन ना करने वाले मामा जी से शिखा सीधे मुद्दे पर आ गई।

“अरे तुम लोगों की याद आई तो फोन किया। वैसा कोई विशेष कारण तो नहीं, पर हां फोन किया ही है तो लगे हाथों पूछ ही लेता हूं, बेटे आपकी जो चाची हैं, अरे वो तीसरे नंबर वाली ‘संगीत शिक्षिका’.. उन्होंने शादी कर ली क्या?” मामाजी हठात पूछ बैठे।

“ये क्या बोल रहे हो आप मामाजी?” शिखा इतनी जोर से चिल्लाई कि दूसरे कमरे से मम्मी-पापा भी निकल आए।

शिखा को आवाक सा देख मम्मी ने फोन ले लिया।

“हैलो! अच्छा भैया आप? सब कुशल मंगल तो है ना?”

“हां बहना! यहां तो सब बढ़िया। लगता है तुम लोगों को भी पता नहीं इसलिए शिखा चौक पड़ी। दरअसल कल मैं कुछ काम से दिल्ली गया था। वापस लौटते वक्त ट्रेन में तुम्हारी देवरानी दिखी। पहले तो मैं पहचान नहीं पाया आगे बढ़ गया, पर देखा देखा सा चेहरा लगा तो वापस जाकर ध्यान दिया तो वही थी। पर मैं बात करने की हिम्मत ना जुटा पाया बहन। ना उन्होंने मुझसे बात की।”

“हिम्मत ना जुटा पाए? पर क्यों भैया?”

“दरअसल वो पूरे मेकअप में थी। सिंदूर, मंगलसूत्र, बिंदी सब लगाया हुआ था और तुम्हारे छोटे देवर तो तीन साल पहले ही… तो वहीं मैं शिखा बिटिया से पूछ रहा था कि क्या उन्होंने दूसरी शादी कर ली?”

“नहीं भैया! ऐसा तो कुछ भी नहीं है। पिछले इतवार को भी भावना का फोन आया था। मुझे तो वो बड़ी बहन से भी ज्यादा सम्मान देती है। ऐसा होता तो मुझे ना बताती? उल्टे हम-सब उसे समझाया करते हैं कि वो अपना जीवन फिर से बसा ले पर वो तो मानती ही नहीं। फिर भला वो हमसे क्यों छिपाएगी? शायद आपसे पहचानने में भूल हुई होगी, बहुत समय पहले देखा था ना आपने उसे। शायद शादी के ही समय। जरूर कोई भूल हो गई होगी आपसे भैया।”

मामाजी को तो उसकी मां ने समझा दिया था, पर शिखा के दिमाग से बात जा नहीं रही थी। मामाजी की नजरें काकदृष्टि से कम नहीं है, उनसे कोई भूल हो ही नहीं सकती। फिर चाची का राज़…

अभी तीन साल पहले ही तो चाचाजी रोड एक्सीडेंट में नहीं रहे थे। पांच साल की शादी की यादें और गोद में तीन साल का बच्चा अंश, यही छोड़ गए चाची के लिए। प्राइवेट नौकरी थी तो चाची का वहां कुछ होना था नहीं। पर संगीत विशारद की डिग्री काम आई और एक आवासीय विद्यालय में संगीत शिक्षिका की नौकरी पर लग गई।

यूं तो बड़े चाचा और पापा हमेशा उनके साथ खड़े रहे, पर नौकरी का निर्णय लेने के पीछे उनका ये भी तर्क था कि उनका समय भी कट जाएगा। भावना चाची और अंश को सबने बहुत मिस किया पर चाची की भी भावनाओं का सम्मान करना था और उन्हें भी स्पेस देना था कि वो अपनी जिंदगी अपने अनुसार जी सकें।

मम्मी और बड़ी चाची ने तो उन्हें दूसरी शादी करने को भी कहा। पर भावना चाची का प्यार तो अखंड था, चाचाजी भले ही चले गए थे, पर उनके प्यार को चाची ने अपने दिल से मरने नहीं दिया।पर आज मामाजी का कहना, वो सिंदूर, मंगलसूत्र, बिंदी चूड़ियां… माजरा क्या है? चाची उससे तो मित्रवत संबंध रखती हैं, वो अपनी सारी बात उनसे शेयर करती हैं और चाची भी ऐसा दावा करती हैं तो ये क्या छिपा रही हैं और आखिर क्यों?

घर में सब इस बात को मामाजी का नजर दोष समझ और शायद चाची पर अटूट विश्वास होने के कारण थोड़ी ही देर में भूल गए थे, पर शिखा का दिल मानने को तैयार ना था। शाम को फोन लेकर छत पर गई और वीडियो कॉल लगाया।

“हैलो शिखू। कैसी हो बेटे?” अंश के साथ खेलती चाची बिल्कुल वैसी ही थीं,जैसी वो रहती थीं।  बिल्कुल सादी-सादी सी। मामाजी की व्याख्या से बिल्कुल अलग।

“ठीक हूं चाची। घर में भी सब ठीक है।”

“पर चेहरे से तो ठीक नहीं लग रही बिटिया रानी”, अंश के हाथ में खिलौना पकड़ाकर वो फोन की ओर मुखातिब हुईं।

“चेहरा पढ़ लेती हो चाची। मन भी पढ़ लो क्या चल रहा है?”

“कुछ तो है। कोई सवाल या शायद कोई शंका??”

“सब कुछ समझ ही गई तो जो चल रहा है उसका उत्तर भी दे ही दो…”

“पहेलियां मत बुझाओ शिखू। सीधे-सीधे पूछो ना क्या पूछना है? मुझे भी घबराहट हो रही है।”

मामाजी से हुई सारी बातें शिखा ने दोहरा दीं।

उसने पाया चाची ने बिना विचलित हुए सारी बातें शांत चित्त होकर सुनीं, मुस्कराईं, फिर बोलीं, “चलो! मैंने सोचा था मिलकर बताऊंगी पर बात खुल ही गई तो बता देती हूं। वो मैं ही थी सौ प्रतिशत मैं और मैंने सोलह श्रृंगार भी किया हुआ था। यहां स्कुल की तरफ से अक्सर बच्चों को लेकर संगीत सभाओं में जाना होता है।

मेरे अलावा महिला और पुरुष स्टाफ भी होते हैं। पर जाने ये मेरी ही नज़रों का दोष था या दुनिया के प्रति पल रही गलत धारणा। अपने सादे रूप और कोरे कपड़ों में मैं अक्सर खुद को असहज महसूस करती, लगता सारी नजरें मुझे ही घूर रही हैं और उनकी आंखों में अनगिनत सवाल हैं। कई बार अगले की आंखों में सहानुभूति की आड़ में बदनियती भी दिखी। धीरे-धीरे स्थिति ये हो गई कि ट्रेन, बस या कोई भी सभा गोष्ठी मेरी धड़कनें बढ़ा देती।

एक समय मुझे गोष्ठियों में जाने में डर सा लगने लगा था। पर मुझे पता था कि जिन परिस्थितियों से मैं उबरी हूं, अगर इस बार मेरा आत्मविश्वास डिगा तो मैं कभी अपने अस्तित्व को वापस नहीं पा सकूँगी।

तो मैंने इसका उपाय निकाला। तुमने तो देखा है ना शिखा मुझे चौबीसों घंटे सजा संवरा देखना वो कितना पसंद करते थे? भले वो शारीरिक रूप से मेरे पास नहीं पर उन्हें तो मैं हर पल अपनी रूह से महसूस करती हूं। तो मैं सज संवर कर बाहर जाने लगी। और बता उससे क्या हुआ?”

“क्या हुआ चाची?”

“मैं ये बिल्कुल नहीं कहती कि शादीशुदा औरतों के साथ गलत नहीं होता। वो ग़लत दृष्टि की शिकार नहीं होती। पर ये तो जरूर है कि कोई उन पर सवाल नहीं बरसाता, ‘सहानुभूति’ दिखाकर फायदा उठाने की ताक में नहीं रहता और फिर ये सारी बातें मैंने महसूस भी की।

वैसे तुम्हें पता है शिखू। जब मैं श्रृंगार करके निकलती हूं ना तो ना केवल अपने मन से मजबूत हो जाती हूं। मुझे लगता है तुम्हारे चाचाजी मेरे साथ हैं। मेरी सुरक्षा कर रहे हैं। बस वो सिंदूर और मंगलसूत्र जो मेरे सुहाग का प्रतीक था, अब मेरी ताकत बन गए। सोचो ना…पास ना होकर भी वो मुझे कितना बड़ा सहारा दे रहे हैं। शायद इतना कठिन निर्णय और कदम उठाना भी मैं उनकी प्रेरणा से ही कर पाई हूं…”

आवाज भर आई चाची की।

“चाची अब तक तो मैं आपसे प्यार करती थी, पर आपकी बातें सुनकर आपकी इज्जत और बढ़ गई है मेरे दिल में। सच में!” शिखा भी भावविह्वल थी।

वाकई चाचाजी तो तब भी उनके साथ थे, अभी भी हैं। सिर्फ दिखाई नहीं देते। जब चाचाजी से रिश्ता नहीं टूटा तो अन्य चीजों से क्यों? ऊपरवाला तो दो इंसानों को बस जोड़ता है बाकी के सारे नियम तो इंसान खुद बनाता है। इंसान मन में ज़िंदा है तो उसकी दी गयी सांसारिक बेजुबान निशानियां अगर  खुद को सुरक्षित महसूस कराने के लिए इस्तेमाल भी हो गए तो गलत क्या हुआ?

इमेज सोर्स: Still from Gajar Ka Halwa/Ruma Mondal, YouTube (इमेज सिर्फ प्रतिनिधित्व उद्देश्य के लिए है)

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