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बेटी अब मां सी हो गई है, जहान का उसके दायरा बढ़ गया है, जिम्मेदारियों में उसकी मां-पापा भी अब शामिल हो गए हैं, बेटी अब मां-सी हो गई है।
आज वो चिट्ठी आई है जो लिखी नहीं गई पर महसूस बहुत बार हुई पढ़ी भी कई बार गई और अनेकों बार उसकी राह अपेक्षित भी रही।
‘मां की वो चिट्ठी’ बेटी के नाम वो मां जिसने स्वयं उसे पढ़ना-लिखना सिखाया पर आज उससे ही पूछती समाधान हर समस्या का।
वो मां जिसने उसे चलना सिखाया पर आज पूछती पता हर मुश्किल राह पर…
वो मां जो कभी जागती थी दिन रात बेटी के बीमार होने पर या उसकी परेशानियों में, आज उसकी बेटी मां- सी हो गई है, वो मां!
वो अन लिखी चिट्ठी फिर से स्मृति पटल पर विचरित हो रही है उसमें शब्द समस्याओं को सुन रहे हैं, भाव खुद ब्यान हो रहे हैं…
मां ने चिट्ठी लिखी बेटी के नाम और कहा आज भी तू मेरा चांद है, दिल का अरमान है दूर रहे या पास तू ही स्मृति शेष है तू मेरी परछाई विशेष है।
बस मेरी तरह तू कभी न घबराना बदलते जमाने के बेरहम कायदों से, तू रहना अटल दृढ़-निश्चयी अपने फैसलों पर।
भलाई जिसका परिणाम रहे, प्रेम जहां आधार रहे, तू बढ़ाना कदम उसी डगर हौसलों को अपने रखना अडिग, विश्वास भी मेरी सीख सा, तेरा ध्येय रहे…
बेटी अब मां सी हो गई है जहान का उसके, दायरा बढ़ गया है जिम्मेदारियों में उसकी मां-पापा भी अब शामिल हो गए हैं, बेटी अब मां-सी हो गई है।
इमेज सोर्स: Still from short film Lost and Hound, Pocket Films/YouTube
Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger ,Media Literacy and Digital Safety Mentor. read more...
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