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एक बूंद चिंगारी की, एक बूंद नफरत की, ढहलादे महलों के भी निवास, क्यों न दूरी दिलों की मिटाये?जो हो मानव का परम उल्लास।
एक बूंद मिले पानी की, तो प्यासे को भी आये आस, एक बूंद रक्त की, मरते को भी दे जीने की सांस।
एक बूंद प्यार की, घोलती है शब्दो में रस, एक बूंद करूणा की, दीन का भी बढाती है विश्वास।
एक बूंद चिंगारी की, बन जाती है ज्वाला, अनल विनाश की।
एक बूंद नफरत की, ढहलादे महलों के भी निवास। बनने से पहले नफरत का ग्रास, क्यों न एक कदम बढाए?
जो मानवता का हो उत्थान, क्यों न दूरी दिलों की मिटाये? जो हो मानव का परम उल्लास।
Pen woman who weaves words into expressions. Doctorate in Mass Communication. Media Educator Blogger ,Media Literacy and Digital Safety Mentor. read more...
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