कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
राजेश को ये उम्मीद नहीं थी कि कुछ ऐसा सुनने को मिलेगा। पर उसनेे भी हिम्मत नहीं हारी और पता नहीं क्या सोच कर फ़िर लाईन में लग गया।
“राजेश, लड़की बैंक में कैशियर है। तुम चाहे तो सीधे जाकर बैंक में मिल आओ। साथ ही कहीं आराम से बैठकर बातें भी कर लेना। जब मिलने जाना तो बोल देना, तिवारी जी के घर से आया हूं तो बिटिया समझ जाएगी और कोई परेशानी भी नहीं होगी।”
राजबिहारी जी अपने सुपुत्र को समझा रहे थे। बात ये थी कि कल ही वो नेहा के माता-पिता से अपने बेटे की शादी की बात करके आए थे। नेहा के माता-पिता ने अपनी बिटिया से मिलवाने के लिए राजेश को बैंक के लिए ही बोल दिया था।
राजबिहारी जी को तो बिटिया बहुत ही प्यारी और गुणी लगी थी। इसलिए वो चाहते थे कि राजेश जल्द से जल्द मिल लें जिससे ये रिश्ता आगे बढ़े। राजेश एक मल्टीनेशनल कंपनी में रीजनल मैनेजर के पद पर आसीन है। अच्छी सैलरी और हर प्रकार से व्यवस्थित है। बस अब शादी हो जाए तो आगे गृहस्थ जीवन में प्रवेश करे।
इधर व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय निकाल कर राजेश बैंक पहुंचा। बैंक में आदतन भीड़ लगी हुई थी और हर किसी को जल्दबाजी थी। इस बीच राजेश ने चौकीदार से नेहा के बारे में पूछकर उसके काउंटर पर खड़ा हुआ। राजेश के आगे तीन और लोग खड़े थे, जो मजाल है उसे आगे बढ़ने देते! फ़िर भी उसने हिम्मत कर लाईन से अलग हट नेहा के पास पहुंचने की कोशिश की।
जैसे ही उसने नेहा को परिचय देना चाहा और बोला कि मुझे तिवारी जी ने भेजा है, नेहा ने आव देखा ना ताव बस बरस पड़ी, “आप लोगों ने समझ क्या रखा है? हम बैंकर क्या बस सिफारिशों में लगे रहें? मैं नहीं जानती किसी तिवारी जी को। लाईन में लगें और पैसे समय आने पर निकालें। ऐसे तो मैं कतई समय नहीं दूंगी चाहें किसी के भी परिचय से आए हों।”
राजेश एक बारगी तो ठिठक गया। उसे ये उम्मीद नहीं थी कि कुछ ऐसा सुनने को मिलेगा। पर उसनेे भी हिम्मत नहीं हारी और पता नहीं क्या सोच कर फ़िर लाईन में लग गया। बाकी साथ खड़े लोग देखकर खुश थे कि राजेश को झिड़की मिली।
“मैडम जी बहुत अच्छी हैं, वो सभी का काम बिल्कुल नियमावली के अनुसार करती हैं।”
खैर! जैसे-तैसे राजेश का समय आया पर फिर लंच का समय हो गया। नेहा ने समय का हवाला देते हुए लंच बाद मिलने को कहा। पर राजेश ने भी हार नहीं मानी और उसके पीछे हो लिया।
“देखिए! मैं यहां कोई खाते में पैसे डलवाने नहीं आया। मैं तो आपसे मिलने आया हूं। आपके पिताजी ने ही मेरे घर वालों को आपसे बैंक में मिलने को बोला था और परिचय में तिवारी जी का नाम लेने को बोला। पर यहां स्थिति ही विपरीत थी।”
नेहा ने जैसे ही पूरी बात सुनी उसने पहले तो क्षमा मांगी क्यूंकि जिस प्रकार उसका समय महत्वपूर्ण था वैसे ही राजेश जी का भी। पर राजेश ने इस बात को तूल ना देकर दिखा दिया कि वो कितने सज्जन हैं।
नेहा और राजेश तुरंत पास के कैफे में मिलकर अपनी पहली मुलाकात पूरी की जहां नेहा ने बताया कि सुबह जल्दी निकलने के चक्कर में पापा की पूरी बात सुने बिना हां कहा। जिसका परिणाम ये हुआ कि आपको असुविधा हुई।
राजेश ने नेहा से कहा, “मुझे अच्छा लगा आप अपने काम के लिए इतनी सजग हैं। खैर! आपसे ये मुलाकात यादगार रहेगी।”
घर पहुंचने पर दोनों से जब मुलाकात के बारे में जानकारी ली गई तो मन ही मन दोनों मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।
आज दोनों की शादी को तीस साल हो गए पर वो पहली मुलाकात याद आते ही फिर से वो जोश वापस आ जाता है। राजेश आज वैसे ही शांत चित्त इंसान हैं, जिन्हें जीवनसाथी रुप में पाकर नेहा खुश है।
इमेज सोर्स: Still from A Lil Imperfect/Six Sigma Films, YouTube
read more...
Please enter your email address