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बेफिक्री वाले बचपन कहां है, मां के हाथों की मालिश कराएँ, रूखे पकते बालों का इतिहास गवाह है, बताओ तो हमारे हिस्से का इतवार कहां है?
हमारे हिस्से का इतवार कहां है, कोई तो बताओ आराम कहां है। चाय की प्याली वाला रविवार कहां है, सुबह के अखबारों वाली ताज़गी कहां है, ठंड में सुस्ताती आरामतलबी कहां है, हमारे हिस्से का इतवार कहां है…
रसोई की सामग्रियों से अवकाश कहां है, सुबह के नाश्तों से मिला ब्रेक कहां है, अपना मी-टाइम ढूंढता समय कहां है, कोई तो बताए हमारे हिस्से का आराम कहां है।
एक दिन की ‘स्त्री’ बनकर कोई सुख दे, वो ऐसा दिन हमारे नसीब में कहां है, अपने शौक को दुबारा जिएँ महीना कहां है, ऐसा मिला हमारा इतवार कहां है?
अल्हड़ मस्ती वाले दिन कहां है, बेफिक्री वाले बचपन कहां है, मां के हाथों की मालिश कराए, रूखे पकते बालों का इतिहास गवाह है, बताओ तो हमारे हिस्से का इतवार कहां है?
इमेज सोर्स: Still from An All Out Ad Stand By Mom’s Tough Parenting Decisions, YouTube
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