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21 से पहले शादी नहीं: प्यार और शादी से ज्यादा जरूरी है मेरा अपने पैरों पर खड़ा होना

हम ऐसे देश में रहते है जहां आज भी ज्यादातर लड़कियों को सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है ताकि वो शादी के लिए सूटेबल लड़की के खांचे में फिट हो सकें।

हम ऐसे देश में रहते है जहां आज भी ज्यादातर लड़कियों को सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है ताकि वो शादी के लिए सूटेबल लड़की के खांचे में फिट हो सकें।

जब पहली बार जाना कि कानूनी रूप से लड़कों की शादी की उम्र 21 और लड़कियों की 18 साल है, तभी मेरे बालक मन में सवाल उठा की ये भेदभाव क्यूँ? या तो लड़कों की भी 18 हो या लड़कियों की भी 21। अब जब लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल होने जा रही है तो सबसे पहले मन में यही ख्याल आया कि अब इस मामले में लड़के और लड़कियों में बराबरी होगी।

बहुत से लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं। उनका खुश होने के बजाए तर्क/ कुतर्क देकर इसके साइड इफ़ेक्ट गिनवाना या ऐसे मुद्दों को इसके बरक्स लाकर खड़ा करना जो अभी हासिल नहीं हैं, रास नहीं आया मुझे।

दरअसल हम ऐसे देश में रहते है जहां आज भी ज्यादातर लड़कियों को सिर्फ इसलिए पढ़ाया जाता है ताकि वो शादी के लिए सूटेबल लड़की के खांचे में फिट हो सकें। परिवार को लगता है कि जब तक शादी नहीं होती तब तक लड़की को पढ़ा लिया जाए। जैसे ही बारहवीं करते-करते वह 18 साल की होती है, परिवार उसकी शादी की तैयारियों में जुट जाता है।

अपने भविष्य के लिए सुखद सपने बुनती उस लड़की के जीवन की सारी सम्भावनाएं, सारे मौके उसी पल ख़त्म हो जाते हैं। इस उम्र तक उसमें वह आत्मविश्वास और साहस भी नहीं होता कि वह परिवार के किसी फैसले का विरोध कर सके, इसलिए वह सपने देखने की उम्र में शादी के बोझ तले दब कर रह जाती हैं।

अब जब शादी की उम्र इक्कीस वर्ष हो जाएगी तो ऐसे माता-पिता जो अठारह साल का इंतजार करते थे, अब इक्कीस साल का इंतजार करेंगे और लड़कियों को पढ़ाई करने के लिए, समझदारी के लिए, अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तीन साल का समय और मिलेगा।

हां ये है कि जो लड़कियां कम उम्र में अपनी मर्जी से, अपने चुने हुए साथी के साथ शादी करना चाहती हैं उन्हें अब तीन साल और इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन इस बिंदु को बारीकी से देखें तो यह लड़कियों का कोई भारी नुकसान नहीं है।

जिन लड़कियों की 18 साल में शादी हो जाती है उन पर अचानक से इतनी जिम्मेदारियां, इतनी नैतिकताएं लाद दी जाती हैं जिनके लिए वे अभी तैयार नहीं थीं। 21 साल तक आते आते एक या दो बच्चों की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी आ पड़ती है और विडंबना यह है कि पितृसत्तामक समाज का पिता बच्चे की जिम्मेदारी के भार को साझा भी नहीं करना चाहता। 

तो कुल मिलकर बात यह है कि जल्दी शादी होने पर उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। कम उम्र में प्रेगनेंसी और मिस-कैरिज के दुष्परिणाम उसे ताउम्र भुगतने पड़ते हैं। उसका जीवन इन्हीं तानों बानों में उलझ कर रह जाता है।

कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों को अधिकतर मैंने पछताते हुए ही देखा है। जब वे अपनी ही उम्र की दूसरी लड़कियों को अपनी मर्जी का और आत्मनिर्भर जीवन जीते हुए देखती हैं तो कसक उठती हैं। तब वे महसूस करती हैं कि अगर कम उम्र में शादी नहीं हुई होती तो उनका जीवन बेहतर होता। 

लड़कियों के जीवन में शादी और प्यार के अलावा भी और बहुत सी चीजें हैं, जिनके लिए यह कानून सहयोगी साबित होगा। प्यार और शादी से ज्यादा जरूरत है उन्हें आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़े होने की, उनके लिए सीमित कर दी गई दुनिया से बाहर निकल कर अपने नजरिए से दुनिया को देखने की, स्वयं को अपने लिए निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाने की। अब उनके पास तीन साल का समय और है अपने सपनों को पूरा करने के लिए और पितृसत्तात्मक समाज में सरवाइव करने के लिए अपने आप को मजबूत बनाने के लिए। 

अब जो तीन साल का अतिरिक्त समय मिला है उसमें परिवार सोचेगा की लड़की या तो पढ़े या नौकरी करे या फिर कोई काम सीखे। ये तीनों ही काम लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायेंगे और दुनिया को समझने और अपनी नजर से देखने का मौका देंगे।

हां यह बात जरूर है कि इससे बाल विवाह रोकने में कुछ खास मदद नहीं मिलेगी। जो माता-पिता पहले शादी के लिए लीगल उम्र 18 साल होने का इंतज़ार करते थे वे 21 साल का भी करेंगे और जो 18 का इंतजार नहीं करते थे वे 21 का भी नहीं करेंगे। यकीनन इसके लिए बाल-विवाह की जड़ में जो कारण हैं जैसे की अशिक्षा, गरीबी, जागरूकता की कमी और लड़कियों की असुरक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा।

होने को अभी सैकड़ों समस्याएँ हैं, हजारों महिलाओं के ऐसे सरोकार हैं जिन पर ध्यान देने की ज़रूरत है, ढेरों मुद्दे है जिन पर सरकार गंभीरता से सोचे थे जेंडर इक्वालिटी के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। लेकिन जब कुछ हासिल होता है तो हम उसे सेलिब्रेट करते हैं और फिर अगले लक्ष्य की और ध्यान लगते हैं। जो अभी हासिल नहीं हुआ उसकी वजह से जो हासिल है उसकी सार्थकता को तो नहीं नकार सकते ना?

इमेज सोर्स: Still from Short Film Romantic Comedy My First Night/ Motivational Video Content Ka Keeda via YouTube

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