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मेनोपॉज के लक्षण दिखने लगें तो तुरंत अपने डॉक्टर को संपर्क करें। एक अच्छे डॉक्टर का साथ और अच्छी देख-रेख से ये समय आसान बन जाता है।
मेनोपॉज के लक्षण दिखने लगें तो तुरंत अपने डॉक्टर को संपर्क करें। समय से एक अच्छे डॉक्टर का साथ और अच्छी देख-रेख से ये समय आसान बन जाता है।
रजोनिवृत्ति महिलाओं में उस अवस्था को कहा जाता है जब उनके मंथली पीरियड्स या मासिक धर्म बंद पूरी तरह बंद हो जाते हैं। महिलाओं में आने वाली ये अवस्था कोई बीमारी तो नहीं होती लेकिन अपने साथ कई बदलाव भी ले कर आती है और वो शारीरिक होने के साथ साथ मानसिक भी होती हैं।
अपने आस पास बड़ी उम्र की कई महिलाओं की रजोनिवृति की समस्या या मेनोपॉज के लक्षण से जूझते और परेशान होते देख मैं इस लेख को लिखने को प्रेरित हुई। इस संबन्ध में मेरी मुलाक़ात अपने ही जान-पहचान की डॉ नेहा नूपुर से हुई। डॉक्टर नेहा ने बैचलर इन मेडिसिन एवं सर्जरी से अपनी मेडिकल डिग्री ली है और इस समय डॉक्टर नेहा नूपुर (dmch ) दरभंगा से मास्टर्स इन सर्जरी कर रही हैं।
डॉक्टर नेहा से रजोनिवृति से सम्बंधित कई मुद्दों पे मुझे विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई जिसे मैं आप सबके साथ सांझा करना चाहूंगी। तो आइये मेरे साथ और जानिये महिला स्वास्थ्य से जुड़ी उन पहलुओं जिन्हे अक्सर हम नजरअंदाज कर जाते हैं।
रजोनिवृत्ति जिसे आम भाषा में मेनोपॉज भी कहते है महिलाओं में आने वाली वो अवस्था होती है जब महिला का मासिक धर्म या पीरियड्स बिलकुल बंद हो जाता है। इस प्रक्रिया में एक साल से ले कर चार साल तक का वक़्त लग सकता है।
उम्र बढ़ने के साथ फीमेल सेक्स हॉर्मोन काम करना धीरे-धीरे बंद कर देता है जिससे अंडाशय, अंडे बनाना बंद कर देती है और पीरियड्स भी बंद हो जाते हैं। उम्र बढ़ने पर रजोनिवृत्ति होना बहुत आम बात है, साथ ही यहाँ ये स्पष्ट करना भी जरुरी है कि रजोनिवृत्ति होने के बाद महिला प्राकृतिक रूप से गर्भवती भी नहीं हो सकती। किसी भी महिला में रजोनिवृत्ति अचानक नहीं होती, यह धीरे धीरे ही होती है और जब तक पीरियड्स बिलकुल बंद ना हो जाये माँ बनने की संभावना भी बनी रहती है।
जब महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन जो की मासिक धर्म और गर्भ धारण करने में सहायक होते है उनका बनना धीरे-धीरे कम होने लगता है तब रजोनिवृत्ति की अवस्था आती है। जब ये हॉर्मोन बिलकुल बनना बंद हो जाते है तब महिला को मासिक धर्म भी आने बंद हो जाते हैं और महिला पूर्ण रूप से रजोनिवृत्ति की अवस्था पा लेती है। भारतीय महिलाओं में ये अवस्था 45 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र में आती है।
डॉक्टर के अनुसार रजोनिवृति या मेनोपॉज की अवस्था तीन चरणों में आती है। पेरीमेनोपॉज, यानि मेनोपॉज की पहली अवस्था जब पीरियड्स अनियमित होनी शुरू होती है। मेनोपॉज में पीरियड्स होना बिलकुल बंद हो जाते हैं। पोस्ट मेनोपॉज की अवस्था मेनोपॉज के बाद आती है।
आमतौर पे महिलाओं में रजोनिवृति 40 या 50 वर्ष की उम्र तक होती है लेकिन कुछ महिलाओं में ये अवस्था 30 से 40 वर्ष की उम्र में भी आ जाती है इसे प्रीमेनोपॉज कहते हैं।
प्रीमेनोपॉज के कई कारण हो सकते है जैसे कोई सर्जरी, कीमोथेरेपी, ऑटो इम्यून बीमारी, धूम्रपान आदि। डॉक्टर नेहा नूपुर के अनुसार, पीरियड्स 13 से 14 वर्ष की उम्र से शुरू हो 45 से 50 की उम्र तक रहते हैं लेकिन कुछ महिलाओं में समय से पहले ही रजोनिवृति के लक्षण लगभग 28 से 38 वर्ष के बीच में ही दिखने लगते हैं। प्रीमेनोपॉज में महिला के पीरियड्स बंद हो जाते है और माँ बनने की क्षमता भी खत्म हो जाती है।
यहाँ डॉक्टर ये सलाह देती हैं कि अगर किसी महिला में प्रीमेनोपॉज के निम्न लक्षण है तो बिना देर किये अपने डॉक्टर से संपर्क करे
• अनियमित पीरियड्स • बहुत अधिक गर्मी लगना • सेक्स की इच्छा खत्म होना • मूड स्विंग होना • यूरिन पे नियंत्रण खत्म होना
हर चीज समय पे ही अच्छी लगती है ना पहले ना ही बाद में कुछ ऐसी ही बात रजोनिवृति के विषय में भी है। समय से पहले अगर मासिक धर्म बंद हो जाये, तो महिलाओं में कई परेशानियों भी खड़ी हो जाती है।
एक रिसर्च के मुताबिक जिन महिलाओं में मेनोपॉज जल्दी होता है उनमें गंभीर बीमारियों का ख़तरा अन्य महिलाओं से तीन गुणा ज्यादा होता है। लेकिन प्रीमेनोपॉज एक ऐसी अवस्था है जिसे रोका भी नहीं जा सकता। हर महिला में इस अवस्था के आने का वक़्त और इस दौरान होने वाली परेशानी अलग अलग होती है। इस दौरान या इसके बाद अगर महिला गर्भ धारण करना चाहती है तो वह दूसरी महिला के एग या अंडे ले आई. वी. एफ तकनीक द्वारा ही महिला गर्भवती हो सकती है। प्रीमेनोपॉज की अवस्था को रोकना मेडिकल साइंस द्वारा भी संभव नहीं है लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रख इसके शारीरिक और भावनात्मक दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।
• पौष्टिक और संतुलित आहार ले • नियमित व्यायाम करे • वजन नियंत्रण में रखे • गर्म तासीर के भोजन कम खाये • खुब पानी पिये और फल का सेवन करे
रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलाव कई शारीरिक परेशानियाँ भी अपने साथ लाते हैं, जैसे अनिंद्रा, वजन बढ़ना, अवसाद, अधिक गर्मी लगना, चिंता आदि लेकिन सही पोषण और जीवनशैली में बदलाव कर इन परेशानियों को कम किया जा सकता है। बस जरुरी है कुछ ख़ास बातों को ध्यान रखने की और अपने डाइट में जरुरी बदलाव करने की।
• डाइट में कैल्शियम शामिल करें • साबुत अनाज का सेवन • ताजे और मौसमी फलो का सेवन जिनमें जामुन प्रमुख है • पर्याप्त मात्रा में पानी, छाछ,नीबू पानी,जूस का सेवन करें • प्रोटीन का सेवन करें • अधिक तेल मसाले वाले भोजन से बचें • शारीरिक रूप से सक्रिय रहे और नियमित व्यायाम करें • फाइबर युक्त भोजन करें • नशे से दूर रहें
हॉर्मोनल बदलाव के कारण कई बार महिलाओं को रजोनीवृति के दौरान हैवी ब्लीडिंग की समस्या भी रहती है। ब्लीडिंग के साथ क्लॉट्स या खून के थक्के आना भी देखा गया है। हैवी ब्लीडिंग से शरीर में कमजोरी आना स्वाभाविक होता है और एनीमिया का ख़तरा भी रहता है। हैवी ब्लीडिंग को रोकने के लिये डॉक्टर दवाइयां लिखते हैं जिनसे ब्लीडिंग कम होती है साथ ही अगर महिला को फाइब्राइड की समस्या आती है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी देते हैं।
हम महिलाओं की ये आदत होती है कि हम पूरे परिवार का तो ध्यान रखती हैं लेकिन जब खुद के देखभाल की बारी आती है तो उदसीन रवैया अपना लेती हैं। मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं होती लेकिन कई बार इस दौरान होने वाली परेशानियाँ इतनी हो जाती हैं कि महिलाओं की दैनिक दिनचर्या भी प्रभावित होने लगती है।
मेनोपॉज के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, ऐसे में खुद का सबसे ज्यादा ख्याल रखना चाहिये। हॉर्मोनल चेंज और कई तरह के पोषक तत्वों की कमी से शरीर वैसे ही कमजोर हो जाता है ऐसे में खुद के प्रति लापरवाही कई गंभीर बीमारियों को न्यौता देने के समान है। मेनोपॉज के बाद खाने-पीने का ध्यान रखें, योगा-प्राणायाम के द्वारा खुद का ख्याल रखें, ज्यादा परेशानी होने पे अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
रजोनिवृति के बाद बहुत अधिक पसीना आना, घबराहट होना, सर दर्द, चक्कर आना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना, शारीरिक कमजोरी, पेट सम्बंधित समस्या, पाचनशक्ति कमजोर होना, जी मिचलाना, उलटी आना, कब्ज की समस्या, मानसिक तनाव, शरीर पे झुरियां पड़ना आदि लक्षण बहुत आम होते हैं। इनसे घबरा नहीं चाहिये अपने डॉक्टर से सलाह कर उचित इलाज करवायें। आमतौर पे ये सारे लक्षण एक साल या उससे ज्यादा दिनों तक चलते हैं लेकिन पीरियड्स बंद होने के साथ ही ये सारे लक्षण भी धीरे-धीरे कम हो जाते हैं और फिर ठीक हो जाते हैं।
रजोनिवृत्ति का समय हर स्त्री के लिये बहुत नाजुक होता है, ऐसे में फैमिली सपोर्ट बेहद आवश्यक होता है। मेनोपॉज के लक्षण से झूझते जब महिला कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरती हैं तब परिवार का प्यार और सहयोगात्मक रवैया उनके हौसले को मजबूत करता है और मानसिक परेशानियों को भी कम करता है।
मेरे इस लेख को पढ़ने वाले हर पुरुष पाठक से भी मेरी गुजारिश है कि आपके घर की वो सभी महिलायें जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन आपके और आपके परिवार को बिना किसी शर्त के समर्पित किया है, उनके इस नाजुक वक़्त में उनका साथ दें। दवाईयाँ तो सिर्फ शारीरिक परेशानियों को कम करती हैं, लेकिन आपका सहयोग और सेवा उनको भवनात्मक रूप से भी स्वस्थ करेंगी।
महिलाओं को ऐसे वक़्त पे जिस इमोशनल सपोर्ट की जरुरत होती है और वो परिवार से ही मिल सकता है और मिलनी भी चाहिये जिससे वो रजोनीवृत्ति के इस कठिन समय से निकल सकें और एक स्वस्थ जीवन जी सकें।
डिस्क्लेमर: ये लेख मैंने एक डॉक्टर से बात करने के बाद लिखा है लेकिन इसे डॉक्टरी सलाह मान कर पाने इलाज खुद ना करें। एक अच्छे डॉक्टर से एक्सपर्ट राय ज़रूर लें!
इमेज सोर्स: Still from short film Ghar Ki Murgi, YouTube (for representational purpose only)
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