कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
अब हम सोशल एनिमल नहीं, मोबाइल इंसेक्ट बन रहे हैं, जो धीरे-धीरे बीत रहा है हम वो टाइम वेस्ट बन रहे हैं, कितने हार्ट और लाइक मिले...
सुबह उठते ही मोबाइल पर इंटरनेट चला लेते हैं,की-पैड पर उंगलिया टक-टकाकर दुनिया देखते हैं,किसी की ड्रेस तो किसी की ट्रैवल पोस्ट निहारते हैं,फिर ये सोचकर की “हाय कितना सही है” खुद को बुरा लगाते हैं।
हम क्यों दूसरों की दुनिया में झांकना चाहते हैं?क्यों हम अपने साथ वक्त नहीं बिताते हैं?क्यों हमें “कौन, कहां, क्या” कर रहा है जानना है?क्यों इस 5 इंच के डिब्बे में गुम हो जाते हैं?हम क्या ही सीख पाएंगे अगर इस क़दर खो जाएंगे?
जो कर रहा है वो करता रहेगा पर हम पीछे रह जाएंगे,दो मिनट, पाँच मिनट करते-करते सालों निकल जाएंगे,बाहरी दुनिया में क्या हो रहा है हम सब भूल जाएंगे।
अब हम सोशल एनिमल नहीं, मोबाइल इंसेक्ट बन रहे हैं,जो धीरे-धीरे बीत रहा है हम वो टाइम वेस्ट बन रहे हैं,फिल्टर वाली फोटो पर लोगों के कमेंट से क्या होगा?अंदर से तो वैसे भी हम दिन-ब-दिन बदसूरत हो रहे हैं।
ये वक्त जा रहा है और फिर कभी मुड़कर नहीं आएगा,लेकिन सर्वाइकल और ज्वाइंट पेन बार-बार आएगा,कितने हार्ट और लाइक मिले, आखिर में ये नहीं गिना जाएगा,वक्त निकल जाएगा पर तू जी नहीं पाएगा,कब तू अपने साथ वक्त बिताएगा, कब तू अपने साथ वक्त बिताएगा।
इमेज सोर्स : primipil via Canva Pro
read more...
Please enter your email address