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मुँह-दिखाई दुल्हन की या उसके साथ आए दहेज़ की?

तभी दीया की छोटी नंद दौड़ती हुई आती है और बड़े प्यार से कहती है, “भाभी अच्छे से तैयार हो जाओ पंडित जी आ गए हैं, पूजा होनी है।"

मेधा जी अपने इंजीनियर बेटे दीपक के लिए दीया नामक सॉफ्टवेयर इंजीनियर लड़की से विवाह तय किया। ये मिश्रा और पांडे परिवार का मिलन होने जा रहा है, अब दोनों परिवार समधी बन जाएंगे । मेधा जी ने अपने बेटे की शादी में अपने घर को एक दुल्हन की तरह सजाया है।

मेधा जी का बंगला काफी बड़ा है, चारों तरफ से बाउंड्री वॉल और एक बड़ा सा लॉन है और उसके पीछे बड़ा सा आंगन है। बाउंड्री वॉल को चारों तरफ फूलों से सजाया गया है और पूरे घर को भी दुल्हन की तरह रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया है। आज घर में शहनाइयां बज रही हैं। मेधा जी का परिवार एक संपन्न परिवार है । मेधा जी के परिवार में उनका बड़ा बेटा डॉक्टर, बेटी वकील और मेधा जी के पति जज हैं, और वो स्वयं एक लेडी डॉक्टर है।

मेधा जी ने बड़े प्यार से अपनी बड़ी बहू जया को आवाज लगाई और बड़े प्यार से कहा, “आरती की थाल सजा लो, गृह लक्ष्मी आने वाली है, तुम को ही उसका गृह प्रवेश कराना है।”

दीपक जब अपनी नई नवेली बहू दिया को अपने घर लेकर आता है, तो पूरा घर खुशियों से झूम उठता है।

सभी लोग नई नवेली दुल्हन की प्रसंता पूर्वक स्वागत करनें में लग जाते हैं। दुल्हन का सिंगार देखकर सभी लोग उस पर मोहित हो जाते हैं। दुल्हन का निखार लाल रंग के जोड़े में देखते ही बन रहा हैं, उस पर जरी का काम गले में हीरे का हार और कान के झुमके उसके निखार में चार चांद लगा रहे हैं। दुल्हन के पायलों की छन-छन की आवाज ऐसी मदमस्त कर रही है । पूरे घर में मानो संगीत के सप्तस्वर बज रहे हों।

दीया दुल्हन के रूप में ऐसी लग रही है कि मानो लक्ष्मी जी मेधा के घर मैं स्वयं आ गई हो। तभी एक पल में एक बड़ी सी गाड़ी पो-पो करती हुई, सजी-धजी द्वार पर आकर खड़ी हो जाती है। सब की नजरें दीया से हटकर उस बड़ी गाड़ी पर आ जाती हैं।

वहीं घर के दूसरे कोने में घर के कुछ बड़े लोग बातें कर रहे थे, “बहू दहेज मैं क्या- क्या लाई है? टी.वी, फ्रिज कुछ मिला भी है, या फिर खाली हाथ आई है? फिर तो हमारी इज्जत का कचरा कर दिया।”

नई नवेली दुल्हन बनी दीया, घर के एक कोने में बैठ कर सब की बातें सुन रही है। दीया कोने में बैठ कर सोचने लगती है, “हम सब भाई बहनों को पिता जी ने कितने प्यार से लालन-पालन किया। पिताजी ने सभी को उच्च शिक्षा दिलाई। पिताजी रिटायर होने के बाद भी मेरी शादी में यथासंभव सब कुछ दिया, फिर ये लोग ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं?”

दीया अपने ससुर की बातें याद करने लगी, जब पहली बार दिया को देखने आए थे, तब उन्होंने कहा था, “मुझे बहू के रूप में एक बेटी लक्ष्मी स्वरूप चाहिए और कुछ नहीं । देने वाला तो ऊपर बैठा है। इंसान से क्या मांगना?”

इसी उधेड़-बुन में दीया सोचती रह जाती है और कब शाम से रात हो जाती है, उसे पता भी नहीं चला और यह दिन ऐसे ही समाप्त हो जाता है। दीया जब सुबह सो कर उठी तो उसे अपनी मां और दादी की कही बातें याद आने लगे कि सुबह उठकर उसे अपने सास और बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद जरूर लेना है ।

तभी दीया की छोटी नंद दौड़ती हुई आती है और बड़े प्यार से कहती है, “भाभी अच्छे से तैयार हो जाओ पंडित जी आ गए हैं, पूजा होनी है।”

दीया ने बहुत अच्छे से अपना शृंगार किया और पूजा के लिए आ गई। लाल जोड़े में दीया बहुत सुँदर लग रही है। पूजा शुरू हो गयी।

लेकिन किसी का भी ध्यान कथा में नहीं है। सब लोग गाड़ी और क्या दहेज में मिला है उसी की बातें कर रहे हैं। सभी मेहमान धीरे-धीरे अपने घर चले गए और जो घर फूलों से सजा था वह भी अपनी महक बिखेर कर सुख पर समाप्त हो गए। अब घर में केवल सास-ससुर ,जेठ-जेठानी और छोटी नंद और दीपक और उसकी नई नवेली बहू दीया रह गए।

दीया ने डाइनिंग टेबल पर सुबह का नाश्ता सजाया। सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ कर शादी की बातें कर रहे है। उसी समय दिया कि सास मेधा जी बोलीं, “वैसे कहना तो पड़ेगा कि हमारे समधी पांडे जी ने बहुत सुंदर गाड़ी दी है। उसका रंग देखा क्या आप लोगों ने? कितना चमकता हुआ है ना?”

दीया इन सब लोगों की बातें सुनकर चेहरे पर भाव लाते हुए सोचती है, “सब लोग गाड़ी और निर्जीव वस्तुओं की बातें कर रहे हैं। शादी में कौन आया कौन गया, इसकी किसी को भी परवाह नहीं है। फूफा जी के पिताजी 90 साल के हैं, वह इतने दूर से हम दोनों लोगों को आशीर्वाद देने आए, यह भी किसी को याद नहीं।”

अधिकतम लोगों को शादी की सजावट, शादी का खाना, शादी के कपड़े और शादी मे दहेज पर ही ध्यान होता है और हम चाहे कितनी भी भौतिकवादी और आधुनिक हो जाये, लेकिन समाज में यह बदलाव नहीं ला पा रहे है। इन सब बातों को सोचते हुए दीया अपने मन में कहती है, “आखिर यह मुंह दिखाई है किसकी?”

इमेज सोर्स: Still from Diy Bridal Veil, YouTube.

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