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ऐसे मतलबी रिश्ते किस काम के…

जैसे मौसम हमेशा एक से नहीं होते वैसे ही इंसान की फितरत भी एक सी नहीं रहती, ये बात आज प्रिया को अच्छे से समझ आ गई थी।

जैसे मौसम हमेशा एक से नहीं होते वैसे ही इंसान की फितरत भी एक सी नहीं रहती, ये बात आज प्रिया को अच्छे से समझ आ गई थी।

प्रिया के बहुत सुलझी और रिश्तों को निभाने वाली महिला थी। सबके दुःख सुख में प्रिया दिल से शामिल होती और जितना संभव होता मदद भी करती। प्रिया का सरल सौम्य स्वाभाव से हर कोई मोहित हो उठता।

लेकिन कहते हैं ना जो बहुत सरल होता है, अक्सर वहीं छला भी जाता है।

प्रिया अपने मायके और ससुराल दोनों तरफ ही छोटी थी। शादी के पहले बड़े भाई बहनों से भरे संयुक्त परिवार में जब भी किसी को जरूरत होती सब प्रिया को ही आवाज़ लगाते। चाहे किसी की बीमारी में सेवा लेनी हो या मायके आयी बड़ी बहनों और भाभियों के बच्चों को संभालना हो प्रिया हर वक़्त तैयार रहती।

यही हालत ससुराल में भी थी। जब शादी करके ससुराल आयी तो बड़ी जेठानी उम्मीद से थी। कुछ दिन ससुराल में रह सबका दिल प्रिया ने जीत लिया और जब प्रिया के अपने पति अलोक के साथ जाने का समय नजदीक आया तो सासूमाँ और जेठानी ने ये कह रोक दिया कि “डिलीवरी तक रुक जाओ प्रिया, मदद हो जायेगी।”

नई-नई शादी के सुनहरे सपनों को किनारे कर प्रिया ने हँसते-हँसते ससुराल में रुकने का निर्णय अलोक को सुना दिया और अलोक के समझाने पर कि “यहाँ माँ है प्रिया, अभी चलो। जब डिलीवरी का समय होता तब वापस आ जाना।”

“नहीं अलोक ये मेरा परिवार है आज भाभी को जरुरत है मेरी और ऐसे में मेरा आपके साथ जाना उचित नहीं होगा।”

प्रिया के ज़वाब को सुन अलोक गर्व से भर उठा।

नई नवेली बहु हो कर भी प्रिया ने घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली। सास-ससुर को समय से दवा पानी देना जेठानी के बड़े बेटे को स्कूल के लिये तैयार करना जेठ जी का टिफिन और जेठानी की सेवा सब कुछ प्रिया हँसते-हँसते करती। प्रिया की सबको ऐसी आदत लगी कि जेठानी के डिलीवरी के छः महीने बाद ही प्रिया अलोक के साथ जा पायी।

“क्या सोच रही हो प्रिया?” अलोक के आवाज़ देने पे प्रिया जैसे नींद से जाग उठी।

“कैसे होगा अलोक? आप अकेले? आपने मम्मीजी से बात की क्या कहा उन्होंने भाभी आ रही हैं ना?”

“नहीं प्रिया, भाभी नहीं आ रही। कह रही थी बच्चों की परीक्षा है और माँ ने कहा कि उनकी उम्र हो चली है और अब उनसे इतनी भाग दौड़ नहीं होगी।”

उदास हो अलोक ने कहा तो प्रिया की ऑंखें भर आयीं। परेशान तो अलोक भी था लेकिन प्रिया को सँभालते हुए उसे मजबूत बनना ही था।

“तुम अपनी बड़ी दीदी और बड़ी भाभी से बात करने वाली थीं ना, क्या कहा उन्होंने?”

“उन लोगों ने भी बहाने बना दिये अलोक”, रुंधे गले से प्रिया ने कहा।

“तुम चिंता क्यों करती हो सब हो जायेगा प्रिया। मैंने एजेंसी में बात कर ली है, वो फुल-टाइम मेड भेज देंगे और मालिश वाली भी, खाने के लिये तो हमारी कामवाली आंटी हैं ही। बस तुम अपना ध्यान रखो और निश्चित रहो। जिसका कोई नहीं उसका ऊपर वाला होता है।”

“अलोक, शादी के पहले और बाद मैं हर वक़्त सबसे दुःख-सुख में खड़ी रही। बड़ी बहनों की डिलीवरी हो या रात-रात भर जाग के उनके बच्चे संभालना, मैंने हमेशा सच्चे मन से सब कुछ किया था। ससुराल में भी आपके लाख कहने पे आपके साथ ना आ भाभी की डिलीवरी के लिये रुक गई और अब जब मैं उम्मीद से हूँ वो भी इतने कॉम्प्लिकेशन के साथ डॉक्टर ने उठने से भी मना किया है तो सबने हाथ खड़े कर दिये। किसी के बच्चे के इम्तिहान है तो किसी के पास छुट्टी नहीं”, कहते-कहते प्रिया सुबक पड़ी।

“बस करो प्रिया, तुमने निस्वार्थ सबकी सेवा की है तो तुम्हें इसका फल भी जरूर मिलेगा। अब मजबूत बनने के सिवा कोई चारा नहीं है।”

अलोक के समझाने पे प्रिया ने भी हालत से समझौता कर खुद को संभाल लिया।

समय आने पे प्रिया को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। हिम्मत कर अलोक ने प्रिया को हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया।

डॉक्टर ने कहा, “नार्मल डिलीवरी के चांस ना के बराबर है, ऑपरेशन करना पड़ेगा।”

अब अलोक के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। प्रिया और अलोक के निस्वार्थ व्यवहार का ही फल था कि ख़बर सुनते ही हॉस्पिटल में देवदूत बन अलोक के ऑफिस के दोस्त और प्रिया के सहेलियों ने सब कुछ संभाल लिया।

घर से हॉस्पिटल प्रिया की खिचड़ी भेजनी हो या रात को रुक बच्चे को संभालना हो सबने बारी-बारी हँसते हुए सब कुछ संभाल लिया। घर पे एजेंसी से आयी मेड और मालिश वाली भी बहुत अच्छे स्वाभाव की निकली।

सबकी सेवा ने असर दिखया और कुछ ही दिनों में प्रिया भी स्वस्थ हो गई और अपने बेटे को खुद सँभालने लगी। किसी का काम किसी के बिना नहीं रुकता ये बात तो आज प्रिया अच्छे से समझ चुकी थी।

मतलब के रिश्ते साथ दे ना दें, आपके कर्म आपका साथ कभी नहीं छोड़ते, और अगर आप अच्छे हैं, तो आपका बुरा कभी नहीं हो सकता। जिंदगी का ये सबक भी प्रिया और अलोक ने सीख लिया था।

इमेज सोर्स: Still from Pregakem ad, YouTube

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