कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

क्यों बेटियाँ केवल कब्र में या अपनी माँ की कोख में ही सुरक्षित हैं?

दूसरों की बेटियां सिर्फ एक शरीर मात्र हैं, शायद एक उपभोग की वस्तु, जिसे सब लोग, खासकर के 'मर्द' जैसे भी देखते हैं, कुछ भी कहते हैं, और उनके साथ कुछ भी कर कर सकते हैं।   

क्या आपने कभी सोचा है कि ‘बेटियां’ शब्द कितना प्रयोग मात्र है। अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता सबको रहती है, लेकिन दूसरों की बेटियां? वे सिर्फ एक शरीर मात्र हैं, शायद एक उपभोग की वस्तु, जिसे सब लोग, खासकर ‘मर्द’ जैसे भी देखते हैं, कुछ भी कहते हैं, और उनके साथ कुछ भी कर कर सकते हैं।

ट्रिगर वार्निंग: इस पोस्ट में यौन हिंसा का उल्लेख है जो आपको परेशान कर सकता है 

‘क्या अब बेटियाँ केवल कब्र में या अपनी माँ की कोख में ही सुरक्षित हैं?’ इस सवाल ने मेरी जैसी न जाने कितनी ही माँओं की नींद उड़ा कर रख दी है और आखिर हमारी नींद क्यों न उड़े?

पिछले दिनों चेन्नई की रहने वाली 11वीं की एक छात्रा की आत्महत्या ने हर बेटी की माँ को अन्दर से बुरी तरह डरा कर रख दिया है क्योंकि कहीं न कहीं इस बेटी की शक्ल में हमें हमारी बेटियाँ दिखने लगी हैं।

सेक्शुअल हैरेसमेंट और मानसिक प्रताड़ना से विश्व में हर मिनट कहीं न कहीं कोई बच्ची गुज़रती है और कितनी ही बच्चियाँ बिना अपनी तकलीफ़ साझा किए आत्महत्या कर लेती हैं। ऐसी ही घटना चेन्नई में हुई जब 11वीं की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली और अपने आखिरी ख़त में ऐसी बात लिख दी जो इस सभ्य कहलाने वाले समाज के मुँह पर एक तमाचा है।

इस छात्रा ने लिखा कि “एक लड़की सिर्फ अपनी माँ की कोख या फिर कब्र में ही सुरक्षित रहती है।’’

बच्ची के आखिरी शब्दों को पढ़ें तो वह किसी भी जगह को सुरक्षित नहीं मानती, आखिर ऐसा क्यों हुआ कि वह स्कूल से लेकर पूरी दुनिया में किसी पर भी यकीन नहीं कर पाई? शायद हम अपनी बेटियों को उनके रहने लायक सुरक्षित स्थान नहीं बना पाए जहाँ वे बेफ़िक्र रहके पढ़ सकें, अपनी जिन्दगी अपने अनुसार बिता सकें। सेक्शुअल हैरेसमेंट और मानसिक प्रताड़ना न जाने कितनी बेटियों की जान ले चुकी है और अब भी अगर हम नहीं जागे तो न जाने कितनी ही बेटियाँ और कुर्बान होती रहेंगी। 

उसकी मानसिक स्थिति का अंदाज़ लगाना मुश्किल है न जाने कितनी रातें उसने बिना सोये बिताई होंगी। जाते-जाते उसने लड़कियों का सम्मान करने का जो सन्देश हमें दिया है क्या हम अपने बेटों तक पहुँचा पाएँगे? अगर उसको मौत ही समाधान लगी तो ये हम  सभी की विफलता है। ये आखिरी चिट्ठी हमारे समाज के लिए अलार्म है कि अभी भी जागो नहीं तो बेटियों के बगैर सुनसान जीवन और समाज हो जायेगा।

मैं यही सन्देश सभी पाठकों को देना चाहती हूँ कि अपने बेटों को सिर्फ अपने घर की ही नहीं सभी लड़कियों की इज्ज़त करना सिखाएँ साथ बेटियों को भी ये भरोसा दें कि दुख और परेशानी होने पर उन्हें विश्वास हो कि उनके माता-पिता, शिक्षक उनके साथ हैं। वे आपसे बेझिझक बात कर सकें, अपनी तकलीफ साझा कर सकें और अब किसी और बच्ची को आत्महत्या जैसा कदम न उठाना पड़े। 

इमेज सोर्स: Still from short film P.S.P.P, Child Abuse Awareness/BlackMail Tamil via YouTube

About the Author

SHALINI VERMA

I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...

49 Posts | 168,992 Views
All Categories