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अक्सर शादी के बाद एक परिवार की संस्कृति को प्राथमिकता और दूसरे परिवार की संस्कृति की प्राथमिकताओं की अवहेलना दंपति में क्लेश का कारण बनने लगती है।
भारतीय सामाजिक जीवन में गुनगुने सर्दी के शुरुआत के साथ ही शादी-विवाह के मौसम की शुरुआत हो जाती है, जिसमें अरेंज्ड मैरिज से लव मैरिज तक, अंतरजातीय विवाह से लेकर अंतरधार्मिक विवाह तक होते हैं। बदलते दौर में दो मन कई सीमाओं को लांघकर अपने जीवनसाथी को चुनकर विवाह संस्था के माध्यम से परिवार में तब्दील होते हैं। कई सारे नई चुनौतियां नव-दंपत्ति के सामने होती हैं जो आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रादेशिक के साथ-साथ अन्य कई स्तरों की होती है।
विवाह, शादी, निकाह, पणिग्रहण, लग्न, और न जाने कितने ही तरह के सांस्कृतिक आयोजनों के बाद दो मन एक दूसरे को जीवनसाथी यानी हमसफर के रूप में चुनते हैं। इन सांस्कृतिक आयोजनों से दो मन जब परिवार संस्था में जीवनसाथी बनकर आते हैं तो कई नई जिम्मेदारियों और अनुभवों के उतार-चढ़ाव से रूबरू होते हैं।
दो मन का हमसफर के रूप में जुड़ना यानी दो कुटुंब का जुड़ना यानी एक तरह से नई व्यवस्था को कायम करना। अंतरजातीय, अंतरधार्मिक या अंतरराजीय विवाह तो अलग, अलग संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज ही नहीं, अलग खान-पान वाले दो मनों को वैवाहिक बंधन में बंधना है। तमाम विविधताओं को एक रिश्ते के धांगे में बांधने में दो मन एक-दूसरे के साथ प्रेम और समर्पण के भाव से जुड़ते हैं और दोनों ही एक-दूसरे को हमसफर के रूप में देखते हैं, एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और एक-साथ कई चुनौतियों से भी रूबरू होते हैं।
मनुष्य अपने परंपरा और संस्कृति के विचारों से इतनी गहराई से जुड़ा हुआ होता है वह उसे ही सर्वोच्च तो कभी श्रेष्ठ मानने लगता है, जबकि हर संस्कृति और उसके विचार बहुमूल्य है। दो विपरीत संस्कृति विचार एक साथ आपस में सामंजस्य बैठाकर आगे बढ़ें, इसके लिए दोनों ही संस्कृतियों को सम्मान मिलना जरुरी है। हर विवाह की सफलता के लिए सबसे जरूरी यह है दंपत्ति स्वयं को ही नहीं एक-दूसरे के संस्कृति और सांस्कृत्तिक विचारों का भी सम्मान करें। आज के दौर में इसका महत्व इसलिए भी अधिक क्योंकि हम अस्मितावादी दौर में जी रहे हैं।
भारत एक समरूप देश नहीं बल्कि सांस्कृतिक विविधताओं का देश है। हर राज्य में अलग-अलग संस्कृति के लोग सामाजिक जीवन जीते हैं, इसलिए दो मन विवाह में बंधने से पहले एक-दूसरे के संस्कृति, रीति-रिवाज को समझें। ये बेहद जरूरी है कि जीवनसाथी को समझने के साथ-साथ उससे सांस्कृतिक सवाल करे। दोनों ही एक-दूसरे के घर-परिवार, परिवेश, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों को साझा करे।
विवाह में दो मन का नहीं, दो संस्कृति का भी मिलन है। जहां खान-पान, भाषा, पहनना-ओढ़ने के साथ-साथ त्योहारों की सीमाओं का भी एक मिलन होता है। अक्सर एक संस्कृति को प्राथमिकता और दूसरे संस्कृति के प्राथमिकताओं की अवहेलना क्लेश का कारण बनने लगता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि दंपति वैवाहिक रिश्ते में आने से पहले अपनी सीमाओं को परिभाषित एंव साझा करें। विवाह में बंधने से पहले इन विषयों पर बात करना पारिवारिक महौल को सुखद और सौहार्दपूर्ण बनाता है।
एक दूसरे के प्रति व्यावहारिक अनुकूलता विवाह को मजबूत करने का मजबूत स्तंभ होता है। केवल अगाध प्रेम से ही इसे मजबूत नहीं रखा जा सकता है। जरूरी यह है कि दोनों ही मन जो दंपत्ति बनने जा रहे हैं, अपने-अपने परिवार के मध्य एक समान्य अनुकूल महौल का निमार्ण करें, जहां दोनों ही परिवार के सदस्यों को सम्मान तो मिले ही, दोनों सिर्फ एक-दूसरे में केवल कमियां नहीं निकाले, अच्छी बातों की सराहना भी करे। दंपत्ति के साथ-साथ परिवार के लोगों में प्रेम और स्नेह के साथ व्यावहारिक अनुकूलता ही एक मात्र कुंजी है जीवनसाथी के साथ सफल जीवन की।
दो लोग जो विवाहोपरांत दंपत्ति बनेने वाले हैं अपने-अपने संस्कारों, धर्मो, नियमों और रहन-सहन को कैसे अपने बच्चों में समान रूबरू और शिक्षित करेंगे, उन्हें इन बातों पर भी विवाह पूर्व बातचीत करनी चाहिए और अपने-अपने विचार साझा करने चाहिए। छुट्टीयों में दादा-दादी के साथ नाना-नानी के परिवार में भी बच्चों का आना जाना और उनके साथ वक्त बिताना जरूरी है। इससे दोनों ही संस्कृति और परिवार के वरिष्ठ लोगों को भी समुचित सम्मान मिलेगा।
राष्ट्रीय राजधानी में विवाह पंजीकरण विभाग के अनुसार हर साल दस में से चार-पांच विवाह का पंजीकरण अंतरजातिय, अंतरराजीय और अंतरधार्मिक वैवाहिक जोड़े का हो रहा है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के वार्षिक रिपोर्ट में भी इस तरह के विवाह में सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त करने वालों की संख्या बढ़ रही है।
भारतीय समाज में हो रहे इन बदलावों को देखते हुए जरूरी है कि विवाह के रिश्ते में आने से पहले लोग इन बिंदुओं पर सहज और स्वतंत्र महौल में एक-दूसरे से बात करें। वैवाहिक जीवन के सफलता के लिए केवल प्रेम नहीं, प्रेम के साथ एक-दूसरे के प्रति सम्मान, एक-दूसरे पर भरोसे का होना बहुत जरूरी है और इसके लिए दो मन जो दंपत्ति बनने जा रहे हैं, उन्हें एक-दूसरे से हर विषय पर बात करनी चाहिए।
इमेज सोर्स: Vaishuren from Getty Images via Canva Pro
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