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प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए कि वो पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर खड़ी हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वो पुरुष की हाँ में हाँ नहीं मिलातीं।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए नहीं कि वो पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर खड़ी हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वो पुरुष की हाँ में हाँ नहीं मिलातीं।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए नहीं कि वो पुरुषों से जादा योग्य हैंं बल्कि इसलिए क्योंकि वो समाज से सवाल पूछती हैं।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए नहीं कि वो खाना नहीं बना सकती हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वो सिर्फ़ खाना नहीं बनाना चाहती हैं।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए नहीं कि प्रकृति ने प्रजनन की विशेषता दे कर उन्हें शारीरिक रूप से पुरूषों से कमजोर बनाया है बल्कि इसलिए कि कहीं वो अपने जैसी और प्रतिभाशाली स्त्रियां ना उत्पन्न करें।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए नहीं कि वो पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर खड़ी हैं हर जंग में बल्कि इसलिए क्योंकि वो पुरुष की हाँ में हाँ नहीं मिलातीं।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को नहीं भाती इसलिए नहीं कि वो अपने लिए ख़्वाब देखती हैं और मंज़िल को चुनती हैं बल्कि इसलिए क्योंकि वो अपनी अलग सोच रख अपना वजूद तराशती हैं और समाज को अपने स्वाभिमान से डराती हैं उसे आईना दिखाती हैं।
प्रतिभाशाली स्त्रियां समाज को सिर्फ़ इसीलिए नहीं भाती….
इमेज सोर्स: FatCamera from Getty Images Signature via Canva Pro
Dr.Manishaa Yadava is an Author/poet/storyteller and writer/Reiki Master/Dowser/angels card reader/Motivational speaker/Meditater/Art of living volunteer and Member of Indian Literature society. She has done Phd in economics. read more...
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