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सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षक और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता बनीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत भी माना जाता है।
भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए हमेशा कठिन संघर्ष करना पड़ा है फिर चाहे बात शिक्षा की हो या समानता की हो। यदि हम बीसवीं सदी का समय देखेंगे तो महिलाओं के लिए वह समय दुष्कर था जब उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता था उनका जन्म लेना तक पाप समझा जाता था। सोचिए जब बेटी पैदा होने को भी अपमान माना जाता हो तो उन्हें पढ़ाने की तो सोचना भी असंभव था। उस समय में एक दलित महिला ने भारतीय महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए बहुत कुछ सहा वह महिला कोई और नहीं सावित्रीबाई फुले थीं और उनके द्वारा जो असाधारण काम किया गया उसे उस समय सोचना भी कठिन था।
सावित्रीबाई फुले भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की पहली समाज सुधारक और नेता थीं। भारत की इस पहली महिला शिक्षिका को अनेक मुश्किल दौर से गुज़रना पड़ा था। इस लेख में ऐसी साहसी और हिम्मती महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं :
I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...
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