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कंफर्ट जोन से निकलेंगे तभी तो कुछ सीखेंगे

जीवन के लिए एक सीख भी मिली कि ज़रा से अनकंफर्ट के सामने घुटने टेक कर उस संतुष्टि की अनुभूति से वंचित नहीं रहना है।

ट्रैकिंग पर जाने का मन तो काफी दिन से था। लेकिन अगस्त 2021 में जाकर हम्पटा पास ट्रैकिंग का प्लान बना। किसी आर्टिकल में पढ़ा था कि अगस्त का महीना यहां ट्रैक करने के लिए सबसे अच्छा है। वाकई इस समय पर यह ट्रैक अपने चरम सौंदर्य पर था।

तरह तरह के जंगली फूलों की चादर ने पहाड़ों को ढका हुआ था। ऐसी हरियाली की देखने के बाद आंखे तृप्त हो जाएं, ऐसा आकर्षण की नज़र हटाने को दिल न करे। हम्पटा पास ट्रैक की एक खास बात ये भी है कि इसमें मानसून की पहाड़ी हरियाली भी देखने को मिलती है, बर्फ से ढके पहाड़ भी देखने को मिलते हैं और स्फीति घाटी के बंजर और शांत पहाड़ों की खूबसूरती भी देखने को मिलती है।

ट्रैकिंग के दौरान लगा जैसे ये एक अलग ही दुनिया है। न फोन में नेटवर्क था और न ही बाहरी दुनिया से कोई कनेक्शन। पूरे ट्रैक पर ट्रेकिंग के सिवा और कुछ दिमाग में आया भी नहीं। न दुनिया भर के दुखों का दुख, न किसी काम की टेंशन, न परिवार या किसी दोस्त की चिंता। ऐसा लगा कि संचार के तमाम साधनों ने जीवन को जितना आसान बनाया है उतनी ही परेशानी भी बढ़ाई है। दुनिया के किसी कोने में किसी के साथ बुरा हो तो हमें मिनटों में वह पता चल जाता है और हम भी दुखी हो जाते हैं।

वहां बिना फोन के नेटवर्क के दुनिया की कोई खबर ही नहीं थी तो कोई दुख या टेंशन भी नहीं थी। बस पहाड़, नदियां, झरने और निरंतर चलते जाना।

हाई एल्टीट्यूड की वजह से पहले दिन सर में दर्द भी रहा। दवाई लेनी पड़ी। लेकिन धीरे धीरे उस माहौल में ढल गई तो फिर समस्या भी नहीं हुई। बाकी थकान हर शाम को हुई। एक दो बार ख्याल आया कि क्यूं ही आ गई। लेकिन फिर महसूस हुआ कि ये ख्याल कंफर्ट जोन से बाहर जाने के कारण आया है।

कंफर्ट जोन से बाहर जाने में समस्या तो होती है लेकिन बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। बहुत कुछ एक्सप्लोर करने को मिलता है। ट्रैक के अंत तक आते आते एक अलग संतुष्टि की अनुभूति होने लगी। वही सबसे ज्यादा जरूरी है। उसके सामने सर दर्द, थकान, अनकंफर्ट सब फीका है। जीवन के लिए एक सीख भी मिली कि ज़रा से अनकंफर्ट के सामने घुटने टेक कर उस संतुष्टि की अनुभूति से वंचित नहीं रहना है।

इमेज सोर्स : Still from Miss To Mrs/Life Tak/ YouTube

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