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समय शाश्वत है , जो जीवन बीत गया सो बीत गया, पर अब भी सही मायने में जीवन जिया जा सकता है - यह प्रेरणा देती एक कविता।
समय शाश्वत है , जो जीवन बीत गया सो बीत गया, पर अब भी सही मायने में जीवन जिया जा सकता है – यह प्रेरणा देती एक कविता।
आया जब समझ में, ये संसार भ्रम है, सब मोह-माया झल-कपट की जंग है,
आई जब सद्बुद्धि जीवन में, तब लगा समय रह गया कुछ कम है।
थोड़ा बहुत जो सीखा जीवन में, सोचा औलाद को सीखा जाऊं,
उम्र के इस पड़ाव पर ही सही, कदम तो एक सही उठाऊं।
कीचड़ जो फैलाया जीवन में, इतने से कहां सिमटेगा,
इसके लिए तो, हरिद्वार का ही चक्कर लगेगा।
गंगा भी अब कहाँ रह गई स्वच्छ है, तेरे – मेरे पापों से हो गई छिन-विच्छिन है।
अपने कर्मों का हिसाब तो देना पड़ेगा, जो बोया जीवन भर, काटना तो पड़ेगा।
बीज जो बोए थे जाने-अनजाने में नफरत के, आज पक रहे हैं ,
रिश्ते जो संजोए जिंदगी भर, तार -तार हो कर बिखर रहे हैं।
ये कहानी नहीं सिर्फ मेरे जीवन की, सबके ही जीवन का अक्स है ,
जो जी गया जीवन, वो तो निकल लिया, संभल जा खैर, तेरे पास तो अभी भी वक़्त है।
मूलचित्र : pixabay
My name is Indu. I am a computer engineer by profession and qualification. I am also a very analytical person and have interests in analyzing the things from a different perspective which convince me to read more...
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