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सिर्फ़ अपने लिए करेंगे हम प्यार की दोबारा शुरूआत! क्या सोचा है तुमने?

बरखा को देख मैं हैरान था। आज भी वो उतनी ही सुन्दर लग रही थी जैसे पहले लगती थी। पर बरखा यहाँ कैसे? उसने बताया कि वो अक्सर इस पार्क में आती है शाम को।

बरखा को देख मैं हैरान था। आज भी वो उतनी ही सुन्दर लग रही थी जैसे पहले लगती थी। पर बरखा यहाँ कैसे? उसने बताया कि वो अक्सर इस पार्क में आती है शाम को।

मैंने और बरखा ने साथ ही ग्रेजुएशन किया था। हम दोनों अच्छे दोस्त थे। मैं बरखा को प्यार करता था। बरखा भी शायद मुझे पसंद करती थी, पर कभी कहा नहीं। उसके घरवाले अब बरखा की शादी करना चाहते थे। पर उस समय मेरे पास जॉब नहीं थी तो उसके घर वाले शादी के लिये तैयार नहीं हुए।

उसकी शादी कहीं और कर दी। तकलीफ बहुत हुई उसे खोने की, पर खुशी थी कि उसका पति सरकारी जॉब में है। वो अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गई। और मैं अपनी ज़िंदगी में। कभी मैंने सोचा नहीं था कि हमारी दोबारा मुलकात होगी। आज शादी के तीस साल बाद मैं शाम के टाईम पार्क में टहल रहा था और अपने बेटे नमन से बात कर रहा था। अचानक मुझसे एक औरत टकराई। वो मुझे सॉरी कहने लगी। मैंने जैसे ही पलट कर देखा तो…

बरखा को देख मैं हैरान था। आज भी वो उतनी ही सुन्दर लग रही थी जैसे पहले लगती थी। पर बरखा यहाँ कैसे? उसने बताया कि वो अक्सर इस पार्क में आती है शाम को। उसकी शादी के बाद मैंने उसे देखा नहीं था। मैंने उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने बताया उसकी एक बेटी है। जिसकी शादी हो चुकी है। पति के बारे में पुछा तो उसने बताया, दस साल पहले उसका तलाक हो गया है, ‘बेटी के ससुराल जाने के बाद अकेली रह गई, तो अक्सर पार्क में आती हूँ।’

उसने मेरे परिवार के बारे में पूछा तो मैंने बताया, ‘ मेरा एक ही बेटा है नमन, जो अपनी फैमिली के साथ लंदन शिफ्ट हो गया है। दो साल पहले मेरी पत्नी रोमा हम सब का साथ छोड़ कर चली गई। उसे कैंसर था। जब तक हम सब को पता चला, तब तक बहुत देर हो गई थी। हमने लाख कोशिश की पर हम उसे बचा नहीं सके।’

मेरी आँखें डबडबा गयीं, ‘मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था। वो मुझे समझती थी, जब से गई है मेरी जिंदगी अधूरी लगती है। बेटे ने बहुत कहा कि मैं लंदन आ जाऊँ पर मेरा मन करता ही नहीं है वहां जाने का।’

‘वो…मैं कल नंबर लेना भूल गई थी। इधर से जा रही थी सोचा अगर मिलोगे तुम तो नंबर मांग लूँगी। अंबर अपना नंबर दे दो।’

बरखा मुझे सान्त्वना देने लगी। कुछ देर हम लोग बैठे, बातें की, फिर वो अपने घर चली गई और मैं अपने घर चला आया। आज उससे बात कर के मन को अच्छा लगा था। शाम को सोचा थोड़ा बरखा का हालचाल लूँ पर याद आया कि मैं तो उससे नंबर लेना ही भूल गया। मन बड़ा पछता रहा था कि हम दोनों ने इतनी देर बात की पर नंबर ही नहीं लिया।

अगले दिन शाम को मैं फिर पार्क पहुंचा जहाँ हम लोगों ने कल बैठ कर बात की थी। आज वहीं बैठ उसका इंतज़ार कर रहा था।

एक घंटा हो गया था, लग रहा था कि वो आयेगी नहीं। मैं भी उठ कर जाने लगा। तभी, वो मुझे सामने से आती दिखी। मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। वैसे ही जैसे उसे पहले देख कर धड़़कता था।

वो आकर मेरे पास रुकी और कहने लगी, ‘वो…मैं कल नंबर लेना भूल गई थी। इधर से जा रही थी सोचा अगर मिलोगे तुम तो नंबर मांग लूँगी। अंबर अपना नंबर दे दो।’ मेरे मन की बात कह दी थी उसने।

हम साथ में निकले। मैंने उसे उसके घर छोड़ा तो उसने अंदर आने का आग्रह किया। मैं अंदर चला गया। उसे आज भी याद था कि मैं चाय मे अदरक नहीं पीता।

‘तुम्हें याद था कि मैं अदरक नहीं पीता?’

‘नहीं घर में अदरक खत्म हो गई थी’, कह कर किचन में चली गई। ‘मैं कुछ बना देती हूँ खाने के लिये।’

‘नहीं बरखा आज नहीं, कभी और। मैं अभी चलता हूँ’, कहते हुए किचन में गया तो मेरी नज़र अदरक रखी टोकरी पर पहुँच गई। उसे याद था, पर जताना नहीं चाहती थी। मैंने भी कुछ कहा नहीं और मैं वहाँ से चल दिया।

अब हमारी अक्सर बातें मुलाकातें होने लगी। धीरे-धीरे प्यार की दोबारा शुरूआत होने लगी थी। एक दिन मौका देखकर मैंने उसके आगे शादी का प्रस्ताव रखा, ‘बोलो बरखा क्या है तुम्हारा फैसला?’

‘पचास की उम्र में शादी! लोग क्या कहंगे? मेरी बेटी के ससुराल वाले क्या कहेंगे?’

‘लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह नहीं मुझे। बस तुम क्या चाहती हो?’

‘मैं चाह कर भी शादी नहीं कर सकती। मुझे माफ कर दो।’

ये सब बातें बरखा की बेटी ने दरवाज़े पर खड़ी सुन रही थी, ‘माँ मेरे ससुराल वाले क्या कहेंगे इसकी चिन्ता मत कीजिये। मैं समझा दूंगी अपने ससुराल वालों को। मैं खुद चाहती हूँ कि आप फिर से शादी कर लो। अंकल तो आपके पूराने दोस्त भी हैं और आप उन्हें पसंद भी करती हैं।’ अंदर आते हुए शुभी ने कहा, ‘माँ, मैंने आप दोनों की बातें सुन ली हैं।’

‘पर तुम्हारे पापा?’

‘पापा ने कभी आपके बारे में सोचा ही नहीं, उन्होंने दूसरी शादी कर ली है।’

‘क्या?’

‘सॉरी माँ, मैंने आपको बताया नहीं कि आपको तकलीफ होगी। एक बार गई थी मैं उनसे मिलने, तो उन्होंने मुझे मिलाया था, पर मैंने आपको बताया नहीं।’

‘जो इंसान मेरी ज़िंदगी में है ही नहीं, वो कुछ भी करे मुझे तकलीफ नहीं होगी’, कहते हुए उसकी आँखें डबडबा गईं।

‘बस अब मैं तुम्हारी माँ की आंखों में एक आंसू नहीं आने दूंगा, मेरा वादा है।’

पचास की उम्र में जाकर मैंने और बरखा ने शादी रचाई, मेरे बेटे-बहू भी मेरे फैसले से खुश थे।

मूलचित्र : Pexels

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