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धन्य हो तेरी यह काया! ऐ वीर! तुझे प्रणाम!

ऐ वीर तेरी ख़ाकी वर्दी पर नाज़ है हमें, झुक कर तुझे सलाम करता हूँ, एक बार नहीं बारंबार प्रणाम करता हूँ

ऐ वीर तेरी ख़ाकी वर्दी पर नाज़ है हमें, झुक कर तुझे सलाम करता हूँ, एक बार नहीं बारंबार प्रणाम करता हूँ

वीरों को मेरा शत शत नमन 

ऐ वीर 

सरहद पर तू है खड़ा 

इसलिए पूरा देश चैन से सोता है 

सुकून की सांसे लेता है 

है भरपूर जोश 

और मज़बूत इरादे 

तोड़ देते हैं ये ग़ुरूर उनका 

जब सर चढ़ बोलता जुनून इनका 

ऐ वीर तेरी ख़ाकी वर्दी पर नाज़ है हमें 

झुक कर तुझे सलाम करता हूँ 

एक बार नहीं बारंबार प्रणाम करता हूँ 

दुश्मनों की ललकार से कौन डरता है भला 

जहाँ बन के पहरेदार सरहद पर तू है खड़ा 

कर लहू का हर कतरा धरा पर अर्पण 

मन तन सब देश पर समर्पण 

कुर्बान कर अपना सब कुछ 

जीत का झंडा तू लहरा रहा 

भारत माँ का गौरव तू बढ़ा रहा 

धन्य हो तेरी यह काया 

और तेरा यह बलिदान 

अंतिम क्षण तक 

जय हिंद और वंदे मातरम् का नारा तू लगा रहा

जय हिंद और वंदे मातरम् का नारा तू लगा रहा

मूलचित्र : Pixabay

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Rashmi Jain

Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild Again' and 'Alfaaz - Chand shabdon ki gahrai' Rashmi Jain is an explorer by heart who has started on a voyage read more...

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