कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

जो सफ़र प्यार से कट जाए प्यारा है सफ़र, कुछ ऐसा ही था मेरा पहला एकल सफ़र!

इस सफर ने मुझे अपना आकलन करने को प्रेरित किया। हम महिलाओं को रोज़मर्रा की आपाधापी के बीच अपने लिए कुछ वक़्त ज़रूर निकालना चाहिए और किसी सफ़र पर जाना चाहिए।

इस सफर ने मुझे अपना आकलन करने को प्रेरित किया। हम महिलाओं को रोज़मर्रा की आपाधापी के बीच अपने लिए कुछ वक़्त ज़रूर निकालना चाहिए और किसी सफ़र पर जाना चाहिए।

नई नई आंखें हों तो, हर मंजर अच्छा लगता है
कई शहर घूमे, अब अपना घर अच्छा लगता है
-निदा फाज़ली

मेरे शौक हैं लेखन, किताबें पढ़ना, कुकिंग और घूमना फिरना। किताबें जादुई कालीन की तरह दुनिया की सैर करवाती हैं और नई-नई जगह खोजने को उकसाती हैं कि काश हम भी ये सारी दुनिया घूम लें। पूरा घूमना तो संभव नहीं पर जहां कहीं सफ़र पर जाने का अवसर आता है, मैं लपक लेती हूँ। सफ़र के दौरान बहुत सारे अनुभव होते हैं और अगर परिवार के साथ सफर हो तो एक अलग ही आंनद है और जो विभिन्न प्रांतों के खान-पान और संस्कृति की जानकारी मिलती है वह अलग।

कुछ समय पहले अपनी पच्चीस महिला मित्रों के साथ उदयगिरी की गुफाएं, जो विदिशा में हैं, देखने और पिकनिक मनाने गए, एक स्पेशल बस में। मेरी महिला मित्र बहुत जिंदा-दिल और मस्ती करने वाली हैं। बस में बैठते ही उनकी चुहलबाज़ी शुरू हो गई। अंताक्षरी शुरू हुई और मैं उत्साह से भर गई क्योंकि गानों का खज़ाना है मेरे पास। मेरी टीम जीत गई और सब बोलीं, ‘तुम तो छुपी रुस्तम हो’ क्योंकि इससे पहले मैं कभी खुलकर आगे नहीं आती थी। इस सफर के दौरान मैंने अपने अंदर अभिव्यक्ति की हिम्मत पाई। पूरी पिकनिक में हम खूब मस्ती करते रहे, भूल गए कि हम कौन हैं। बच्चों की तरह खेले और नाचे-कूदे। खूब सेल्फी लीं और फोटोग्राफ लिए अपने हाथों से वरना बच्चे ये काम करते हैं।

हमारे पीछे बच्चे भी कार से आ पहुंचे और हमें सरप्राइज दिया। अपनी मम्मी का ये रूप देखकर बोले, ‘वाह यार मम्मी, आप तो कॉलेज गर्ल लग रही हो! हम आपको बहुत देर से ऑब्जर्व कर रहे हैं। आप तो इसी तरह पास या दूर सफर पर जाया करो। देखो कितनी फ्रेश लग रही हो।’

इस सफर ने मुझे अपना आकलन करने को प्रेरित किया। हम महिलाओं को रोज़मर्रा की आपाधापी के बीच अपने लिए कुछ वक़्त निकालना चाहिए और महीने में एक बार किसी सफ़र पर ज़रूर जाना चाहिए। ये सफर धार्मिक स्थान भी हो सकता है। प्रकृति के नज़ारे लिखने को प्रेरित करते हैं।

बड़ा सुकून मिलता है सफ़र पर जाकर। साथ अगर पॉजिटिव मित्रों का हो तो सफ़र सुहाना हो जाता है और आपको ताज़गी से भर देता है। खुशियां कहीं अलग से नहीं आती हैं, जहां जो बात दिल को सुकून दे वही खुशी है। छोटी-छोटी बातों में खुशी मिल जाती है।

अपना संस्मरण सुनाते हुए मैं इस मंच को धन्यवाद देना चाहती हूँ।

मूल चित्र : Unsplash

कुछ दिन पहले विमेंस वेब ने अपने पाठकों से ‘मैं भी मुसाफिर-मेरा पहला एकल सफ़र’पर आधारित कुछ निजी अनुभव एक लेख के रूप में साझा करने को कहा था, मधु कौशल जी का ये लेख इस श्रृंख्ला में चुना हुआ पहला लेख है।  

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

1 Posts | 3,235 Views
All Categories