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रणभूमि : एक विजय और एक शंखनाद

देश की बागडोर हमारे राजनीतिज्ञ लोगों क हाथ में नहीं बल्कि देश के उन सपूतों क हाथ में हैं जो देश को बचने क लिए बॉर्डर पर अपनी जान की बाज़ी लगा देते हैं।

देश की बागडोर हमारे राजनीतिज्ञ लोगों क हाथ में नहीं बल्कि देश के उन सपूतों क हाथ में हैं जो देश को बचाने के लिए बॉर्डर पर अपनी जान की बाज़ी लगाते हैं।

रणभूमि मैं शंखनाद की आज बारी आ गई ,

जो धुँधली हो गई थी छवि ,

वह फिर हमारी आ गई ,

फिर विजय उत्सव मानाने की तैयारी  हो गई ,

लहरें वह सारी थम गई ,

सुनामी की बारी आ गई ,

रणभूमि मैं शंखनाद की आज बारी आ गई ,

जो धुँधली हो गई थी छवि ,

वह फिर हमारी आ गई ,

चंद साँसे बाँकी हैं ,

पर जोश हुआ काम नहीं ,

जो दुश्मन को न मिटा सके ,

हमको गवारा , हम नहीं ,

कह दो यह आतंक से ,

के , मृत्यु  तुम्हारी आ गई ,

रणभूमि मैं शंखनाद की आज बारी आ गई ,

जो धुँधली हो गई थी छवि ,

वह फिर हमारी आ गई …

मूल चित्र : Pexels

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Vibhooti Rajak

Blogger [simlicity innocence in a blog ], M.Sc. [zoology ] B.Ed. [Bangalore Karnataka ] read more...

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