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फ़िल्म पंगा का ट्रेलर कह रहा है कि अपने सपनों को सच करने के लिए ‘पंगा’ लेना ज़रूरी है!

फ़िल्म पंगा का ट्रेलर देख कर लगेगा कि ये सच है कि हमारे समाज में एक लड़की को मां बनने के बाद कई बार अपने सपनों को भूलना पड़ता है, लेकिन ये सही नहीं है।

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फ़िल्म पंगा का ट्रेलर देख कर लगेगा कि ये सच है कि हमारे समाज में एक लड़की को मां बनने के बाद कई बार अपने सपनों को भूलना पड़ता है, लेकिन ये सही नहीं है।

अभिनेत्री कंगना रानौत की फिल्म आ रही है ‘पंगा’ जिसका ट्रेलर अभी लॉन्च हुआ है। इसकी पंच लाइन है Every Mother Deserves a Second Chance इसी के ईर्द-गिर्द ये पूरी कहानी बुनी गई है।

ये कहानी जया निगम की है जो शादी से पहले रेलवे की टीम से कबड्डी खेला करती थीं। लेकिन शादी और मां बनने के बाद उन्होंने कबड्डी छोड़ दी और रेलवे में नौकरी जारी रखते हुए अपने परिवार के साथ सिंपल और खुशहाल ज़िंदगी बिताने लगीं। जया अपनी इस छोटी से ज़िंदगी में ख़ुश तो है लेकिन कहीं ना कहीं वो फिर से कबड्डी खेलने के अपने सपने को जीना चाहती है।

एक सीन है जिसमें जया रेलवे स्टेशन पर कुछ युवा महिला कबड्डी खिलाड़ियों को देखती है और अपने पुराने दिन याद करती है। जया उनके पास जाती है और सोचती है कि शायद वो लड़कियां उसे पहचान लें, पर ऐसा नहीं होता। जया निराश होकर लौट तो जाती है लेकिन ये निराशा उसे फिर से खेलने की हिम्मत और आशा देती है।

जया का बेटा एक दिन अपने पापा से पूछता है, ‘क्या मम्मी 32 की उम्र में कमबैक नहीं कर सकती?’ यानि जया के सपने को पूरा करने के लिए उसके पास अपने पति और बेटे का पूरा साथ है। जया का पति उसे कहता है, ‘ज़िंदगी में बहुत सी परेशानियां आएंगी, लेकिन वो याद नहीं रहेंगी, याद रहेगा तो ये कि ज़िंदगी ने तुम्हें तुम्हारा सपना पूरा करने के लिए एक मौका दिया था और तुमने वो गंवा दिया।’

अपने पति, मां और बेटे के साथ से जया आगे बढ़ती है और अपनी कोच (ऋचा चड्ढा) से कहती हैं, ‘फिर से पंगा लेना है’, और इसी के साथ शुरू हो जाती है जया के कमबैक की कहानी।

ये सच है कि हमारे समाज में एक लड़की को मां बनने के बाद कई बार अपने सपनों को भूलना पड़ता है। लेकिन क्या ये सही है, बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि एक मां भी तो इंसान है और हर किसी की तरह उसके भी अपने सपने और इच्छाएं हैं। ऐसे में अगर उसे परिवार का साथ मिले तो अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए भी वो अपने सपने पूरे कर सकती है जैसे जया ने किए।

इस फिल्म की डायरेक्टर अश्विनी अय्यर तिवारी भी खुद एक मां हैं। ट्रेलर लॉन्च के मौके पर अश्विनी कहती हैं कि जब वो एक फिल्म बना रही थीं तो लोग उनसे पूछते थे आप पूरा टाइम काम करती हैं तो बच्चों का ख्याल कौन रखता है, उन्हें पढ़ाता कौन हैं। तो मैं कहती थी कि अब वो ज़माना नहीं है कि बस मां ही बच्चों का ख्याल रखें, अब मियां-बीवी दोनों के काम करने से घर चलता है इसलिए बच्चों की ज़िम्मेदारी भी आधी-आधी होती है।

इस फिल्म से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए अभिनेत्री कंगना बताती हैं कि उनका असल जीवन भी पंगों से भरा था और हर पंगे ने उनकी ज़िंदगी को एक नई परिभाषा दी है। उनका मानना है कि इंसान ख़ुद ही अपने आपको एंपावर्ड कर सकता है क्योंकि अगर आपको लगता कि आप कुछडिसर्व नहीं करते तो आधा युद्ध आप वहीं हार जाते हैं।

इसलिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्वयं पर भरोसा करें और आगे बढ़ते रहें। परिवार सबके साथ से बनता है इसलिए उसे संभालने की ज़िम्मेदारी भी सबकी होती है। जैसे आप अपने पति और संतान के सपनों को महत्व देती हैं वैसे ही अपने सपनों को भी अहमियत दें क्योंकि हर मां एक दूसरा चांस डिसर्व करती हैं।

मूल चित्र : YouTube 

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