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जब दहेज की कोई वैल्यू नहीं, तो इसे लेना बंद करें

बात छोटी है लेकिन सच, बहू के साथ लाए दहेज़ की कोई वैल्यू नहीं होती और कई जगह ससुराल की मिट्टी पर भी झूठा घमंड और लोक दिखावा किया जाता है।

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बात छोटी है लेकिन सच, बहू के साथ लाए दहेज़ की कोई वैल्यू नहीं होती और कई जगह ससुराल की मिट्टी पर भी झूठा घमंड और लोक दिखावा किया जाता है।

रसोई से प्लेट गिरने की आवाज़ आई।

“अरे क्या तोड़ दिया?” रीमा की सास ने गुस्से में कहा।

“मांजी वो प्लेट टूट गई….”

“कौन सी?”

“मांजी वो सफेद सेट वाली एक प्लेट टूट गई…”

“रीमा…बहू तुम्हारा ध्यान किधर होता है बर्तन साफ करते हुए?”

“तुम्हें कितनी बार कहा है मैंने मन लगाकर काम किया करो। तुम तो अपने में ही मग्न हो। पता नहीं कहां खोई रहती हो…”

“मैंने कहा था तुमसे, ये प्लेट्स मैं धो कर रख देती हूं। लेकिन तुम नहीं मानीं और अब तोड़ दी। तुम्हें पता भी है?यह प्लेट कितनी महंगी आई थी? उस ज़माने में इसकी कीमत 500 रुपए थी। मेरे पापा ने मुझे दहेज में दी थी और मैंने इसे अपनी जान से ज्यादा संभाल कर रखा है।”

“एक-एक प्लेट में मेरी जान बसती है। और आज तुमने एक प्लेट तोड़ दी? अब से तुम मेरी किसी भी क्रॉकरी को मत छूना…मैं खुद ही उन्हें निकाल के साफ कर दूंगी।”

“तुमसे तो मुझे कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। तुम तो सारी क्रोकरी ऐसे ही तोड़ दोगी।”

“तुम्हें तो कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि तुम्हारी शादी में तुम्हारे पापा ने सिर्फ तुम्हारे कमरे का सामान, टीवी, बेड, सोफ़ा और अलमीरा दी थी। तुम्हें क्या पता इन चीजों के बारे में? जब ये टूट जाती हैं तो दिल भी टूटता है। लेकिन तुम्हें क्या?”

रीमा सुनकर बोली, “मांजी! आप भी अजीब बात करते हो! मैंने जान बूझ कर नहीं तोड़ी। वो तो मेरे हाथ से फिसल गई और टूट गयी। और रही बात दहेज़ की तो मेरे माता-पिता ने आपके कहे अनुसार ही मेरे कमरे का सामान दिया और जो आप लोगों ने 10 लाख रुपए नकद लिए थे उनका क्या?”

“यदि वो ना लिए होते, तो आज भी ऐसे कितने ही कांच के बर्तन लाकर आपका घर भर देती। फिर मैं भी आपकी तरह अपने मायके से लाए दहेज़ पर ऐसे ही घमंड करती।”

इतना कहकर रीमा वहां से चली जाती है और उसकी सास उसका मुंह देखती रह जाती हैं…

दोस्तों है तो यह बहुत छोटी सी बात, लेकिन बहुत गहरी है क्यूंकि कई बार एक औरत ही दूसरी औरत की दुश्मन बन जाती है। यदि चाहें तो मामला आसानी से सुलझ सकता है, लेकिन ऐसा होता नहीं। बहू के साथ लाए दहेज़ की कोई वैल्यू नहीं होती और कई जगह ससुराल की मिट्टी पर भी झूठा घमंड और लोक दिखावा किया जाता है।

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ब्लॉग को पढ़ने के लिए आपका हार्दिक आभार।

मूल चित्र : Canva 

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