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अब गृहिणी के वास्तविक अर्थ को समझने की ज़रूरत है

गृहिणी का कार्य भी उतना ही मेहनत और सूझबूझ से भरा होता है और इसमें भी सही समय पर सही प्राथमिकता चुनना शामिल होता है।

गृहिणी का कार्य भी उतना ही मेहनत और सूझबूझ से भरा होता है और इसमें भी सही समय पर सही प्राथमिकता चुनना शामिल होता है।

करीब 28 वर्षों बाद जब मैं अपनी बचपन की सहेली से मिली तो हमेशा चहकने वाली को इतना बुझा बुझा देखकर मुझसे रहा नही गया। पूछने पर पता चला कि नौकरी छोड़कर वह बहुत पूछता रही है। उसके परिजन और यहाँ तक कि उसके पति भी उसके नॉन – वर्किंग होने के कारण उसकी वर्किंग जेठानी के सामने उसे सुनाने से बाज़ न आते। हमेशा “हाउस वाइफ है”, “कुछ नहीं करती” का लेबल मानो उसकी किस्मत पर चिपका दिया हो। यह जानकर बहुत दुख हुआ।

मैंने भी शादी के बाद नौकरी न करने का निर्णय लिया

शादी से पहले मैं भी जॉब करती थी। किंतु शादी के बाद मैंने अपने परिवार, पति और बच्चों को प्राथमिकता देते हुए नौकरी न करने का निर्णय लिया। कुछ लोगों ने तो मुझे यह भी सलाह दी थी कि नौकरी छोड़कर एक गृहिणी बनकर तुम्हारा अस्तित्व ही क्या रह जाएगा ? इतना पढ़ – लिख कर भी घर का ही काम करोगी तो पढ़ाई-लिखाई का क्या फायदा ?

मैंने अपने बच्चों की एक्टिवीटीज़ को खुद भी जिया

किन्तु मैं अपने निर्णय पर अडिग रही। मैंने अपने बच्चों को डे केयर में नहीं डाला, उनकी हर एक्टिवीटी को खुद भी जिया। उन्हें ट्यूशन न भेज कर खुद पढ़ाया। उनके स्कूल व पढ़ाई से जुड़ी रही। पति के ऑफिस-कार्य में यथासम्भव मदद की।

मुझे अपने होम मेकर होने पर कभी पछतावा नहीं हुआ

आज जब मेरे बच्चे ये कहते हैं कि आपने हमें अपने जीवन का कीमती समय उस समय दिया,  जब हमें आपकी सबसे ज़्यादा जरूरत थी। जब मेरे पति कहते हैं कि तुमने घर, बच्चों को ही नहीं बल्कि मेरे कार्य को भी बखूबी संभाला, तब मुझे लोगों की ऐसी सोच पर दुख होता है, जो कामकाजी महिलाओं के सामने होम मेकर को कम आँकते हैं।

मेरे निर्णय ने मुझे हमेशा अहसास कराया की मैं तो अपने घर की रानी हूँ

अपने घर की देखभाल और उससे जुड़े निर्णय लेने की स्वतंत्रता ने मुझे हमेशा ही यह एहसास कराया कि ” मैं तो रानी हूँ अपने घर की।” तो क्या हुआ अगर मैने नौकरी नहीं की। अंग्रेजी में एक कहावत भी है न “मनी सेव्ड इज मनी अर्न्ड” (Money saved is money earned)। 

 गृहिणी के त्याग को सम्मान देने की ज़रूरत है

गृहिणी का कार्य भी उतना ही मेहनत और सूझबूझ से भरा होता है और इसमें भी सही समय पर सही प्राथमिकता चुनना शामिल होता है। गृहिणी तो परिवार का सबसे लचीला स्तम्भ है। ज़रूरत है गृहिणी के वास्तविक अर्थ को समझने का और उसके उस त्याग को सम्मान देने का जिससे वह घर बनाती है।

मूल चित्र : Screenshot, Kahani Movie, YouTube

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Samidha Naveen Varma

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