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यही कहेंगे इसमें नया क्या है सभी औरतें करती हैं तुम कोई अनोखी नहीं हो। यही बातें मम्मी सुनती थी पापा से और अब मैं सुनती हूँ। हाउसवाइफ जो हूँ।
यही कहेंगे इसमें नया क्या है सभी औरतें करती हैं तुम कोई अनोखी नहीं हो। यही बातें मम्मी सुनती थीं पापा से और अब मैं सुनती हूँ, हाउसवाइफ जो हूँ…
आज फिर श्रद्धा को टिफिन पैक करने में देर हो गई थी। विनय तैयार होकर आए और टिफिन रेडी न देखकर उनका बड़बड़ाना चालू हो गया।
“ना जाने ऐसा क्या काम रहता है तुम्हें दिनभर। क्या करती रहती हो। आजकल औरतें घर और ऑफिस दोनों संभालती हैं। मगर तुमसे तो घर ही नहीं संभलता। बाकी के काम क्या खाक करोगी।”
“बस दो मिनट विनय हो गया। वो आज अवनि की स्कूल बस देर से आई न तो बस के इंतजार में देर हो गई।”
“बस रहने दो तुम। बहाने बनवा लो तुमसे। एक काम ढंग से नहीं होता तुमसे। दिनभर बिस्तर तोड़ने जो मिलता है तुम्हें आराम से। खा लूंगा ऑफिस में ही। पड़ी रहो आराम से। तुम्हें क्या पता कितना काम करना होता है ऑफिस में।” भुनभुनाते हुए विनय ऑफिस के लिए निकल गए।
श्रद्धा की आँखें नम हो गईं। यह तो रोज़ का किस्सा हो गया। चाहे कितना भी कर लूं, लेकिन यही सुनने मिलता है, बिस्तर तोड़ती हो। तीर की तरह चुभते हैं ये शब्द। जिस घर परिवार के लिए दिन रात चक्करघिन्नी की तरह नाचते रहो, उनके हिसाब से अपना टाइम टेबल सेट कर के रखो, खुद का तो जैसे कोई टाइम ही नहीं। घर के हर सदस्य के हिसाब से हर चीज़ तैयार करो कि मेरी वजह से किसी को देर न हो जाए।
मेरा क्या है मैं तो घर में ही हूं थोड़ी देर बाद अपना काम कर लूंगी। फिर भी 2 मिनट की भी देर हो जाए तो लोगों को बोलते देर नहीं लगती आखिर करती क्या हो तुम। सिर्फ इसलिए कि मैं बाहर जा कर कमाती नहीं तो मैं कुछ नहीं करती? मेरे काम की कोई वेल्यू नहीं, मेरा काम नहीं दिखता क्योंकि मुझे सेलरी नहीं मिलती?
दिल तो करता है एक बार अच्छे से बैठा कर समझा दूँ विनय को कि एक हाउसवाइफ क्या करती है। भले ही वो कमाती नहीं पर वो पैसे बचाती है। आपके घर को घर बनाती है,आपकी हर सुविधा का ख्याल रखती है। उसकी वज़ह से ही आपको हर चीज़ समय पर मिलती है। आप समय पर ऑफिस पहुंचते हैं तो उसमें आपकी पत्नी बहुत बड़ा योगदान है। आपके बच्चे अगर समय पर स्कूल पहुंचे तो उसकी वजह है उनकी मां।
“अगर किसी दिन वो आप लोगों के लिए खाना ना बनाए, टिफिन तैयार ना करे तो आपको भूखा ही जाना पड़े। अगर आपके कपड़े,बच्चों की स्कूल ड्रेस ना तैयार करे तो ढूंढ़ते रह जाओगे पूरे घर में। निश्चिंत हो कर ऑफिस जाते हो तो उसकी वजह से, क्योंकि आपको पता है आपके पीछे से कोई घर का ख्याल रखने लिए है। आपको घर बिखरा नहीं मिलेगा। अगर आप 2 दिन ऑफिस ना जाओ तो कंपनी का ज्यादा नुकसान नहीं होगा, लेकिन अगर आपकी पत्नी 2 दिन घर से बाहर चली जाए तो आपका घर घर नहीं रहेगा। कोई भी चीज़ जगह पर नहीं मिलेगी। ये है एक हाउसवाइफ की अहमियत।
उसके काम का कोई मोल नहीं। जितना काम वो करती है उसकी सेलरी अगर देने लगो तो आपके पास आधी सेलरी भी नहीं बचेगी। इसलिए हाउसवाइफ की कदर करो, उनको सम्मान दो। वो नहीं तो घर घर नहीं। कहावत है बिन घरनी घर भूतों डेरा। मैं हाउसवाइफ नहीं होममेकर हूँ क्योंकि मैं हूँ तो तुम्हारा मकान घर है।
लेकिन जानती थी कोई असर नहीं होने वाला इन बातों का। यही कहेंगे इसमें नया क्या है सभी औरतें करती हैं तुम कोई अनोखी नहीं हो। यही बातें मम्मी सुनती थी पापा से और अब मैं सुनती हूँ। हाउसवाइफ जो हूँ। काश जॉब ही करती होती तो कुछ तो कदर होती मेरे काम की। लेकिन फिर अवनि को कौन देखेगा। चल श्रद्धा लग जा काम पर कोई फायदा नहीं सोचकर या जवाब देकर।
हर हाउसवाइफ की तरह श्रद्धा भी जुट गई अपने रोज़ के कामों में।
मूल चित्र : Screenshot, English Vinglish Trailer, Youtube
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