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होली खेलने के नाम पर मर्यादा की सीमा ना पार करें

होली के नाम पर दूसरों के साथ गलत ना करें। ऐसा करने से त्योहार मनाने की सारी इच्छा ही खत्म हो जाती है। क्यों गलत व्यवहार से रिश्तों की मर्यादा खराब की जाए? 

होली के नाम पर दूसरों के साथ गलत ना करें। ऐसा करने से त्योहार मनाने की सारी इच्छा ही खत्म हो जाती है। क्यों गलत व्यवहार से रिश्तों की मर्यादा खराब की जाए? 

रश्मि ने अपनी बड़ी बहन वेदा से बात करके फोन रखा और, “याहू!” कहते हुए ज़ोर से उछाल मारी और चिल्लाते हुए बोली, “मम्मी, भाभी! इस बार दीदी-जीजाजी यहीं हम सबके साथ होली मनाएंगे।”

उसकी नई नवेली भाभी वृंदा, जिसकी शादी को अभी छः महीने ही हुए हैं, वो भी ये सुनकर खुश हो गई और मम्मी को तो खुश होना ही था। वेदा की शादी को तीन साल हो चुके थे और नई भाभी के कारण ही वो होली के त्योहार पर आ रही थी, वरना सारे त्योहार वो ससुराल में ही मनाती थी। मम्मी, रश्मि और वृंदा तीनों ने मिलकर खाने की प्लानिंग करनी शुरू कर दी और रश्मि को तो बस होली का इंतजार था।

देखते ही देखते होली भी आ गई और साथ ही वेदा भी अपने पति शोभित के साथ। सबने उनका अच्छे से स्वागत किया और सबने मिलकर होली की पूजा की और फिर सबने मिलकर अच्छे से दावत खाई जो कि मम्मी, रश्मि और वृंदा ने खूब मेहनत और प्यार से तैयार की थी।

अगले दिन रंगों से खेलने के लिए रश्मि ने खूब सारी तैयारियां कर रखी थी। हर रंग के हर्बल गुलाल, पिचकारियां और गुब्बारे – ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुकान ही खरीद ली हो। खाने की तैयारी उन लोगों ने मिलकर पहले ही कर ली थी ताकि खेलने में कोई रुकावट ना आए।

रश्मि ने सुबह जल्दी उठकर जो जो सोए हुए थे गुलाल से सबकी मूछें बना दी थी। सुबह-सुबह ही उसकी इस हरकत से घर में शैतानी का माहौल बन गया। सबने जल्दी जल्दी नाश्ता निपटाया और रंगों से खेलने घर के बाहर चले गए।

सब मस्ती में भरे रंग खेल रहे थे कि वेदा ने अचानक से वृंदा को पकड़ का ज़मीन पर बिठाया और उसके सूट का गला पीछे से पकड़ कर शोभित को आवाज़ देने लगी कि डालो इसमें रंग। वृंदा को काटो तो खून नहीं। बेबसी उसकी आंखों से आंसु बन कर छलकने लगी पर वेदा को ये नहीं दिखा।

उधर वेदा के इस व्यवहार से उसके सारे घरवाले भी हक्के बक्के रह गए। तभी रश्मि ने तीर की तरह आकर वेदा का हाथ झटका और वृंदा को ज़मीन से उठाया और वेदा को कहा, “ये कैसी हरकत कर रही हो दीदी? ये कौन सा तरीका है त्योहार मनाने का?”

वेदा को रश्मि की बात सुनकर बड़ा गुस्सा आया और वो बोली, “रश्मि, छोटी हो छोटी रहो। फालतू मत बोलो।”

पर तभी उसकी मम्मी ने भी आ कर वृंदा को गले लगाया और वेदा को पूछने लगीं, “ये क्या कर रही हो वेदा? ये कौन सा तरीका है त्योहार मनाने का जिसमें सामने वाले की कोई इज्ज़त ना रह जाए और तुमने एक बार भी ये नहीं सोचा कि अगर वृंदा तुम्हें पलट कर कुछ बोल दे तो? बेटा त्योहार ऐसे मनाओ कि सब खुश हों और सिर्फ त्योहार के नाम पर ना गलत हरकत करो और ना ही बर्दाश्त करो।”

वेदा शर्मिंदा सी सिर झुकाए खड़ी थी। तभी उसका भाई मिठाई की प्लेट लेकर आ गया और सबको मिठाई खिलाते हुए बोला, “चलो अब सब ठीक हो गया ना? तो इसी बात पर मुंह मीठा करो और एक सेल्फी हो जाए।”

उसकी बात सुनकर माहौल फिर से हल्का हो गया।

दोस्तों, मैंने अक्सर देखा है कि त्योहार के नाम पर ये सब होते हुए जिससे त्योहार मनाने की सारी इच्छा ही खत्म हो जाती है। क्यों गलत व्यवहार से रिश्तों की मर्यादा खराब की जाए? त्योहार खुशियां लाता है पर इन सब बातों के कारण सारी खुशी फीकी पड़ जाती है।

तो चलिए ना गलत करें और ना गलत सहें और मिलकर खुशियों भरा त्योहार मनाएं।

आप सबको मेरी तरफ से होली की ढेरों शुभकामनाएं।

मूल चित्र : Canva 

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