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अब तो होली खेलन आओ कन्हाई…

ज़रूरत है मानव जाति को, फिर गीता के सन्देश की, महाभारत से भी बड़ा युद्ध है, कैसे होगी भरपाई, ब्रज की रज में होली खेलन तुम फिर से आओ कन्हाई।

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ज़रूरत है मानव जाति को, फिर गीता के सन्देश की, महाभारत से भी बड़ा युद्ध है, कैसे होगी भरपाई, ब्रज की रज में होली खेलन तुम फिर से आओ कन्हाई।

ब्रज की रज में होली खेलन
तुम फिर से आओ कन्हाई।
बुला रहे ब्रजवासी तुमको,
क्यूँ तुमने देर लगाई।

कंस जैसे राक्षसों का,
फिर से हुआ बोलबाला।
ऐसे दानव रुपी मानव से,
क्या लोगे छुड़वाई।

ब्रज गोपियाँ बुला रही हैं,
सूनी पड़ी हैं गलियाँ।
कब आओगे, कब खाओगे
दूध, दही, मलाई।

चारों ओर बिछी है चौपड़,
लाज बचाओ, बुलाए द्रौपदी
बढ़ा दो चीर की लम्बाई।

ज़रूरत है मानव जाति को,
फिर गीता के सन्देश की
महाभारत से भी बड़ा युद्ध है,
कैसे होगी भरपाई।

फिर से रंग दो, सारी दुनिया को
प्रेम बरसा कर, साबित कर दो
तुम अब भी हो कन्हाई।

ब्रज की रज में होली खेलन
तुम फिर से आओ कन्हाई।
बुला रहे ब्रजवासी तुमको
क्यूं तुमने देर लगाई।

मूल चित्र : Canva 

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Samidha Naveen Varma

Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...

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