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क्या तुमने सोचा था कभी, इक ऐसा साल भी आएगा, पिता का आँगन, माँ का खाना, मैके की बस रहेगी आस,ना भाभी की ठिठोली होगी, ना भैया के सँग उल्लास।
क्या तुमने सोचा था कभी, इक ऐसा साल भी आएगा, पिता का आँगन, माँ का खाना, मैके की बस रहेगी आस, ना भाभी की ठिठोली होगी, ना भैया के सँग उल्लास।
क्या तुमने सोचा था कभी, इक ऐसा साल भी आएगा। ये 2020 का वर्ष दुनिया को, अलग सा अनुभव दे जाएगा।
पूजा की थाली ना होगी, बन्द होंगे पूजा के द्वार। मन्दिर में प्रसाद न होगा, होगी ना भक्तों की कतार।
पिता का आँगन, माँ का खाना, मैके की बस रहेगी आस। ना भाभी की ठिठोली होगी , ना भैया के सँग उल्लास।
याद आएगा नानी का घर, और प्यारे नाना का दुलार। याद आएगी मामा की मस्ती, और मामी का स्नेह-सत्कार।
छुट्टियाँ तो होंगी लेकिन, आना जाना बन्द रहेगा। तीजे-दसवें की बैठक ना होगी, ना शादी का कार्ड मिलेगा।
गर्मी के मौसम में भी, आइसक्रीम से दूरी होगी। गन्ने का रस, मटके की कुल्फी, ना खाना मजबूरी होगी।
सैर सपाटा बन्द रहेगा, बन्द होगा बाहर का खाना हर कोई सीखेगा अपने, घर में ख़ुद से खाना बनाना।
डॉक्टर बन गए देवदूत से, नर्स बनी नाइटिंगेल और टेरेसा। अपने घर-बच्चों से दूर, ना देख रहे समय, और पैसा।
पुलिस, सफाईकर्मी और पेशेवर, मजदूर, मीडिया, टीचर, व्यापारी। कोविड के इस महायुद्ध में, दे रहे अपनी हिस्सेदारी।
वर्क फ्रॉम होम, स्कूल फ्रॉम होम, बच्चे-बूढ़े, सब इन होम। महिला इसकी मेन धुरी है, मैनेज कर रही ऑफिस और होम।
वोकल फॉर लोकल, मास्क, हैंड-वॉश स्टे होम और घर का खाना। ये ही हैं हथियार हमारे, टिक नहीं सकता ये कोरोना।
कोरोना वॉरियर हैं हम सब, हमें संभल कर रहना होगा। सोशल डिस्टैंस अपना कर इस नए युग में रहना होगा।
जंग बड़ी बड़ी जीती हमनें, ये जंग भी हम जीतेंगे। घर मे रहें, रहें सुरक्षित ये संकट के दिन भी बीतेंगे। ये जंग भी हम जीतेंगे।
मूल चित्र : Canva
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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