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कुछ सुकून के पल चाहती हूँ…

इस बड़ी सी दुनिया में, अपनी एक छोटी सी जगह चाहती हूं। जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं।

इस बड़ी सी दुनिया में, अपनी एक छोटी सी जगह चाहती हूं। जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं।

इस बड़ी सी दुनिया में अपने लिए एक छोटी सी जगह चाहती हूं,
जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं।

बहुत ज्यादा बड़ा ना सही, पर एक छोटा सा कोना सिर्फ अपने लिए चाहती हूँ,
खो ना जाएं भीड़ में, वो मुक़ाम खुद बनाना चाहती हूँ।

दिन भर की भाग दौड़ के बाद कुछ सुकून के पल अपने लिए भी चाहती हूं,
इस बड़ी सी दुनिया में, अपने लिए एक छोटी सी जगह चाहती हूं।

हो सकता है कि मेरी सुकून की परिभाषा कुछ और हो,
मेरा व्यक्त करने का तरीका और सलीक़ा औरों से अलग हो।

फिर भी चीरते हुए इस अंतर को मैं बराबरी के कुछ पल चाहती हूं,
इन ऊबड़ खाबड़ रस्तों पर कुछ सीधी साधी पगडंडी चाहती हूं।

दिन भर की भाग दौड़ के बाद कुछ सुकून के पल अपने लिए भी चाहती हूं,
इस बड़ी सी दुनिया में, अपनी एक छोटी सी जगह चाहती हूं,
जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं!

मूल चित्र : Canva Pro

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Deepika Mishra

I am a mom of two lovely kids, Content creator and Poetry lover. read more...

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